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MP: विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का चयन बीजेपी के लिए चुनौती

एमपी विधानसभा अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. माना जा रहा है कि ये दोनों पद विंध्य और महाकौशल के खाते में जा सकते हैं. लेकिन इन क्षेत्रों में कई नेताओं की दावेदारी सामने आ रही है. वहीं कांग्रेस भी अध्यक्ष पद के लिए उम्मीदवार खड़ा करने की तैयारी में है.

Assembly Hall
विधानसभा भवन
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Published : Jan 29, 2021, 9:02 PM IST

Updated : Jan 29, 2021, 9:15 PM IST

भोपाल। एमपी में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव 22 फरवरी को होगा. विधानसभा सचिवालय ने चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया है. इसके मुताबिक बजट सत्र के पहले ही दिन सदन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा. बीजेपी पर विंध्य क्षेत्र के नेताओं को एडजस्ट करने का दबाव है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद 17 साल बाद एक बार फिर विंध्य के खाते में जा सकता है. हालांकि कतार में महाकौशल का नाम भी सामने आ रहा है. माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष- उपाध्यक्ष के चयन में बीजेपी क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश करेगी. हालांकि बीजेपी के लिए ये आसान नहीं होने वाला है. क्योंकि विंध्य और महाकौशल से भी कई दावेदार हैं.

बीजेपी नेता लोकेंद्र पाराशर

विंध्य की दावेरदारी मजबूत

विंध्य क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले विधायकों में केदारनाथ शुक्ल और गिरीश गौतम सबसे प्रबल दावेदार हैं. गिरीश गौतम रीवा के देवतालाब सीट से और केदारनाथ शुक्ल सीधी सीट से भाजपा विधायक हैं. इसके अलावा राजेंद्र शुक्ल, नागेंद्र सिंह नागौद, गिरीश गौतम, नागेंद्र सिंह गुढ़, केदारनाथ शुक्ला और महाकौशल से अजय विश्नोई का नाम शामिल है. हालांकि अजय विश्नोई स्पष्ट कर चुके हैं कि वे इस पद के लिए फिट नहीं हैं.लेकिन वे लगातार यह मांग कर रहे हैं विधानसभा अध्यक्ष का पद विंध्य या महाकौशल अंचल में से किसी एक को मिलना चाहिए.

महाकौशल भी कतार में

महाकौशल क्षेत्र से गौरीशंकर बिसेन, संजय पाठक, अजय विश्नोई, जालम सिंह पटेल भी मजबूत दावेदार हैं. फिर भी राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शिवराज सरकार में प्रतिनिधित्व को देखा जाए तो इसमें विंध्य और महाकौशल को उचित स्थान नहीं मिला है. लिहाजा बीजेपी इन दो पदों के जरिए कुछ डैमेज कंट्रोल कर सकती है.

'योग्यता को वरीयता'

हालांकि बीजेपी का इस बारे में कुछ और ही कहना है. बीजेपी नेता लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि चुनाव में क्षेत्रवाद को नहीं योग्यता को वरीयता दी जाएगी. अभी कोरोना काल के चलते विधानसभा सत्र नहीं चल पाया. लेकिन आगामी सत्र में स्थिति साफ हो जाएगी.

सीताशरण शर्मा के नाम की भी विचार

मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व स्पीकर सीताशरण शर्मा भी इस रेस में हैं. भाजपा विधानसभा उपाध्यक्ष का पद भी अपने पास रखेगी. इस बात के संकेत बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व स्पष्ट दे चुका है. यानी बीजेपी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के जरिए सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करेगी.

मंत्रिमंडल की बची हुई सीटों को भरने की भी तैयारी

इस संभावना पर भी विचार हो रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का नाम तय करते समय मंत्रिमंडल की बची हुई सीटों को भी भरने के लिए नाम तय हों. अभी शिवराज कैबिनेट में 4 मंत्रियों को फिट किया जा सकता है. मुख्यमंत्री समेत वर्तमान में कैबिनेट सदस्यों की संख्या 31 है. कुल 35 मंत्री बनाए जा सकते हैं.

हाल का सियासी घटनाक्रम

दरअसल, मध्य प्रदेश में मार्च में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने और बीजेपी का दामन थाम लेने के बाद कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई हो गई थी. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनी. ऐसे में कमलनाथ सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे नर्मदा प्रजापति के इस्तीफे के बाद बीजेपी के वरिष्ठ विधायक जगदीश देवड़ा प्रोटेम स्पीकर बने थे, लेकिन जुलाई में कैबिनेट में शामिल होने के लिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.

जगदीश देवड़ा के इस्तीफे के बाद 3 जुलाई को बीजेपी नेता व विधायक रामेश्वर शर्मा प्रोटेम स्पीकर बनाए गए थे, तब से लेकर अभी तक वे ही विधानसभा का कामकाज देख रहे हैं. प्रोटेम स्पीकर रहते उन्होंने कांग्रेस के कई विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए.

रामेश्वर शर्मा ने बनाया रिकॉर्ड

प्रोटेम स्पीकर के पद पर रहते हुए बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने एक अनोखा रिकॉर्ड बना दिया है. वे देश के इकलौते ऐसे विधायक बन गए हैं, जिन्होंने लगातार सात महीने तक प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी संभाली है. रामेश्वर शर्मा वर्तमान में भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं.

मध्य प्रदेश में अब बीजेपी 126 विधायकों के साथ सदन में सबसे बड़ी पार्टी है. 22 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है. माना जा रहा है कि बजट सत्र के पहले ही दिन अध्यक्ष पद का चुनाव होगा. इसीलिए बीजेपी स्थायी विधानसभा अध्यक्ष के चयन करने पर मंथन शुरू कर दिया गया है. फरवरी के पहले सप्ताह में बीजेपी स्पीकर के लिए नाम तय कर उसका ऐलान कर सकती है.

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने उपचुनाव जीतने के बाद कहा था कि विंध्य से ही विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए. वहीं, जबलपुर के दिग्गज नेता और पार्टी विधायक अजय विश्नोई ने कहा था कि मैं तो काफी पहले से विंध्य इलाके से विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की मांग करता रहा हूं. ऐसे में माना जा रहा है कि विंध्य क्षेत्र से आने वाले किसी नेता को बीजेपी स्पीकर की कुर्सी पर बैठा सकती है. ऐसा होता है, तो 17 साल के बाद विंध्य क्षेत्र से कोई विधानसभा अध्यक्ष बनेगा. विंध्य से श्रीनिवास तिवारी 24 दिसंबर 1993 से 11 दिसंबर 2003 तक एमपी के विधानसभा अध्यक्ष रहे थे.

कांग्रेस का चैलेंज

कांग्रेस आलाकमान स्पष्ट कर चुका है कि बीजेपी अगर विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को नहीं देती तो वे भी अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे. वहीं बीजेपी कांग्रेस के इन आरोपों को खारिज करती आई है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि ये परंपरा तो कांग्रेस ने तोड़ी थी. जब वे सत्ता में आए तो दोनों ही पद अपने पास रखे. अब हमसे क्यों उम्मीद कर रहे हैं. बता दें एमपी लंबे समय से ये परंपरा चली आ रही है कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के खाते में जाता है. लेकिन 2018 विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने दोनों ही पद अपने पास रखे थे. जिनमें अध्यक्ष पद एनपी प्रजापति और उपाध्यक्ष हिना कावरे को बनाया गया था.

विधानसभा की स्थिति

28 सीटों पर हुए उपचुनाव में 19 सीटें जीतकर बीजेपी इस वक्त सदन में 126 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी हैं. जबकि 93 विधायकों के साथ कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, 2 विधायक बीएसपी के हैं और 1 विधायक समाजवादी पार्टी का. ऐसे में भले ही बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए अगर चुनाव की स्थिति बनती है तो निर्दलीय और अन्य पार्टियों को विधायकों को वोट भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं.

भोपाल। एमपी में विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव 22 फरवरी को होगा. विधानसभा सचिवालय ने चुनाव कार्यक्रम जारी कर दिया है. इसके मुताबिक बजट सत्र के पहले ही दिन सदन के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव होगा. बीजेपी पर विंध्य क्षेत्र के नेताओं को एडजस्ट करने का दबाव है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष का पद 17 साल बाद एक बार फिर विंध्य के खाते में जा सकता है. हालांकि कतार में महाकौशल का नाम भी सामने आ रहा है. माना जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष- उपाध्यक्ष के चयन में बीजेपी क्षेत्रीय संतुलन बनाने की कोशिश करेगी. हालांकि बीजेपी के लिए ये आसान नहीं होने वाला है. क्योंकि विंध्य और महाकौशल से भी कई दावेदार हैं.

बीजेपी नेता लोकेंद्र पाराशर

विंध्य की दावेरदारी मजबूत

विंध्य क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले विधायकों में केदारनाथ शुक्ल और गिरीश गौतम सबसे प्रबल दावेदार हैं. गिरीश गौतम रीवा के देवतालाब सीट से और केदारनाथ शुक्ल सीधी सीट से भाजपा विधायक हैं. इसके अलावा राजेंद्र शुक्ल, नागेंद्र सिंह नागौद, गिरीश गौतम, नागेंद्र सिंह गुढ़, केदारनाथ शुक्ला और महाकौशल से अजय विश्नोई का नाम शामिल है. हालांकि अजय विश्नोई स्पष्ट कर चुके हैं कि वे इस पद के लिए फिट नहीं हैं.लेकिन वे लगातार यह मांग कर रहे हैं विधानसभा अध्यक्ष का पद विंध्य या महाकौशल अंचल में से किसी एक को मिलना चाहिए.

महाकौशल भी कतार में

महाकौशल क्षेत्र से गौरीशंकर बिसेन, संजय पाठक, अजय विश्नोई, जालम सिंह पटेल भी मजबूत दावेदार हैं. फिर भी राजनीतिक पंडितों का मानना है कि शिवराज सरकार में प्रतिनिधित्व को देखा जाए तो इसमें विंध्य और महाकौशल को उचित स्थान नहीं मिला है. लिहाजा बीजेपी इन दो पदों के जरिए कुछ डैमेज कंट्रोल कर सकती है.

'योग्यता को वरीयता'

हालांकि बीजेपी का इस बारे में कुछ और ही कहना है. बीजेपी नेता लोकेंद्र पाराशर का कहना है कि चुनाव में क्षेत्रवाद को नहीं योग्यता को वरीयता दी जाएगी. अभी कोरोना काल के चलते विधानसभा सत्र नहीं चल पाया. लेकिन आगामी सत्र में स्थिति साफ हो जाएगी.

सीताशरण शर्मा के नाम की भी विचार

मध्य प्रदेश विधानसभा के पूर्व स्पीकर सीताशरण शर्मा भी इस रेस में हैं. भाजपा विधानसभा उपाध्यक्ष का पद भी अपने पास रखेगी. इस बात के संकेत बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व स्पष्ट दे चुका है. यानी बीजेपी अध्यक्ष व उपाध्यक्ष पद के जरिए सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश करेगी.

मंत्रिमंडल की बची हुई सीटों को भरने की भी तैयारी

इस संभावना पर भी विचार हो रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष का नाम तय करते समय मंत्रिमंडल की बची हुई सीटों को भी भरने के लिए नाम तय हों. अभी शिवराज कैबिनेट में 4 मंत्रियों को फिट किया जा सकता है. मुख्यमंत्री समेत वर्तमान में कैबिनेट सदस्यों की संख्या 31 है. कुल 35 मंत्री बनाए जा सकते हैं.

हाल का सियासी घटनाक्रम

दरअसल, मध्य प्रदेश में मार्च में कांग्रेस विधायकों के इस्तीफा देने और बीजेपी का दामन थाम लेने के बाद कमलनाथ सरकार की सत्ता से विदाई हो गई थी. इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार बनी. ऐसे में कमलनाथ सरकार में विधानसभा अध्यक्ष रहे नर्मदा प्रजापति के इस्तीफे के बाद बीजेपी के वरिष्ठ विधायक जगदीश देवड़ा प्रोटेम स्पीकर बने थे, लेकिन जुलाई में कैबिनेट में शामिल होने के लिए उन्होंने इस्तीफा दे दिया था.

जगदीश देवड़ा के इस्तीफे के बाद 3 जुलाई को बीजेपी नेता व विधायक रामेश्वर शर्मा प्रोटेम स्पीकर बनाए गए थे, तब से लेकर अभी तक वे ही विधानसभा का कामकाज देख रहे हैं. प्रोटेम स्पीकर रहते उन्होंने कांग्रेस के कई विधायकों के इस्तीफे मंजूर किए.

रामेश्वर शर्मा ने बनाया रिकॉर्ड

प्रोटेम स्पीकर के पद पर रहते हुए बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने एक अनोखा रिकॉर्ड बना दिया है. वे देश के इकलौते ऐसे विधायक बन गए हैं, जिन्होंने लगातार सात महीने तक प्रोटेम स्पीकर की जिम्मेदारी संभाली है. रामेश्वर शर्मा वर्तमान में भोपाल की हुजूर विधानसभा सीट से लगातार दूसरी बार विधायक बने हैं.

मध्य प्रदेश में अब बीजेपी 126 विधायकों के साथ सदन में सबसे बड़ी पार्टी है. 22 फरवरी से विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो रहा है. माना जा रहा है कि बजट सत्र के पहले ही दिन अध्यक्ष पद का चुनाव होगा. इसीलिए बीजेपी स्थायी विधानसभा अध्यक्ष के चयन करने पर मंथन शुरू कर दिया गया है. फरवरी के पहले सप्ताह में बीजेपी स्पीकर के लिए नाम तय कर उसका ऐलान कर सकती है.

कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आए मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने उपचुनाव जीतने के बाद कहा था कि विंध्य से ही विधानसभा अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए. वहीं, जबलपुर के दिग्गज नेता और पार्टी विधायक अजय विश्नोई ने कहा था कि मैं तो काफी पहले से विंध्य इलाके से विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने की मांग करता रहा हूं. ऐसे में माना जा रहा है कि विंध्य क्षेत्र से आने वाले किसी नेता को बीजेपी स्पीकर की कुर्सी पर बैठा सकती है. ऐसा होता है, तो 17 साल के बाद विंध्य क्षेत्र से कोई विधानसभा अध्यक्ष बनेगा. विंध्य से श्रीनिवास तिवारी 24 दिसंबर 1993 से 11 दिसंबर 2003 तक एमपी के विधानसभा अध्यक्ष रहे थे.

कांग्रेस का चैलेंज

कांग्रेस आलाकमान स्पष्ट कर चुका है कि बीजेपी अगर विधानसभा उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को नहीं देती तो वे भी अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार खड़ा करेंगे. वहीं बीजेपी कांग्रेस के इन आरोपों को खारिज करती आई है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि ये परंपरा तो कांग्रेस ने तोड़ी थी. जब वे सत्ता में आए तो दोनों ही पद अपने पास रखे. अब हमसे क्यों उम्मीद कर रहे हैं. बता दें एमपी लंबे समय से ये परंपरा चली आ रही है कि उपाध्यक्ष का पद विपक्ष के खाते में जाता है. लेकिन 2018 विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने दोनों ही पद अपने पास रखे थे. जिनमें अध्यक्ष पद एनपी प्रजापति और उपाध्यक्ष हिना कावरे को बनाया गया था.

विधानसभा की स्थिति

28 सीटों पर हुए उपचुनाव में 19 सीटें जीतकर बीजेपी इस वक्त सदन में 126 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी हैं. जबकि 93 विधायकों के साथ कांग्रेस दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है, 2 विधायक बीएसपी के हैं और 1 विधायक समाजवादी पार्टी का. ऐसे में भले ही बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी है. लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए अगर चुनाव की स्थिति बनती है तो निर्दलीय और अन्य पार्टियों को विधायकों को वोट भी महत्वपूर्ण हो सकते हैं.

Last Updated : Jan 29, 2021, 9:15 PM IST
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