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भदभदा विश्राम घाट की पहल,7000 शवों की राख से होगा राजधानी का पर्यावरण संरक्षण

भोपाल(Bhopal)भदभदा विश्राम घाट(bhopal bhadbhada crematorium) में मृतकों की राख को विशेष जापानी तकनीक से खाद बनाकर कर 4000 हजार पौधे लगाने का काम किया जा रहा है. जिससे कोविड स्मृति वन नाम दिया गया है.राख, मिट्टी और भूसे सहित मृतकों की बची हुई लकड़ी का बुरादा, गोबर की खाद को मिलाकर विशेष पदार्थ बनाया गया है. इसमें करीब 100 ड्रम केमिकल मिलाया गया है जिससे 1 साल के अंदर एक घना जंगल तैयार होगा.मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी के के साथ श्मशान घाट पहुंचे. सीएम स्मृति वन में मृतक की आत्मा की शांति के लिए पौधा लगाया

Environment protection by ashes
शवों की राख से होगा पर्यावरण संरक्षण
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Published : Jul 10, 2021, 8:09 PM IST

भोपाल(Bhopal)। कोरोना के भयावह दौर में हजारों लोगों ने अपनी जान गवाई. इन सांसों की लड़ाई में हजारों लोगों ने अपनी जिंदगी गवा दी.अंतिम संस्कार के बाद बचे अवशेष ही आने वाले पीढ़ी के काम आने जा रही है इसके लिए एक सार्थक पहल शुरू की गई है. भदभदा विश्राम घाट में मृतकों की राख को विशेष जापानी तकनीक से खाद बनाकर कर 4000 हजार पौधे लगाने का काम किया जा रहा हैं जिससे कोविड स्मृति वन नाम दिया गया है.आखिर राख से खाद बनाने का काम कैसे किया जा रहा देखिए ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट.

शवों की राख से होगा पर्यावरण संरक्षण
7000 मृतको की 25 डंपर राख का किया उपयोग

कोरोना के दौरान 3 माह में भदभदा विश्राम घाट में करीब 7000 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था. इस दौरान करीब 25 डंपर राख बची हुई थी. जिसको नर्मदा नदी में प्रावाहित करने जा रहे थे लेकिन बड़ी मात्रा में होने के चलते साथ ही नदी प्रदूषित होने का डर विश्राम घाट प्रबंधन को सता रहा था .ऐसे में प्रबंधन ने इतनी बड़ी तादात में राख को पर्यावरण के लिए उपयोग करना ठीक समझा. उद्यानिकी विभाग और एक्सपर्ट से विचार-विमर्श कर पौधारोपण में उपयोग करने का उपाय ढूंढा गया.जानकारों का कहना है कि मृतकों की राख में फास्फोरस की मात्रा बहुत अधिक होती है. जो कि पौधों को बढ़ने में लाभदायक होती है. ऐसे में 25 डंपर राख का उपयोग कर भदभदा विश्राम घाट में ही कोविड स्मृति वन बनाने की योजना बनाई है. वही करीब 500 मृतकों के कलश को नर्मदा मे विसर्जित किया गया.

विशेषज्ञों ने तैयार की खाद

कोरोना में अपनी जान गवा चुके मृतकों को की राख का इससे अच्छा सदुपयोग क्या हो सकता है. जिसमें राख को खाद के रूप में बनाकर पर्यावरण बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए विशेषज्ञों को बुलाकर राख, मिट्टी और भूसे सहित मृतकों की बची हुई लकड़ी का बुरादा, गोबर की खाद को मिलाकर विशेष पदार्थ बनाया गया है. इसमें करीब 100 ड्रम केमिकल मिलाया गया है जिससे 1 साल के अंदर एक घना जंगल तैयार होगा. जिसमें करीब 4000 पौधे पेड़ बन कर उभरेंगे. इसके लिए उद्यानिकी विभाग से विशेष रूप से विशेषज्ञों की मदद ली गई है.

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मृतकों के परिजन लगा रहे पौधे

कोरोना से मृतक परिवार के परिजनों को भदभदा विश्राम समिति द्वारा बुलाया जा रहा है जोकि शमशान में आकर अपने परिजनों की याद में पौधे लगा रहे हैं. अभी तक करीब 500 से 600 परिवार विश्राम घाट पहुंच चुके हैं जो यहां पौधारोपण कर रहे हैं. समिति के उपाध्यक्ष मंगतेश शर्मा ने बताया कि सभी परिजनों को समिति ने कॉल करके बुलाया जो यहां आकर परिजनों की याद में पौधारोपण कर रहे हैं.


जापानी तकनीक मियावाकी तकनीक से पौधारोपण

भोपाल एम्स के बाद दूसरा जापानी मियावाकी तकनीक से पौधारोपण किया जा रहा है. जिसमें छोटे से क्षेत्र में ही एक बड़ा जंगल सीमित समय में ही तैयार किया जा सकता है. इस दौरान 12 लाख रुपए की लागत से 12 हजार स्क्वायर फीट में 4000 पेड़ लगाए जा रहे हैं. जिसमें पौधे को 3 फीट की दूरी पर लगाया जाता है.यहां 70 तरह की प्रजातियों के पौधे लगाए जा रहे हैं जो आने वाले 2 साल में करीब 20 से 25 फिट तक पहुंच जाएंगे. जिससे आसपास के क्षेत्र में 60 हजार लीटर ऑक्सीजन प्रतिमाह पर्यावरण में मिलेगी साथ ही 50% तक ध्वनि प्रदूषण भी पेड़ों से कम होगा.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगाए पौधे

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी के के साथ श्मशान घाट पहुंचे. सीएम स्मृति वन में मृतक की आत्मा की शांति के लिए पौधा लगाया . सीएम ने अलग-अलग तरह के करीब आधा दर्जन पौधे लगाए है. मुख्यमंत्री भी लगातार पौधे लगाने की लोगो से अपील कर रहे है वे खुद भी रोजाना एक पौधा लगा रहे है. वाकई विश्राम घाट प्रबंधन की यह पहल अपने आप सराहनीय है.

भोपाल(Bhopal)। कोरोना के भयावह दौर में हजारों लोगों ने अपनी जान गवाई. इन सांसों की लड़ाई में हजारों लोगों ने अपनी जिंदगी गवा दी.अंतिम संस्कार के बाद बचे अवशेष ही आने वाले पीढ़ी के काम आने जा रही है इसके लिए एक सार्थक पहल शुरू की गई है. भदभदा विश्राम घाट में मृतकों की राख को विशेष जापानी तकनीक से खाद बनाकर कर 4000 हजार पौधे लगाने का काम किया जा रहा हैं जिससे कोविड स्मृति वन नाम दिया गया है.आखिर राख से खाद बनाने का काम कैसे किया जा रहा देखिए ईटीवी भारत की यह स्पेशल रिपोर्ट.

शवों की राख से होगा पर्यावरण संरक्षण
7000 मृतको की 25 डंपर राख का किया उपयोग

कोरोना के दौरान 3 माह में भदभदा विश्राम घाट में करीब 7000 शवों का अंतिम संस्कार किया गया था. इस दौरान करीब 25 डंपर राख बची हुई थी. जिसको नर्मदा नदी में प्रावाहित करने जा रहे थे लेकिन बड़ी मात्रा में होने के चलते साथ ही नदी प्रदूषित होने का डर विश्राम घाट प्रबंधन को सता रहा था .ऐसे में प्रबंधन ने इतनी बड़ी तादात में राख को पर्यावरण के लिए उपयोग करना ठीक समझा. उद्यानिकी विभाग और एक्सपर्ट से विचार-विमर्श कर पौधारोपण में उपयोग करने का उपाय ढूंढा गया.जानकारों का कहना है कि मृतकों की राख में फास्फोरस की मात्रा बहुत अधिक होती है. जो कि पौधों को बढ़ने में लाभदायक होती है. ऐसे में 25 डंपर राख का उपयोग कर भदभदा विश्राम घाट में ही कोविड स्मृति वन बनाने की योजना बनाई है. वही करीब 500 मृतकों के कलश को नर्मदा मे विसर्जित किया गया.

विशेषज्ञों ने तैयार की खाद

कोरोना में अपनी जान गवा चुके मृतकों को की राख का इससे अच्छा सदुपयोग क्या हो सकता है. जिसमें राख को खाद के रूप में बनाकर पर्यावरण बचाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. इसके लिए विशेषज्ञों को बुलाकर राख, मिट्टी और भूसे सहित मृतकों की बची हुई लकड़ी का बुरादा, गोबर की खाद को मिलाकर विशेष पदार्थ बनाया गया है. इसमें करीब 100 ड्रम केमिकल मिलाया गया है जिससे 1 साल के अंदर एक घना जंगल तैयार होगा. जिसमें करीब 4000 पौधे पेड़ बन कर उभरेंगे. इसके लिए उद्यानिकी विभाग से विशेष रूप से विशेषज्ञों की मदद ली गई है.

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मृतकों के परिजन लगा रहे पौधे

कोरोना से मृतक परिवार के परिजनों को भदभदा विश्राम समिति द्वारा बुलाया जा रहा है जोकि शमशान में आकर अपने परिजनों की याद में पौधे लगा रहे हैं. अभी तक करीब 500 से 600 परिवार विश्राम घाट पहुंच चुके हैं जो यहां पौधारोपण कर रहे हैं. समिति के उपाध्यक्ष मंगतेश शर्मा ने बताया कि सभी परिजनों को समिति ने कॉल करके बुलाया जो यहां आकर परिजनों की याद में पौधारोपण कर रहे हैं.


जापानी तकनीक मियावाकी तकनीक से पौधारोपण

भोपाल एम्स के बाद दूसरा जापानी मियावाकी तकनीक से पौधारोपण किया जा रहा है. जिसमें छोटे से क्षेत्र में ही एक बड़ा जंगल सीमित समय में ही तैयार किया जा सकता है. इस दौरान 12 लाख रुपए की लागत से 12 हजार स्क्वायर फीट में 4000 पेड़ लगाए जा रहे हैं. जिसमें पौधे को 3 फीट की दूरी पर लगाया जाता है.यहां 70 तरह की प्रजातियों के पौधे लगाए जा रहे हैं जो आने वाले 2 साल में करीब 20 से 25 फिट तक पहुंच जाएंगे. जिससे आसपास के क्षेत्र में 60 हजार लीटर ऑक्सीजन प्रतिमाह पर्यावरण में मिलेगी साथ ही 50% तक ध्वनि प्रदूषण भी पेड़ों से कम होगा.

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लगाए पौधे

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी के के साथ श्मशान घाट पहुंचे. सीएम स्मृति वन में मृतक की आत्मा की शांति के लिए पौधा लगाया . सीएम ने अलग-अलग तरह के करीब आधा दर्जन पौधे लगाए है. मुख्यमंत्री भी लगातार पौधे लगाने की लोगो से अपील कर रहे है वे खुद भी रोजाना एक पौधा लगा रहे है. वाकई विश्राम घाट प्रबंधन की यह पहल अपने आप सराहनीय है.

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