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चुनावी ड्यूटी से छुट्टी लेने वालों के लिए कलेक्टर का तुगलकी फरमान, अनिवार्य सेवानिवृत्ति के दिए आदेश - कलेक्टर सुदाम खाडे

भोपाल कलेक्टर ने 8 विभागों के 14 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के आदेश दिए हैं, क्योंकि उन्होंने चुनाव ड्यूटी से छुट्टी ली थी.

भोपाल कलेक्टर ने सुनाया तुगलकी फरमान
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Published : May 21, 2019, 2:04 PM IST

भोपाल| कलेक्टर सुदाम खाडे ने 14 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश दिए हैं. इन अधिकारियों ने मेडिकल के आधार पर लोकसभा निर्वाचन 2019 में मतदान ड्यूटी निरस्त कराई थी.

भोपाल कलेक्टर ने सुनाया तुगलकी फरमान

कलेक्टर ने 8 विभागों के प्रमुखों को पत्र भेज कर इन अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के आदेश दिए हैं, जबकि इन अधिकारियों ने मेडिकल बोर्ड से परीक्षण कराने के बाद छुट्टी ली थी. कलेक्टर ने अपने आदेश में लिखा है कि सभी अधिकारी कर्मचारी किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होकर निर्वाचन ड्यूटी करने में असमर्थ हैं. इससे साबित होता है कि वे अन्य शासकीय कामों को करने में भी सक्षम नहीं हैं.

सामान्य प्रशासन विभाग ने 8 नवंबर 2017 के पत्र में स्पष्ट कहा है कि 50 या 20 साल की सेवा पूरी करने वाले शासकीय सेवकों के अभिलेखों की छानबीन कर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है. इस पत्र के आधार पर इन सभी अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई की जाए और इसकी जानकारी जिला निर्वाचन कार्यालय को भी दी जाए.

वहीं कर्मचारियों ने कहा कि प्रशासन की ओर से निर्वाचन अधिकारियों को कोई सुविधा नहीं दी जाती है. कई बीमारियों से पीड़ित कर्मचारी दिन भर अपने बूथ पर भूखे प्यासे बैठे रहते हैं, यहां तक कि मॉक वोट का टाइम भी बढ़ा दिया गया है. ऐसे हालातों में कलेक्टर का ये फरमान सरासर तानाशाही है और निंदनीय है.

भोपाल| कलेक्टर सुदाम खाडे ने 14 अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति के आदेश दिए हैं. इन अधिकारियों ने मेडिकल के आधार पर लोकसभा निर्वाचन 2019 में मतदान ड्यूटी निरस्त कराई थी.

भोपाल कलेक्टर ने सुनाया तुगलकी फरमान

कलेक्टर ने 8 विभागों के प्रमुखों को पत्र भेज कर इन अधिकारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करने के आदेश दिए हैं, जबकि इन अधिकारियों ने मेडिकल बोर्ड से परीक्षण कराने के बाद छुट्टी ली थी. कलेक्टर ने अपने आदेश में लिखा है कि सभी अधिकारी कर्मचारी किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होकर निर्वाचन ड्यूटी करने में असमर्थ हैं. इससे साबित होता है कि वे अन्य शासकीय कामों को करने में भी सक्षम नहीं हैं.

सामान्य प्रशासन विभाग ने 8 नवंबर 2017 के पत्र में स्पष्ट कहा है कि 50 या 20 साल की सेवा पूरी करने वाले शासकीय सेवकों के अभिलेखों की छानबीन कर उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी जा सकती है. इस पत्र के आधार पर इन सभी अधिकारियों कर्मचारियों के खिलाफ अनिवार्य सेवानिवृत्ति की कार्रवाई की जाए और इसकी जानकारी जिला निर्वाचन कार्यालय को भी दी जाए.

वहीं कर्मचारियों ने कहा कि प्रशासन की ओर से निर्वाचन अधिकारियों को कोई सुविधा नहीं दी जाती है. कई बीमारियों से पीड़ित कर्मचारी दिन भर अपने बूथ पर भूखे प्यासे बैठे रहते हैं, यहां तक कि मॉक वोट का टाइम भी बढ़ा दिया गया है. ऐसे हालातों में कलेक्टर का ये फरमान सरासर तानाशाही है और निंदनीय है.

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