भोपाल। भोपाल को बाबूओं की बस्ती का नाम देने वाली दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार पीसी शर्मा जब गलियों में वोट मांगते हैं, तो अपनी राजनीतिक योग्यता में ये भी बताते हैं कि जनता की लड़ाई लड़ते हुए उन पर सौ से ज्यादा मामले दर्ज हुए जिनमें से बमुश्किल दस मामलों में जमानत मिल पाई है. ईटीवी भारत से खास बातचीत में पीसी शर्मा ने कहा कि मैं पांच साल में एक बार मुंह दिखाई वाला नेता नहीं हूं. जिन गलियों में वोट मांग रहा हूं, यहां हर हफ्ते आता रहा हूं.
100 से ज्यादा मामले लदे हैं जनता की लड़ाई में: पीसी शर्मा ईटीवी भारत से बातचीत में बताते हैं कि इस इलाके की जनता इन्हें फिर क्यों जिताएगी. वो कहते हैं मैं पूरे पांच साल इनके सुख दुख में रहता हूं. कोविड तीन बार हुआ मुझे. फिर भी डटकर जनता के बीच खड़ा रहा. अभी नामांकन भरते समय दस जमानते लगी मेरी. केस तो 100 से ज्यादा है और ये सारे मामले जनता की लड़ाई लड़ते हुए दर्ज हुए हैं.
मेरा काम मेरी जीत की गारंटी है: पीसी शर्मा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में कहा कि मैंने अपने क्षेत्र में जो काम किया है. वो मेरी जीत की गारंटी है. दक्षिण पश्चिम विधानसभा में सड़कों से लेकर मंदिर मस्जिद के जीर्णोद्धार तक सारे काम हमने कराए हैं. मेरा तो नारा ही है, मेरी विधानसभा मेरा परिवार. मैंने परिवार की तरह विधानसभा का ख्याल रखा है. लेकिन बीजेपी के उम्मीदवार भी खुद को सेवक बता रहे हैं. इस सवाल पर पीसी शर्मा कहते हैं, उनसे पूछा जाना चाहिए कि दक्षिण पश्चिम की सेवा उन्होंने क्या की.
वो जब यहां के विकास की बात करते हैं, तो मेरा सवाल है कि जो मास्टर प्लान था. आपकी सरकार ने क्यों लागू नहीं किया. जब स्मार्ट सिटी के नाम पर लोगों के मकान दुकान तोड़े जा रहे थे. सरकारी मकान ध्वस्त किए गए. तब इसका विरोध करने क्यों नहीं आए. सरकारी कर्मचारियों के लिए मकान बन गए, लेकिन उन्हें आवंटित नहीं किए गए. इसके लिए आवाज नहीं उठाई.
इस विधानसभा में कर्मचारी तय करेंगे जीत हार: दक्षिण पश्चिम विधानसभा सीट में ब्यूरोक्रेट्स के साथ कर्मचारी बड़ी तादात में एक तरह से इस विधानसभा सीट पर कर्मचारी ही निर्णायक वोटर है. पीसी शर्मा से हमारा सवाल था. बीजेपी का दावा है कि कर्मचारी केवल बीजेपी की सरकार में ग्रोथ हुई और वो खुश हैं. वे जवाब में कहते हैं अठारह साल में बीजेपी ने कर्मचारी हित में क्या किया. ओल्डपेंशन बंद कर दिया अनुकम्पा नियुक्ति नहीं हुई. मकान खाली हैं नए आवंटन नहीं हुए. कुल मिलाकर संविदा डेली वेजेस आउटसोर्स पूरा कर्मचारी नाराज है. मैं तो कहता हूं, इनके घर में भी कोई कर्मचारी होगा, तो वो बीजेपी को वोट नहीं देगा.