भोपाल। कोरोना संक्रमण को हराने के लिए काफी समय से पूरी दुनिया को वैक्सीन का इंतजार है. दुनिया भर में तबाही मचा चुके कोरोना वायरस की वैक्सीन को लेकर ट्रायल शुरू हो चुके हैं. भारत में भी कोरोना वायरस से लड़ने के लिए तीन वैक्सीन पर काम चल रहा है, जिनमें से भारत बायोटेक और आईसीएमआर(ICMR) के संयुक्त प्रयास से मिलकर बनाई जा रही को-वैक्सीन के थर्ड फेस के ट्रॉयल को मंजूरी मिल गई है. इस मंजूरी के बाद मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 27 नवंबर से ट्रायल शुरू हो गए हैं.
भोपाल में ट्रायल शुरू
को-वैक्सीन का ट्रायल भोपाल के निजी अस्पताल पीपुल्स में शुरू हो चुका है. इसके अलावा शासकीय मेडिकल कॉलेज और गांधी मेडिकल कॉलेज में भी ट्रायल शुरू करने की चर्चाएं चल रही हैं. हालांकि गांधी मेडिकल कॉलेज इस दौड़ में पहले से रहा है लेकिन कुछ कमियों के कारण अस्पताल पिछड़ गया और निजी अस्पताल ने बाजी मार ली. लेकिन अब शासन-प्रशासन और मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पूरी कोशिश कर रहे हैं कि वैक्सीन का ट्रायल GMC (गांधी मेडिकल कॉलेज) में भी शुरू हो सकें.
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संभागायुक्त ने किया निरीक्षण
भोपाल संभाग के आयुक्त कवींद्र कियावत रविवार को गांधी मेडिकल कॉलेज का औचक निरीक्षण करने पहुंचे. इस निरीक्षण के दौरान उन्होंने ट्रायल के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर का विशेष तौर पर निरीक्षण किया. वहां पाई गई कमियों को सुधारने के लिए दिशा-निर्देश भी दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट तीन से चार दिन में मेडिकल कॉलेज प्रबंधन को संभागायुक्त को सौंपनी होगी.
निर्माणाधीन बिल्डिंग बनी रोड़ा
काफी लंबे समय से गांधी मेडिकल कॉलेज में निर्माण का काम चल रहा है. ट्रायल में भी यही बात आड़े आ रही है. भारत बायोटेक की टीम ने यहां पर बन रही निर्माणाधीन बिल्डिंग के चलते पहले ट्रायल के अनुमति नहीं दी थी. लेकिन अब कहा जा रहा है कि जल्द ही भारत बायोटेक की टीम एक बार फिर GMC आकर निरीक्षण कर सकती है.
GMC में शुरू हो सकता है ट्रायल
गांधी मेडिकल कॉलेज में अगर पाई गई कमियों को दुरुस्त किया जाता है तो इस बात की उम्मीद है कि यहां पर भी जल्द ही को-वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो जाएगा.
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शिक्षक को लगाई गई पहली वैक्सीन
'को-वैक्सीन' के थर्ड स्टेज का क्लीनिकल ट्रायल शुक्रवार यानि 27 नवंबर से भोपाल के पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में शुरू हो चुका है. इसके लिए भारत बायोटेक ने कॉलेज को अपनी को-वैक्सीन के एक हजार डोज भेजे हैं. पहला टीका 46 साल के एक शिक्षक को दिया गया है. जिन वॉलेंटियर्स को ये टीका लगेगा, उन्हें बूस्टर डोज 28 दिनों के बाद दिया जाएगा. कोरोना वैक्सीन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और भारत बायोटेक इंटरनेशनल ने विकसित की है. ये पहली स्वदेशी वैक्सीन है.
गर्भवती महिलाओं को नहीं लग रही वैक्सीन
मेडिकल अस्पताल के अधीक्षक आलोक कुलश्रेष्ठ ने बताया कि 28 दिन तक यह ट्रायल चलेगा. जिस वॉलेंटियर को कोई बीमारी पहले से न हो उसे ही टीका लगाया जाएगा. गर्भवती महिलाओं को वॉलेंटियर नहीं बनाया जाएगा. इसमें 18 साल से लेकर 99 तक के एज ग्रुप के लोग ही शामिल हो सकेंगे. अगले 10 दिन तक वैक्सीन ट्रायल में दो से तीन हजार लोगों शामिल किया जाएगा. बाद में उनकी जांच भी होगी. जिन वॉलेंटियर को वैक्सीन की डोज दी जा रही है, उनमें भोपाल के बड़े कारोबारी दंपति भी शामिल हैं.
कोरोना वैक्सीन के स्टोरेज की चुनौती
प्रदेश में कोरोना वैक्सीन के स्टोरेज की चुनौती अब भी बनी हुई है. स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक यहां वैक्सीन के चार करोड़ डोज को माइनस दो से माइनस आठ डिग्री सेल्सियस तापमान में स्टोर करने की क्षमता है, लेकिन जरूरत छह से सात करोड़ डोज की है. ऐसे में वैक्सीन स्टोरेज की समस्या हो सकती है. इस कमी को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने पांच वॉकिंग फ्रीजर और इतने ही कोल्ड स्टोरेज मध्यप्रदेश को देने की बात कही है, इसमें प्रत्येक के अंदर 25 से 30 लाख डोज रखे जा सकते हैं.
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इन शहरों में फ्रीजर की व्यवस्था
मध्य प्रदेश में 12 वॉकिंग कूलर या फ्रीजर हैं. ये भोपाल, इंदौर, जबलपुर, ग्वालियर में हैं. इनमें लिक्विड या ड्राई वैक्सीन रख सकते हैं और माइनस 20 डिग्री तक तापमान रहता है. पांच हजार आइस लाइन रेफ्रिजरेटर और डीप फ्रीजर की व्यवस्था की जा रही है.
आम लोगों तक ऐसे पहुंचेगी वैक्सीन
टीकाकरण के लिए प्रदेश में हजारों सेंटर खोले जाएंगे, जिनमें फ्रंट लाइन वर्कर, 60-65 साल से अधिक के बुजुर्गों और बच्चों का पहले पंजीयन होगा. फिर टीकाकरण किया जाएगा. सभी को उनके मोबाइल पर मैसेज भेजकर टीकाकरण की तारीख व समय बता दिया जाएगा. एक डोज लगने के बाद तय पीरियड के अनुसार उसे 28-30 दिन बाद दोबारा दूसरे डोज के लिए बुलाया जाएगा.