भोपाल। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास की अमावस्या खास होती है और अगर अमावस्या गुरुवार की हो तो विशेष फलदायी होती है. 10 जून 2021 को कुछ ऐसा ही संयोग है. इस तिथि पर पितरों के लिए श्राद्ध की भी परम्परा है. स्नान-दान के बाद दिनभर व्रत रखकर शनिदेव की पूजा के साथ ही वट और पीपल के पेड़ की पूजा करने से ग्रह दोष खत्म होते हैं. ज्योतिषों का मत है कि शारीरिक तकलीफ के चलते अगर इस दिन व्रत न रख पाएं तो स्नान-दान और पूजा-पाठ के बाद भोजन किया जा सकता है. ऐसा करने से भी पूरा पुण्य मिलता है.
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मान्यताओं के अनुसार अमावस्या पर काफी ऐसे काम हैं जिन्हें करने से लाभ मिलता है तो कुछ कार्य ऐसे हैं जिन्हें करना सिर्फ हानि का कारण बन सकते हैं. आइए बताते हैं आपको कुछ ऐसे कार्य जो करें तो अच्छा और जो ना करें तो नुकसान नहीं होगा.
ज्येष्ठ महीने की अमावस्या पर क्या करें और क्या नहीं
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने की परंपरा है। लेकिन महामारी के चलते घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे मिलाकर नहाने से उतना ही पुण्य मिलेगा।
- पूरे दिन व्रत या उपवास के साथ ही पूजा-पाठ और श्रद्धानुसार दान देने का संकल्प लें।
- पूरे घर में झाडू-पोछा लगाने के बाद गंगाजल या गौमूत्र का छिड़काव करें।
- सुबह जल्दी पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
- पीपल और वट वृक्ष की 108 परिक्रमा करें इससे दरिद्रता मिटती है।
- इसके बाद श्रद्धा के अनुसार दान दें। माना जाता है कि अमावस्या के दिन मौन रहने के साथ ही स्नान और दान करने से हजार गायों के दान करने के समान फल मिलता है।
- तामसिक भोजन यानी लहसुन-प्याज और मांसाहार से दूर रहें
- किसी भी तरह का नशा न करें और पति-पत्नी एक बिस्तर पर न सोएं