भोपाल। दिवाली गुज़र गई लेकिन सियासत में इस दिवाली पर बांटे गए तोहफों की चर्चाएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं. तोहफा, तोहफा.. आया, आया.. कि तर्ज कर ऐसे-ऐसे गिफ्ट भिजवाए गए हैं कि आप कहेंगे हाय हम ना हुए. सबसे ज्यादा चर्चा प्रदेश के उन मंत्री की है, जिन्होंने दिवाली गिफ्ट में अपने खास लोगों के यहां एक-एक बोरी चावल भिजवाए हैं. अब मंत्री जी की चावल की बोरी के बहाने कौन सी खिचड़ी पकाने की तैयारी में हैं कौन जानें. और सुनिए एक बड़े मलाईदार विभाग के मंत्री के यहां तो सुना है कि ठेकेदार दिवाली गिफ्ट में तिजोरी दे आए. अब ठेकेदार को क्या अंदाज़ा था इस बात का कि चुनावी साल के पहले मंत्री जी की सबसे बड़ी जरुरत तिजोरी है, मंत्री भी जानते हैं कि चुनावी साल के पहले की ये दिवाली राजशाही वाली आखिरी दिवाली भी हो सकती है तो अपनों को चुनाव के हिसाब से और वैसे भी उपकृत करने का कोई मौका क्यों छोड़ा जाए. (Diwali Gift politics in BJP)(MP Political Gossips)(Diwali Gift politics in BJP)
चुनाव से पहले ये किसकी चिट्ठी आई है: समाज में भले सोशल मीडिया का दौर आ जाने के बाद चिट्ठी पत्री के ज़माने लद गए, लेकिन राजनीति में तो अब भी चिट्ठी युग खत्म नहीं हुआ. चुनाव के पहले तो बाकायदा राजनीति में खतो किताबत का मौसम आ जाता है, राजनीति में दौड़ने वाली इन चिट्ठियों की खासियत होती है कि इनमें मुकाम के साथ जिसके लिए भेजा जा रहा है उसका नाम पता तो होता है लेकिन किसी नेता का कच्चा चिट्ठा खोलने वाले व्यक्ति जो कि खुद इस चिट्ठी के रचयिता हैं उनकी पहचान छिपा ली जाती है. खैर ये सारी भूमिका उस चिट्ठी के लिए बनाई जा रही है. सोशल मीडिया पर इन दिनों जो चिट्ठी ढूंढ ढूंढ कर पढी जा रही है. चिट्ठी है बीजेपी के एक कद्दावर हिंदूवादी विधायक के संदर्भ में. इस पूरे खत में विधायक पर लगाए गए आरोप उनके कारनामों के शक्ल में पेश किए गए हैं और नेताजी को चंदा मामा की शक्ल में बताया गया है. वो इसलिए कि चिट्ठी में सबसे बड़ा आरोप ही यही है कि विधायक जी इलाके में अपनी छवि चमकाने के लिए होर्डिंग और बैनर लगवाने चंदा वसूली करते हैं. खास बात ये भी है कि चिट्ठी भेजने वाले की जगह स्वंयसेवक लिखा हुआ है.हांलाकि इस दौरान विधायक जी अपने इलाके में विकास कार्यों की चिट्ठी पहले ही बंटवा चुके थे. लेकिन उनके इलाके में सिक्स लैन के भूमिपूजन के एन पहले सोशल मीडिया पर प्रचारित की गई इस चिट्ठी ने नेताजी की किरकिरी तो कर दी. (Andar Ki Laye Hain) (MP Political Gossips)
MP Political Gossips: अंदर की लाए हैं...मंत्री जी की फिक्र, हाय हम ना हुए तो..
एकजुट हो रहे हैं पुराने भाजपाई: 2020 से मध्यप्रदेश में बीजेपी दो तरीके से पहचाने जाती है. नई बीजेपी पुरानी बीजेपी. जो बीजेपी के बाहर हैं वो तो केवल नेताओँ के चेहरे देखकर ये बता सकते हैं कि ये नेता नई बीजेपी के हैं ये पुरानी. लेकिन बीजेपी नेताओँ से पूछिए तो वो विस्तार से व्याख्या कर देंगे कि 2020 के बाद की बीजेपी में कितनी तब्दीलियां आई हैं. खैर मुद्दे की बात ये है कि पुराने चावलों ने अब असर दिखाना शुरु कर दिया है. सुना ये है कि ग्वालियर चंबल में पार्टी के पुराने भाजपाई अपना गमगलत करते करते इस बात पर एक होने लगे हैं कि चुनाव से पहले एक दूसरे के साथ नहीं खड़े हुए तो नई बीजेपी में कहानी आगे नहीं बढ़ जाएगी और सब हाथ मलते रहे जाएंगे. तो चर्चा ये है कि ग्वालियर चंबल के इलाके में दरकिनार चल रहे भाजपाईयों ने सम्मेलन करने शुरु कर दिए हैं. चर्चा ये भी है कि ये सिलसिला और आगे बढ़ेगा. और मध्यप्रदेश के बाकी हिस्सों में भी पुराने भाजपाई इसी तरह से एकजुट होकर अपनी ताकत बढाएंगे. अब सवाल एक ही है कि अगर यही तेवर रहे तो कहीं चुनाव से पहले बीजेपी का बीजेपी से मुकाबला ना हो जाए. (Bhopal bureaucracy gossips) (Mp politicians bureaucrats whispers).