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सीरियल किलर मनीराम की कहानी बेटे की जुबानी, भीख मांगकर करना पड़ रहा गुजारा - Manora Village

सीरियल किलर मनीराम सेन की कहानी उसके मझले बेटे आकाश सेन ने ईटीवी भारत को बताई. साथ ही ये भी बताया कि अपने पिता की वजह से उनके परिवार को कैसी-कैसी मुसीबतों का सामना करना पड़ा.

Serial killer maniram
सीरियल किलर मनीराम
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Published : Jan 6, 2021, 7:32 PM IST

Updated : Jan 6, 2021, 8:33 PM IST

भोपाल। पुलिस ने सीरियल किलर मनीराम सेन को गिरफ्तार किया है. किलर 6 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. आरोपी आदतन अपराधी है. बीस पहले पांच लोगों की हत्या की थी. जिसके बाद उसे उम्र कैद की सजा हो गई थी. इस दौरान मुजरिम का परिवार अकेला पड़ गया था. परिवार को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं. सीरियल किलर मनीराम के मझले बेटे आकाश सेन ने बताया कि उसके पिता की करतूतों की वजह से उसके परिवार को बहुत कुछ झेलना पड़ा है.

'सजा काटकर लौटे तो बदल गया था व्यवहार'

आकाश ने बताया कि मनोरा गांव के एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मामले में जब पिता मनीराम सजा काटकर घर लौटे, तो उनका व्यवहार बदल गया था. पिता पूरे परिवार के साथ विदिशा जिले की तहसील गंजबासौदा में एक रिश्तेदार के यहां रहने लगे थे. मजदूरी से परिवार का पालन पोषण हो रहा था. सजा के बाद मनीराम में काफी हद तक बदलाव देखा गया.काम नहीं मिलने पर पूरा परिवार ने भोपाल की तरफ अपना रुख कर लिया. भोपाल में हम मजदूरी का काम करते थे.

'दादी भीख मांगने को मजबूर'

आकाश ने कहा कि पिता को जेल के बाद से ही दादी हमारे साथ नहीं रहतीं थीं. वे भीख मांगकर अपना गुजारा कर रहीं हैं. हम तीन भाई हैं. बड़े भाई की शादी हो चुकी है. वो भी हमारे साथ नहीं रहता है.

'हमारा उनसे कोई वास्ता नहीं'

आकाश ने बताया कि पिता पहले तो हम लोगों के साथ रहे. लेकिन फिर वो अक्सर घर नहीं आते. जब हमने पूछा तो बोलते, रोजगार की तलाश कर रहा हूं. घर की स्थिति जब बहुत ज्यादा खराब हो गई तो, हम फिर से गंजबासौदा के रिश्तेदार के पास आकर रहने लगे. पिता हमारे साथ नहीं रहते थे. हम लोगों का उससे कोई वास्ता नहीं है. हम मजदूरी करके पेट पाल रहे हैं.

2017 में साथ छूटने के बाद वो घर कभी-कभी ही आते थे.लॉकडाउन के दौरान तो घर आना बिलकुल बंद ही हो गया. लॉकडाउन खत्म हुआ तो वो घर आए. आदिल से उनकी जान-पहचान कैसे हुई और उनसे 17 हजार रुपए कब लिए हमें इसकी जानकारी नहीं थी.

हम सब अपने पिता से डरे रहते थे, वह 8 नवंबर को आदिल को मारने के शाम को घर आए थे.रात भी रुके थे. खाना खाया लेकिन किसी से बातचीत नहीं की. सुबह वो घर से चले गए. इसके बाद से हमसे कोई संपर्क में नहीं रहा. हमें पता था ही नहीं था कि वो फिर से किसी की हत्या करके आए हैं.

'कई बार समझाने की कोशिश की'

पहले भी उन्हें कई बार समझाने की कोशिश की. लेकिन वे गुस्सैल स्वभाव के थे. किसी की नहीं सुनते थे. पूरे परिवार ने उन्हें कई बार समझाने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने एक ना सुनी. उनकी करतूतों की सजा आज पूरा परिवार भुगत रहा है.

एक ही रात में पांच लोगों को उतारा था मौत के घाट

पुलिस के मुताबिक सीरियल किलर पांच मर्डर करने के बाद 2017 में पैरोल से भाग गया था. इसके बाद 8 नवंबर को उसने भोपाल में आदिल बहाव की हत्या को अंजाम दिया. सीरियल किलर मनीराम सेन ने पहले भी 7 जुलाई 2000 को मनोरा गांव के एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जंगल में ले जाकर मार डाला था. इन्हें भी गड़े खजाने को ढूंढने का झांसा दिया था. मनीराम ने इस परिवार से 1 लाख रुपए का कर्ज ले चुका था. वापस मांगने पर मनीराम ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया. आदिल बहाव को भी इसी वजह से मारा था.

ये भी पढ़ेंःसीरियल किलर गिरफ्तार, खजाने का लालच देकर 6 लोगों को उतारा मौत के घाट

देश के कुछ मशहूर सारियल किलर

रमन राघव

रमन राघव का नाम मुंबई के इतिहास में हमेशा-हमेशा के लिए शामिल रहेगा. 60 के दशक में बम्बई में रमन राघव का आंतक था. 3 साल में कुछ 40 के ऊपर मर्डर किए. किन्हीं भी दो मर्डर के बीच कोई कनेक्शन नहीं सिवाय कातिल के. रमन राघव सारे मर्डर बिना किसी खास मकसद के करता था.

साइनाइड मल्लिका

साइनाइड मल्लिका का वास्तविक नाम केजी केम्पम्मा है. वो बेंगलुरू की रहने वाली है. मल्लिका को देश की सबसे पहला महिला सीरियल किलर माना जाता है.उसने 1999 से 2007 के बीच छह महिलाओं को साइनाइड खिला कर मार डाला था. वह महिलाओं को हमदर्द बनने के नाटक करती और फिर मार डालती थी.

सायनाइड मोहन

सायनाइड मोहन ने एक के बाद एक 20 युवतियों से शादी की, उनके साथ वक्त बिताया और फिर जहर की गोली देकर हत्या कर दी.

ऑटो शंकर

ऑटो शंकर वो शख्स है, जिसने मात्र छह महीनों में मद्रास की सड़कों को नरक में तब्दील कर दिया. मद्रास में समंदर के किनारे बसे एक शांत गांव का खूंखार बाशिंदा एक लोकल गुंडे से सीरियल किलर में तब्दील हो गया. इसने 9 लड़कियो को मौत के घाट उतारा था. मर्सी प्ली के रिजेक्ट होने के कुछ ही दिन बाद 27 अप्रैल 1995 में सालेम जेल में गौरी शंकर उर्फ़ ऑटो शंकर को फांसी पर लटका दिया गया.

भोपाल। पुलिस ने सीरियल किलर मनीराम सेन को गिरफ्तार किया है. किलर 6 लोगों को मौत के घाट उतार चुका है. आरोपी आदतन अपराधी है. बीस पहले पांच लोगों की हत्या की थी. जिसके बाद उसे उम्र कैद की सजा हो गई थी. इस दौरान मुजरिम का परिवार अकेला पड़ गया था. परिवार को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं. सीरियल किलर मनीराम के मझले बेटे आकाश सेन ने बताया कि उसके पिता की करतूतों की वजह से उसके परिवार को बहुत कुछ झेलना पड़ा है.

'सजा काटकर लौटे तो बदल गया था व्यवहार'

आकाश ने बताया कि मनोरा गांव के एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या के मामले में जब पिता मनीराम सजा काटकर घर लौटे, तो उनका व्यवहार बदल गया था. पिता पूरे परिवार के साथ विदिशा जिले की तहसील गंजबासौदा में एक रिश्तेदार के यहां रहने लगे थे. मजदूरी से परिवार का पालन पोषण हो रहा था. सजा के बाद मनीराम में काफी हद तक बदलाव देखा गया.काम नहीं मिलने पर पूरा परिवार ने भोपाल की तरफ अपना रुख कर लिया. भोपाल में हम मजदूरी का काम करते थे.

'दादी भीख मांगने को मजबूर'

आकाश ने कहा कि पिता को जेल के बाद से ही दादी हमारे साथ नहीं रहतीं थीं. वे भीख मांगकर अपना गुजारा कर रहीं हैं. हम तीन भाई हैं. बड़े भाई की शादी हो चुकी है. वो भी हमारे साथ नहीं रहता है.

'हमारा उनसे कोई वास्ता नहीं'

आकाश ने बताया कि पिता पहले तो हम लोगों के साथ रहे. लेकिन फिर वो अक्सर घर नहीं आते. जब हमने पूछा तो बोलते, रोजगार की तलाश कर रहा हूं. घर की स्थिति जब बहुत ज्यादा खराब हो गई तो, हम फिर से गंजबासौदा के रिश्तेदार के पास आकर रहने लगे. पिता हमारे साथ नहीं रहते थे. हम लोगों का उससे कोई वास्ता नहीं है. हम मजदूरी करके पेट पाल रहे हैं.

2017 में साथ छूटने के बाद वो घर कभी-कभी ही आते थे.लॉकडाउन के दौरान तो घर आना बिलकुल बंद ही हो गया. लॉकडाउन खत्म हुआ तो वो घर आए. आदिल से उनकी जान-पहचान कैसे हुई और उनसे 17 हजार रुपए कब लिए हमें इसकी जानकारी नहीं थी.

हम सब अपने पिता से डरे रहते थे, वह 8 नवंबर को आदिल को मारने के शाम को घर आए थे.रात भी रुके थे. खाना खाया लेकिन किसी से बातचीत नहीं की. सुबह वो घर से चले गए. इसके बाद से हमसे कोई संपर्क में नहीं रहा. हमें पता था ही नहीं था कि वो फिर से किसी की हत्या करके आए हैं.

'कई बार समझाने की कोशिश की'

पहले भी उन्हें कई बार समझाने की कोशिश की. लेकिन वे गुस्सैल स्वभाव के थे. किसी की नहीं सुनते थे. पूरे परिवार ने उन्हें कई बार समझाने की कोशिश की. लेकिन उन्होंने एक ना सुनी. उनकी करतूतों की सजा आज पूरा परिवार भुगत रहा है.

एक ही रात में पांच लोगों को उतारा था मौत के घाट

पुलिस के मुताबिक सीरियल किलर पांच मर्डर करने के बाद 2017 में पैरोल से भाग गया था. इसके बाद 8 नवंबर को उसने भोपाल में आदिल बहाव की हत्या को अंजाम दिया. सीरियल किलर मनीराम सेन ने पहले भी 7 जुलाई 2000 को मनोरा गांव के एक ही परिवार के पांच सदस्यों को जंगल में ले जाकर मार डाला था. इन्हें भी गड़े खजाने को ढूंढने का झांसा दिया था. मनीराम ने इस परिवार से 1 लाख रुपए का कर्ज ले चुका था. वापस मांगने पर मनीराम ने उन्हें मौत के घाट उतार दिया. आदिल बहाव को भी इसी वजह से मारा था.

ये भी पढ़ेंःसीरियल किलर गिरफ्तार, खजाने का लालच देकर 6 लोगों को उतारा मौत के घाट

देश के कुछ मशहूर सारियल किलर

रमन राघव

रमन राघव का नाम मुंबई के इतिहास में हमेशा-हमेशा के लिए शामिल रहेगा. 60 के दशक में बम्बई में रमन राघव का आंतक था. 3 साल में कुछ 40 के ऊपर मर्डर किए. किन्हीं भी दो मर्डर के बीच कोई कनेक्शन नहीं सिवाय कातिल के. रमन राघव सारे मर्डर बिना किसी खास मकसद के करता था.

साइनाइड मल्लिका

साइनाइड मल्लिका का वास्तविक नाम केजी केम्पम्मा है. वो बेंगलुरू की रहने वाली है. मल्लिका को देश की सबसे पहला महिला सीरियल किलर माना जाता है.उसने 1999 से 2007 के बीच छह महिलाओं को साइनाइड खिला कर मार डाला था. वह महिलाओं को हमदर्द बनने के नाटक करती और फिर मार डालती थी.

सायनाइड मोहन

सायनाइड मोहन ने एक के बाद एक 20 युवतियों से शादी की, उनके साथ वक्त बिताया और फिर जहर की गोली देकर हत्या कर दी.

ऑटो शंकर

ऑटो शंकर वो शख्स है, जिसने मात्र छह महीनों में मद्रास की सड़कों को नरक में तब्दील कर दिया. मद्रास में समंदर के किनारे बसे एक शांत गांव का खूंखार बाशिंदा एक लोकल गुंडे से सीरियल किलर में तब्दील हो गया. इसने 9 लड़कियो को मौत के घाट उतारा था. मर्सी प्ली के रिजेक्ट होने के कुछ ही दिन बाद 27 अप्रैल 1995 में सालेम जेल में गौरी शंकर उर्फ़ ऑटो शंकर को फांसी पर लटका दिया गया.

Last Updated : Jan 6, 2021, 8:33 PM IST
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