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महामारी के बीच मसीहा बनीं आशी, गांव-गांव जाकर जगा रहीं शिक्षा की अलख

भोपाल की रहने वाली एक युवा कम्युनेकटर कोरोना महामारी के बीच ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को शिक्षित करने का काम कर रही हैं. वो रोजाना गांव पहुंचकर हर दिन नई गली में बच्चों को एकत्रित करती हैं और रोजाना अलग-अलग विषयों पर बच्चों को पढ़ा रही हैं.

Ashi Chauhan became the messiah amidst epidemic
महामारी के बीच मसीहा बनीं आशी
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Published : Sep 22, 2020, 5:36 PM IST

Updated : Sep 22, 2020, 11:01 PM IST

भोपाल। शिक्षा किसी देश की रीढ़ की हड्डी होती है, जो लोगों न केवल जागरूक बनाती हैं बल्कि अच्छे व्यक्तित्व के निर्माण के लिए बहुत जरूरी है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते पिछले 6 माह से स्कूल बंद पड़े हुए हैं. ऐसे में छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई का ही एक जरिया है, जिससे वो शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं. लेकिन सरकार के तमाम वादों के बाद हकीकत यही है कि करीब ग्रामीण छात्रों के पास ना तो इंटरनेट की अच्छी कनेक्टिविटी है और न ही पर्याप्त संसाधन. जिससे छात्रों की पढ़ाई बहुत ज्यादा प्रभावित हो रही है. ऐसे में एक लड़की ने कोरोना महामारी के बीच छात्रों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है. राजधानी की रहने वाली आशा चौहान इन दिनों ग्रामीण बच्चों के लिए मसीहा बनी हुई है. वे पिछले 6 महीने से गांव-गांव जाकर छात्रों को पढ़ा रही हैं. जिससे छात्रों को काफी फायदा हो रहा है.

महामारी के बीच मसीहा बनीं आशी

आशी चौहान एक युवा कम्यूनिकेटर हैं, जो पिछले 5 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं. विज्ञान के बारे में बच्चों एवं आमजनों को जागरूक करने के लिए आशी तरह-तरह के प्रयास कर रही हैं. शिक्षा के क्षेत्र में उनके सराहनीय कामों के लिए उन्हें राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

'हर दिन नई गली नया विषय'

आज जब देश कोरोना संक्रमण की चपेट में है और स्कूल कॉलेज बंद हैं तो आशी ने अपने प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा है. वो सुबह-सुबह घर से निकलती हैं और गांव पहुंचकर छात्रों को हर दिन नई गली में एकत्रित करती हैं. जहां हर दिन नए-नए विषयों पर छात्रों को जागरूक किया जाता है. वहीं जो छात्र संसाधनों की कमी के चलते स्कूल में ऑनलाइन कक्षाओं से नही जुड़ पाते आशी उन छात्रों को कक्षाएं देने में मदद कर रही हैं.

पढ़ाने के लिए हमेशा लालायित

आशी चौहान का कहना है कि कोरोना की इस कठिन घड़ी में हर कोई अपना-अपना योगदान दे रहा है. ऐसे में शिक्षा सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि लॉक डाउन के समय तो उन्होंने घर के आस पास के बच्चों को पढ़ाने का प्रयास किया. लेकिन जैसे-जैसे लॉक डाउन खुला तो उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बच्चों से बातचीत की और उनके माता पिता से अनुमति लेकर उन्हें पढ़ाना शुरू किया.

बच्चों का पढ़ाई से हो रहा मोहभंग

आशी ने बताया आज संक्रमण के डर के कारण ऑनलाइन कक्षाएं तो लग रही हैं लेकिन कई सारे बच्चे इन कक्षाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे छात्र अपने माता-पिता के काम मे हाथ बटा रहे हैं. जिससे उनका शिक्षा से मोह भंग होता जा रहा है. ऐसे में उन्होंने बच्चों को जागरूक करने के लिए उन्होंने कई प्रयास किए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर छात्रों की कक्षाएं लगाई, बच्चों को किताबें भी वितरित की , जिससे हर बच्चा शिक्षा से जुड़ा रहे.

आशी चौहान का शिक्षा के प्रति समर्पण और उत्सुकता हजारों बच्चों का सहारा बना हुआ है. वे बिना किसी सरकारी मदद के इस महामारी के बीच भी बच्चों को जागरूक कर रही हैं. जिससे ये छात्र भविष्य में देश की उन्नति में सहयोग कर सके.

भोपाल। शिक्षा किसी देश की रीढ़ की हड्डी होती है, जो लोगों न केवल जागरूक बनाती हैं बल्कि अच्छे व्यक्तित्व के निर्माण के लिए बहुत जरूरी है. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते पिछले 6 माह से स्कूल बंद पड़े हुए हैं. ऐसे में छात्रों के पास ऑनलाइन पढ़ाई का ही एक जरिया है, जिससे वो शिक्षा ग्रहण कर सकते हैं. लेकिन सरकार के तमाम वादों के बाद हकीकत यही है कि करीब ग्रामीण छात्रों के पास ना तो इंटरनेट की अच्छी कनेक्टिविटी है और न ही पर्याप्त संसाधन. जिससे छात्रों की पढ़ाई बहुत ज्यादा प्रभावित हो रही है. ऐसे में एक लड़की ने कोरोना महामारी के बीच छात्रों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है. राजधानी की रहने वाली आशा चौहान इन दिनों ग्रामीण बच्चों के लिए मसीहा बनी हुई है. वे पिछले 6 महीने से गांव-गांव जाकर छात्रों को पढ़ा रही हैं. जिससे छात्रों को काफी फायदा हो रहा है.

महामारी के बीच मसीहा बनीं आशी

आशी चौहान एक युवा कम्यूनिकेटर हैं, जो पिछले 5 वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में काम कर रही हैं. विज्ञान के बारे में बच्चों एवं आमजनों को जागरूक करने के लिए आशी तरह-तरह के प्रयास कर रही हैं. शिक्षा के क्षेत्र में उनके सराहनीय कामों के लिए उन्हें राज्य से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के पुरस्कार भी मिल चुके हैं.

'हर दिन नई गली नया विषय'

आज जब देश कोरोना संक्रमण की चपेट में है और स्कूल कॉलेज बंद हैं तो आशी ने अपने प्रयासों से ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखा है. वो सुबह-सुबह घर से निकलती हैं और गांव पहुंचकर छात्रों को हर दिन नई गली में एकत्रित करती हैं. जहां हर दिन नए-नए विषयों पर छात्रों को जागरूक किया जाता है. वहीं जो छात्र संसाधनों की कमी के चलते स्कूल में ऑनलाइन कक्षाओं से नही जुड़ पाते आशी उन छात्रों को कक्षाएं देने में मदद कर रही हैं.

पढ़ाने के लिए हमेशा लालायित

आशी चौहान का कहना है कि कोरोना की इस कठिन घड़ी में हर कोई अपना-अपना योगदान दे रहा है. ऐसे में शिक्षा सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि लॉक डाउन के समय तो उन्होंने घर के आस पास के बच्चों को पढ़ाने का प्रयास किया. लेकिन जैसे-जैसे लॉक डाउन खुला तो उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर बच्चों से बातचीत की और उनके माता पिता से अनुमति लेकर उन्हें पढ़ाना शुरू किया.

बच्चों का पढ़ाई से हो रहा मोहभंग

आशी ने बताया आज संक्रमण के डर के कारण ऑनलाइन कक्षाएं तो लग रही हैं लेकिन कई सारे बच्चे इन कक्षाओं का लाभ नहीं ले पा रहे हैं. ऐसे छात्र अपने माता-पिता के काम मे हाथ बटा रहे हैं. जिससे उनका शिक्षा से मोह भंग होता जा रहा है. ऐसे में उन्होंने बच्चों को जागरूक करने के लिए उन्होंने कई प्रयास किए हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में जाकर छात्रों की कक्षाएं लगाई, बच्चों को किताबें भी वितरित की , जिससे हर बच्चा शिक्षा से जुड़ा रहे.

आशी चौहान का शिक्षा के प्रति समर्पण और उत्सुकता हजारों बच्चों का सहारा बना हुआ है. वे बिना किसी सरकारी मदद के इस महामारी के बीच भी बच्चों को जागरूक कर रही हैं. जिससे ये छात्र भविष्य में देश की उन्नति में सहयोग कर सके.

Last Updated : Sep 22, 2020, 11:01 PM IST
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