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Bhopal forgery मुख्यमंत्री आवास और सचिवालय के नंबरों से डराकर मांगे पैसे, सायबर क्राइम ब्रांच ने जाल बिछाकर पकड़ा - आरोपियों ने हासिल की थी तकनीकी विशेषज्ञता

अभी तक तो सायबर क्राइम के लिए इंदौर ही जाना जाता था. एक बड़ा हाईप्रोफाइल साइबर फर्जीवाड़े का मामला अब भोपाल से सामने आया है. यहां पर आरोपियों ने मुख्यमंत्री आवास और सचिवालयों के फर्जी नंबर को दर्शाकर एक डॉक्टर को धमकाकर 1 करोड़ रुपए की मांग की थी. यह पैसे उनसे सेटलमेंट के लिए मांगे गए थे.आरोपियों ने डॉक्टर को धमकाया था कि उनके अस्पताल में छापेमार कार्रवाई होने वाली है. इसके अलावा और भी फाइलें हैं, जिनके मामले वह रफा-दफा करा देंगे.

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फर्जी नंबरों से डराकर मांगे पैसे, क्राइम ब्रांच ने जाल बिछाकर पकड़ा
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Published : Dec 6, 2022, 12:47 PM IST

भोपाल। राजधानी भोपाल में यह अपनी तरह का अनोखा मामला सामने आया है. जिसमें फर्जी नंबर डिस्प्ले कराकर रंगबाजी की जा रही थी. भोपाल के डॉक्टर पर 1 करोड़ से अधिक की रंगबाजी का मामला सामने आया है. उनको अस्पताल में खिलाफ छापे की कार्यवाही का डर दिखाया था. इसके बाद एक करोड से अधिक फिरौती मांगने वाले आरोपी पकड़े गए है.अस्पताल के गोपनीय दस्तावेज मिलने और कानूनी कार्यवाही की धमकी दी जा रही थी. जिसके लिए अपराधियों द्वारा शासकीय और जनप्रतिनिधि कार्यालयों सहित मुख्य सचिव कार्यालय सीएमहाउस का नंबर फर्जी रूप से दिखाकर धमकाया जा रहा था. आरोपियों में एकदम करोड़पति बनने की थी.

साइबर क्राइम ब्रांच को सौंपा गया था मामलाः राजधानी भोपाल में पुलिस कमिश्नर मकरंद देउसकर को एक शिकायत मिली थी. जिसमें अस्पताल के संचालक व डॉक्टर के द्वारा रिपोर्ट की गई कि उसके मोबाइल पर शासकीय और जनप्रतिनिधि कार्यालयों सहित मुख्य सचिव कार्यालय सीएमहाउस का नंबर फर्जी रूप से दिखाकर फोन किया गया. इस फोन में डॉक्टर को अस्पताल के खिलाफ छापेमार कार्यवाही निकट भविष्य में होने और डॉक्टर को कानूनी कार्यवाही में फंसने का डर दिखाया गया. फर्जी व्यक्ति के द्वारा कार्यवाही में मध्यस्तता करने के एवज में स्वयं के लिए 1 करोड़ 10 लाख रुपये की मांग नकद के रूप में की गई. जब इस पूरे मामले जांच की गई तो पता चला कि सीएमहाउस शासकीय और जनप्रतिनिधि कार्य सहित मुख्य सचिव कार्यालय सीएमहाउस का नंबर से उक्त फोन नहीं करना व उक्त किसी अधिकारी की आवाज नहीं पाये जाने के आधार पर व्यक्ति का फर्जी होना पाया गया. इसके बाद इस पूरे मामले को साइबर क्राइम व क्राइम ब्रांच को सौंपा गया.

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आरोपियों ने हासिल की थी तकनीकी विशेषज्ञताः इस पूरे मामले की पड़ताल करते समय साइबर क्राइम की टीम जब इस नंबर की तकनीकी पड़ताल की जाने पर यह तथ्य की पुष्टि हुई की सीएमहाउस का नंबर फर्जी रूप से फरियादी के मोबाइल नंबर पर दर्शाया जा रहा है. इस पूरे काम के लिए आरोपियों के द्वारा तकनीकी विषेज्ञता होना पाया गया, क्योंकि इस प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल विशिष्ट प्रकार के अपराधी जैसे आतंकवादी, अलगावादी, हवाला कारोबारी, सायबर फिरौती अथवा रैनसमवेयर अटैक के लिए किया जाता है. उसके लिए आरोपियों द्वारा फर्जी कॉल करने के लिए चीन, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई देशों के सर्वरो का इस्तेमाल हुआ और साइबर टीम की तकनीकी टीम के अथक प्रयासों के बाद क्राइम ब्रांच की टीम अपराधियों तक पहुंच सकी.

भोपाल के करीबी जिले सीहोर में बना रखा था अपना ठिकानाः क्राइम ब्रांच व सायबर सेल की टीमों द्वारा सीहोर व भोपाल के कई संदिग्ध स्थानो पर छापामारी करने के करने के बाद 2 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया. इन आरोपियों के पास मोबाइल, लैपटॉप के अलावा अन्य हाईटेक तकनीकी डिवाईसों का उपयोग किया जा रहा था. कड़ाई से पूछताछ किए जाने पर आरोपियों द्वारा अस्पताल संचालक डॉक्टर से बातचीत करना स्वीकार किया गया. इसके लिए यूट्यूब से तकनीकी प्रशिक्षण लेकर फर्जी कॉल करने की योजना बनाई. इसके लिए डॉक्टर से 1 करोड़ 10 लाख रुपये की मांग की गई. आरोपियों ने टीवी और यूट्यूब पर सुकेश चन्द्रशेखर के मामले को देखकर ली प्रेरणा और करोड़ों की वसूली की योजना बनाई गई. आरोपियों के द्वारा फर्जी तरीके से कॉलिंग करने के लिए एलएम परमार के परिचित के चाणक्यपुरी कंचन मार्केट भोपाल नाके में कमरा किराये पर लिया. जहां पर इन दोनों के द्वारा इस तरह के फर्जी कॉल करने का प्रशिक्षण लिया गया. आरोपियों के द्वारा टेलिफोन नंबर भी फर्जी कॉल व अडीबाजी के लिए प्रयोग किया जाना भी स्वीकार किया गया है.

भोपाल। राजधानी भोपाल में यह अपनी तरह का अनोखा मामला सामने आया है. जिसमें फर्जी नंबर डिस्प्ले कराकर रंगबाजी की जा रही थी. भोपाल के डॉक्टर पर 1 करोड़ से अधिक की रंगबाजी का मामला सामने आया है. उनको अस्पताल में खिलाफ छापे की कार्यवाही का डर दिखाया था. इसके बाद एक करोड से अधिक फिरौती मांगने वाले आरोपी पकड़े गए है.अस्पताल के गोपनीय दस्तावेज मिलने और कानूनी कार्यवाही की धमकी दी जा रही थी. जिसके लिए अपराधियों द्वारा शासकीय और जनप्रतिनिधि कार्यालयों सहित मुख्य सचिव कार्यालय सीएमहाउस का नंबर फर्जी रूप से दिखाकर धमकाया जा रहा था. आरोपियों में एकदम करोड़पति बनने की थी.

साइबर क्राइम ब्रांच को सौंपा गया था मामलाः राजधानी भोपाल में पुलिस कमिश्नर मकरंद देउसकर को एक शिकायत मिली थी. जिसमें अस्पताल के संचालक व डॉक्टर के द्वारा रिपोर्ट की गई कि उसके मोबाइल पर शासकीय और जनप्रतिनिधि कार्यालयों सहित मुख्य सचिव कार्यालय सीएमहाउस का नंबर फर्जी रूप से दिखाकर फोन किया गया. इस फोन में डॉक्टर को अस्पताल के खिलाफ छापेमार कार्यवाही निकट भविष्य में होने और डॉक्टर को कानूनी कार्यवाही में फंसने का डर दिखाया गया. फर्जी व्यक्ति के द्वारा कार्यवाही में मध्यस्तता करने के एवज में स्वयं के लिए 1 करोड़ 10 लाख रुपये की मांग नकद के रूप में की गई. जब इस पूरे मामले जांच की गई तो पता चला कि सीएमहाउस शासकीय और जनप्रतिनिधि कार्य सहित मुख्य सचिव कार्यालय सीएमहाउस का नंबर से उक्त फोन नहीं करना व उक्त किसी अधिकारी की आवाज नहीं पाये जाने के आधार पर व्यक्ति का फर्जी होना पाया गया. इसके बाद इस पूरे मामले को साइबर क्राइम व क्राइम ब्रांच को सौंपा गया.

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आरोपियों ने हासिल की थी तकनीकी विशेषज्ञताः इस पूरे मामले की पड़ताल करते समय साइबर क्राइम की टीम जब इस नंबर की तकनीकी पड़ताल की जाने पर यह तथ्य की पुष्टि हुई की सीएमहाउस का नंबर फर्जी रूप से फरियादी के मोबाइल नंबर पर दर्शाया जा रहा है. इस पूरे काम के लिए आरोपियों के द्वारा तकनीकी विषेज्ञता होना पाया गया, क्योंकि इस प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल विशिष्ट प्रकार के अपराधी जैसे आतंकवादी, अलगावादी, हवाला कारोबारी, सायबर फिरौती अथवा रैनसमवेयर अटैक के लिए किया जाता है. उसके लिए आरोपियों द्वारा फर्जी कॉल करने के लिए चीन, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे कई देशों के सर्वरो का इस्तेमाल हुआ और साइबर टीम की तकनीकी टीम के अथक प्रयासों के बाद क्राइम ब्रांच की टीम अपराधियों तक पहुंच सकी.

भोपाल के करीबी जिले सीहोर में बना रखा था अपना ठिकानाः क्राइम ब्रांच व सायबर सेल की टीमों द्वारा सीहोर व भोपाल के कई संदिग्ध स्थानो पर छापामारी करने के करने के बाद 2 व्यक्तियों को हिरासत में लिया गया. इन आरोपियों के पास मोबाइल, लैपटॉप के अलावा अन्य हाईटेक तकनीकी डिवाईसों का उपयोग किया जा रहा था. कड़ाई से पूछताछ किए जाने पर आरोपियों द्वारा अस्पताल संचालक डॉक्टर से बातचीत करना स्वीकार किया गया. इसके लिए यूट्यूब से तकनीकी प्रशिक्षण लेकर फर्जी कॉल करने की योजना बनाई. इसके लिए डॉक्टर से 1 करोड़ 10 लाख रुपये की मांग की गई. आरोपियों ने टीवी और यूट्यूब पर सुकेश चन्द्रशेखर के मामले को देखकर ली प्रेरणा और करोड़ों की वसूली की योजना बनाई गई. आरोपियों के द्वारा फर्जी तरीके से कॉलिंग करने के लिए एलएम परमार के परिचित के चाणक्यपुरी कंचन मार्केट भोपाल नाके में कमरा किराये पर लिया. जहां पर इन दोनों के द्वारा इस तरह के फर्जी कॉल करने का प्रशिक्षण लिया गया. आरोपियों के द्वारा टेलिफोन नंबर भी फर्जी कॉल व अडीबाजी के लिए प्रयोग किया जाना भी स्वीकार किया गया है.

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