भोपाल। भारतीय जनता पार्टी के लिए बजट सत्र में होने वाला अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद का चुनाव चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है. फरवरी के आखिरी सप्ताह में बजट सत्र शुरू होगा और सत्र के पहले दिन ही अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होना है. ऐसे में बीजेपी अपने विधायकों को साधने में लगी हुई है. खासतौर से महाकौशल और विंध्य क्षेत्र के वो विधायक जो मंत्री पद के दावेदार थे और अध्यक्ष-उपाध्यक्ष के लिए भी सबसे बड़े दावेदार माने जा रहे हैं.
बीजेपी के लिए अध्यक्ष उपाध्यक्ष का चुनाव बना चुनौती
बजट सत्र में अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चुनाव बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि अध्यक्ष उपाध्यक्ष के लिए माना जा रहा है कि पार्टी विन्ध्य क्षेत्र के किसी नेता को अध्यक्ष पद के लिए नॉमिनेट करेगी. ऐसे में वह अन्य दावेदार जो मंत्री नहीं बन पाए हैं, उनमें कहीं ना कहीं नाराजगी उभरकर सामने आ सकती है. यही वजह है कि बीजेपी के विधायक के प्रशिक्षण के दौरान भी विधायकों को साधने के लिए उनको शालीन स्वभाव रखने की बात कही थी. ताकि किसी प्रकार का रोष या नाराजगी सोशल मीडिया पर उजागर ना हो और पार्टी की छवि के साथ ही विपक्ष को कोई मौका ना मिले.
पार्टी ने सभी विधायकों को शालीनता पूर्वक व्यवहार करने की हिदायत दी है. क्योंकि पिछली बार मंत्रिमंडल के विस्तार के दौरान मंत्री ना बन पाने की कसक खुलकर सामने आ रही थी. इन विधायकों द्वारा सोशल मीडिया पर बयानबाजी कर, कहीं ना कहीं पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर साधा निशाना साधा जा रहा था.
अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद के दावेदार
विधानसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद के लिए सबसे ज्यादा दावेदार विंध्य क्षेत्र के नेता माने जा रहे हैं. जिनमें गिरीश गौतम, केदार शुक्ला ,नागेंद्र सिंह के नाम प्रमुख रूप से है, वहीं ईश्वरदास रोहाणी का नाम भी हो सकता है. हालांकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा का नाम भी विधानसभा अध्यक्ष के तौर पर सामने आ रहा है क्योंकि शिवराज सरकार में तीसरे कार्यकाल के दौरान सीताशरण शर्मा ने अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी निभाई थी. ऐसे में पार्टी द्वारा उनके नाम पर भी विचार कर रही है. अन्य कई विधायक भी हैं, जिन्हें शिवराज सरकार में मंत्री नहीं बन पाने का मलाल है. इस सूची में पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला, गौरीशंकर बिसेन, रामपाल सिंह, संजय पाठक के अलावा यशपाल सिंह सिसोदिया चेतन कश्यप रमेश मेंदोला,पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीताशरण शर्मा के अलावा कई विधायक ऐसे हैं, जो मंत्री पद की दौड़ में हैं.
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प्रोटेम स्पीकर का सबसे लंबा रहा कार्यकाल
बजट सत्र में प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष पद का चुनाव कराएंगे. रामेश्वर शर्मा ऐसे पहले विधायक हैं, जो सबसे लंबे समय तक प्रोटेम स्पीकर रहे हैं. मार्च 2020 से करीब 11 महीने का कार्यकाल बतौर प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा का रहा है. हिंदूवादी नेता और भोपाल जिले की हुजूर विधानसभा से बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा भी मंत्री पद की दौड़ में सबसे प्रमुख माने जा रहे थे. लेकिन पार्टी ने उन्हें प्रोटेम स्पीकर बनाकर उपकृत किया.
अब देखना यही होगा कि बीजेपी किस तरीके से बजट सत्र में अध्यक्ष उपाध्यक्ष के चुनाव के दौरान अपने नेताओं को एड्रेस करती है. इस दौरान उपजे विरोध को किस तरीके से कंट्रोल करती है. हालांकि बीजेपी के अंदरूनी विद्रोह पर कांग्रेस चुटकी लेते हुए नजर आ रही है. कांग्रेस प्रवक्ता का कहना है कि पार्टी में जिस तरीके से मंत्रिमंडल के दौरान विंध्य क्षेत्र को अनदेखा किया था, अब समय आ गया है कि विंध्य क्षेत्र के लोग विधानसभा अध्यक्ष उपाध्यक्ष के लिए जोर आजमाइश करेंगे. सदन में पार्टी के लिए यह स्थिति कहीं ना कहीं चुनौतीपूर्ण रहेगी.
विधानसभा की स्थिति
28 सीटों पर हुए उपचुनाव में 19 सीटें जीतकर बीजेपी इस वक्त सदन में 126 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी हैं. जबकि 93 विधायकों के साथ कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, 2 विधायक बीएसपी के हैं और 1 विधायक समाजवादी पार्टी का. ऐसे में भले ही बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए अगर चुनाव की स्थिति बनती है तो निर्दलीय और अन्य पार्टियों को विधायकों को वोट भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं.
स्पीकर पर महाराष्ट्र में राज्यपाल बनाम सरकार !
एक तरफ जहां एमपी में बीजेपी असमंझस में है कि किसे विधानसभा का अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाएं तो वहीं महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर चुनाव को लेकर राज्यपाल के पत्र ने फिर से सियासी सरगर्मी को तेज कर दिया है. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने विधानसभा सचिवालय को पत्र भेजते हुए कहा है कि स्पीकर का चुनाव बजट सत्र से पहले होना चाहिए. बता दें महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष नाना पटोले ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. वे महाराष्ट्र कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं. अब माना जा रहा है कि राज्यपाल के दखल देने के बाद स्पीकर का चुनाव महाराष्ट्र सरकार के लिए किसी परीक्षा से कम नहीं होगा.