भोपाल। अब भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (Bhopal Gandhi Medical College) एवं मध्यप्रदेश के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज में फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम शुरू किया जा रहा है. (Physiotherapy Course in Government Medical College) मध्य प्रदेश के फिजियोथेरेपिस्ट संघ ने मंत्री से मुलाकात करने पहुंचा था. जिसके बाद सारंग ने यह ऐलान किया है. मंत्री ने कहा कि भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में जल्द ही इसके कोर्स की शुरुआत की जाएगी. जिसके बाद अन्य मेडिकल कॉलेज में भी इसे लागू किया जाएगा. इसका ऐलान मध्य प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने किया है.
फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम प्रारंभ: गांधी मेडिकल कॉलेज चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा सेवा का महत्वपूर्ण केन्द्र है. जहां से आधुनिक चिकित्सा पद्धति के लगभग 100 से अधिक चिकित्सक प्रति वर्ष तैयार होकर निकलते हैं. इस कॉलेज के चिकित्सालय से लाखों रोगी चिकित्सा सेवाएं प्राप्त करते हैं. किन्तु इस कॉलेज में फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम संचालित नहीं है. अब गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल के साथ ही प्रदेश के अन्य कॉलेजो में फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम प्रारंभ करने का रहे हैं.
फिजियोथेरेपी कारगर: सारंग ने कहा कि मध्यप्रदेश के गांधी मेडिकल कॉलेज में इसके कोर्स की शुरुआत इसी सत्र से की जाएगी. सारंग ने कहा कि आधुनिक युग में फिजियोथेरेपी अनिवार्य आवश्यकता के रूप में उभर कर सामने आई है. खेल के मैदान से लेकर गहन चिकित्सा इकाई तक एवं नवजात शिशु से लेकर बृद्धावस्था की गंभीर समस्याओं की चिकित्सा में फिजियोथेरेपी कारगर साबित हुई है.
जीवन रक्षा में फिजियोथेरेपी आवश्यक: इस पद्धति के अंतर्गत जटिल से जटिल सर्जरी, हड्डियों की टूटफूट, खेल के मैदान में खिलाड़ियों को आने वाली चोटों तथा मांस-पेसियों जोडों एवं न्यूरो तंत्र से संबंधित समस्याओं, बीमारियों, चोटों के इलाज में फिजियोथेरेपी की महत्वपूर्ण भूमिका स्थापित हो चुकी, बहुत बड़ी संख्या में सामान्य जन एवं मरीज इसकी चिकित्सा प्राप्त करते हैं. इस तरह रोगियों के स्वास्थ्य एवं जीवन रक्षा में फिजियोथेरेपी एवं फिजियोथेरेपिस्ट को उच्चस्तरीय शिक्षण प्रशिक्षण की सुविधाएं उपलब्ध कराना अति आवश्यक है.
सरकार की पहल मानी जा रही सराहनीय: मध्य प्रदेश फिजियोथैरेपिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष सुनील पांडेय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि दल मंत्री से मिलने गया था. सुनील पांडेय ने बताया कि मध्य प्रदेश में आठ से 10,000 फिजियोथैरेपिस्ट हैं, लेकिन सरकारी कॉलेजों से डिग्री नहीं होने के चलते उन्हें बेहतर जॉब नहीं मिल पाता. साथ ही प्राइवेट कॉलेजों की डिग्री होने से उनका वेतन मान भी कम होता है. ऐसे में सरकार की यह पहल सराहनीय है.
सभी विषय सम्मिलित: आपको बता दे कि, मध्यप्रदेश में अभी जबलपुर और इंदौर में ही सरकारी तौर पर इसका कोर्स कराया जाता है. जबकि प्राइवेट कई कॉलेज हैं जहां पर फिजियोथैरेपिस्ट की डिग्री पढ़ाई के बाद मिल जाती है. फिजियोथेरेपी में साढ़े चार वर्ष की बैचलर डिग्री (चार वर्ष की थ्योरी एवं छह माह की अनिवार्य रोटेटरी इन्टर्नशिप) के अलाबा अनेक विषयों में दो वर्ष अवधि के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (मास्टर्स कोर्स) चलाये जा रहे हैं. जैसे आर्थोपेडिक, न्यूरोलॉजी, गायनेकोलॉजी, पिडियाट्रिक्स, जिरियाटिक केयर, स्पोर्टस्, पुनर्वास, कम्युनिटी बेस्ड रिहेबिलिटेशन, एवं मस्क्युलो रिहेबिलिटेशन आदि की विशेषज्ञता में मास्टर्स डिग्री के साथ ही पीएचडी पाठ्यक्रम भी संचालित है. फिजियोथेरेपी के पाठ्कम में माडर्न मेडिसिन (एलोपैथी) के लगभग सभी विषय सम्मिलित हैं.
अध्यापन की उच्चस्तरीय व्यवस्था: प्रदेश में संचालित चिकित्सा सेवाओं के स्तरोन्नयन तथा इलाज की गुणवत्ता में सुधार हेतु रोगी हित में फिजियोथेरेपी के संदर्भ में कुछ आवश्यक नियम, निर्देश लागू करने की नितान्त आवश्यकता अभी भी है. इधर संगठन से जुड़े पदाधिकारियों का यह भी कहना है कि प्रदेश में संचालित समस्त मेडिकल कालेजों में फिजियोथेरेपी के स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम प्रारंभ किये जायेंगे तो बेहतर है. चूंकि फिजियोथेरेपी के लगभग सभी विषय एलोपैथी के ही होते हैं. इस कारण मेडिकल कालेजों में पदस्थ प्रोफेसर एवं विषय विशेषज्ञों के मार्गदर्शन में विद्यार्थियों के अध्यापन की उच्चस्तरीय व्यवस्था सहजता पूर्वक उपलब्ध कराई जा सकती है.
विद्यार्थियों को होगी सुविधा: मेडिकल कालेजों में फिजियोथेरेपी पाठ्यक्रम प्रारंभ होने पर वहां पूर्व से ही उपलब्ध अधोसंरचना तथा प्रायोगिक एवं अनुसंधान सुविधाओं का उपयोग बिना अतिरिक्त व्यय के फिजियोथेरेपी के विद्यार्थियों को उपलब्ध होगा. जिससे विद्यार्थियों को ना केवल उच्चस्तरीय गुणवत्तायुक्त शिक्षण, प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध होने के साथ फिजियोथेरेपी में अनुसंधान का मार्ग प्रशस्त होगा. बल्की इन सब का लाभ पीड़ित रोगियों की जीवन रक्षा तथा उनके कष्टों को कम करने के सहायक सिद्ध होगा.