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'दिल की दुकान' का कलाकारों ने किया मंचन - 'Shop of the heart'

भोपाल के शहीद भवन में पांच दिवसीय हास्य नाट्य समारोह के दूसरे दिन 'दिल की दुकान' का मंचन किया गया. इसके लेखक राजेंद्र शर्मा और निर्देशक सुमित द्विवेदी हैं. हास्य-व्यंग्य से ओत-प्रोत इस नाटक में लगभग 7 कलाकारों ने अभिनय किया.

'Dil Ki Dukan' staged
'दिल की दूकान' का मंचन
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Published : Dec 23, 2019, 11:56 PM IST

भोपाल । शहर के शहीद भवन में पांच दिवसीय हास्य नाट्य समारोह के दूसरे दिन 'दिल की दुकान' का मंचन किया गया. इसके लेखक राजेंद्र शर्मा और निर्देशक सुमित द्विवेदी हैं. हास्य-व्यंग्य से ओत-प्रोत इस नाटक में लगभग 7 कलाकारों ने अभिनय किया.

'दिल की दूकान' का मंचन

लेखक राजेंद्र शर्मा द्वारा लिखित इस नाटक के द्वारा हास-परिहास के साथ ये संदेश दिया गया है कि यदि मनुष्य कोशिश करे तो हृदय परिवर्तन संभव है, जिसके जरिए मनुष्य अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त कर सकता है. लेकिन समाज तो अपने ही ढर्रे पर चलता है. नई प्रेरणा, नया संदेश देने वाले व्यक्ति का प्यार भरा दिल कुचल दिया जाता है. दिल की दुकान का मालिक तरह-तरह की विशेषताओं से युक्त दिल बेचता है तो दूसरी ओर समाज में अनेक विसंगतियां हैं. कोई कंजूस है तो कोई शराबी तो कोई पत्नी पीड़ित, जितनी भी दवा इजाद हो दर्द दिल का मर्ज बढ़ता गया. अंततः बीमार समाज अपने दिलदार का क्या करता है, यही देखने को मिला इस नाटक में.

इस नाटक का मंचन कर रहे कलाकार सेवारत शासकीय कर्मचारी हैं, जिनका सारा समय, सारी ऊर्जा फाइलों का बोझ ढोने में ही समाप्त हो जाती है. इस नाटक के जरिए उनको हंसने-हंसाने का मौका प्राप्त हुआ.

भोपाल । शहर के शहीद भवन में पांच दिवसीय हास्य नाट्य समारोह के दूसरे दिन 'दिल की दुकान' का मंचन किया गया. इसके लेखक राजेंद्र शर्मा और निर्देशक सुमित द्विवेदी हैं. हास्य-व्यंग्य से ओत-प्रोत इस नाटक में लगभग 7 कलाकारों ने अभिनय किया.

'दिल की दूकान' का मंचन

लेखक राजेंद्र शर्मा द्वारा लिखित इस नाटक के द्वारा हास-परिहास के साथ ये संदेश दिया गया है कि यदि मनुष्य कोशिश करे तो हृदय परिवर्तन संभव है, जिसके जरिए मनुष्य अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त कर सकता है. लेकिन समाज तो अपने ही ढर्रे पर चलता है. नई प्रेरणा, नया संदेश देने वाले व्यक्ति का प्यार भरा दिल कुचल दिया जाता है. दिल की दुकान का मालिक तरह-तरह की विशेषताओं से युक्त दिल बेचता है तो दूसरी ओर समाज में अनेक विसंगतियां हैं. कोई कंजूस है तो कोई शराबी तो कोई पत्नी पीड़ित, जितनी भी दवा इजाद हो दर्द दिल का मर्ज बढ़ता गया. अंततः बीमार समाज अपने दिलदार का क्या करता है, यही देखने को मिला इस नाटक में.

इस नाटक का मंचन कर रहे कलाकार सेवारत शासकीय कर्मचारी हैं, जिनका सारा समय, सारी ऊर्जा फाइलों का बोझ ढोने में ही समाप्त हो जाती है. इस नाटक के जरिए उनको हंसने-हंसाने का मौका प्राप्त हुआ.

Intro:
शहीद भवन भोपाल में पांच दिवसीय एकता हास्य नाट्य समारोह के दूसरे दिन नाटक दिल की दुकान का मंचन किया गया इसके लेखक राजेंद्र शर्मा और इस नाटक को निर्देशित किया सुमित द्विवेदी ने हास्य व्यंग से ओतप्रोत इस नाटक में लगभग 7 कलाकारों ने अभिनय किया


Body:दिल का मामला कभी दिल्लगी होता है तो कभी दिल की लगी लेखक रमेश लेखक राजेंद्र शर्मा द्वारा लिखित इस नाटक के द्वारा हास परिहास के साथ यह संदेश दिया गया है कि यदि मनुष्य प्रयत्न करें तो हृदय परिवर्तन संभव है हृदय परिवर्तन कर मनुष्य अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त कर सकता है किंतु समाज तो अपने ही ढर्रे पर चलता है नई प्रेरणा नया संदेश देने वाले व्यक्ति का प्यार भरा दिल कुचल देता है दिल की दुकान का मालिक तरह-तरह की विशेषताओं से युक्त दिल बेचता है तो दूसरी ओर समाज में अनेक विसंगतियां हैं कोई कंजूस है तो कोई शराबी कोई पत्नी पीड़ित जितनी भी दवा की दर्द दिल की मर्ज बढ़ता गया अंततः बीमार समाज अपने दिलदार का क्या करता है यही देखने को मिला इस नाटक में


Conclusion:इस नाटक को खेल रहे कलाकार शासकीय सेवारत कर्मचारी हैं जिनका सारा समय सारी ऊर्जा फाइलों के गड्ढों का बोझ ढोने में ही समाप्त हो जाती है इस नाटक के जरिए उनको हंसने हंसाने का मौका प्राप्त हुआ
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