भोपाल। मध्यप्रदेश के किसानों को फसल की पैदावार उसके, रखरखाव और फसल बेचने के बाद भुगतान को लेकर कई जतन करना पड़ता है, जो किसी से छिपा नहीं है. प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने खरीफ की फसलों को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया है. जिसमें उन्होंने लिखा है कि मध्यप्रदेश में खरीफ की फसलों की बुवाई का लक्ष्य लगभग पूरा हो चुका है, जोकि इस बार की बुवाई का रकबा पिछले साल से अधिक है. मंत्री के इस पोस्ट पर कांग्रेस ने सवाल उठाया है.
कांग्रेस ने उठाए सवाल
कृषि मंत्री ने लिखा कि मध्यप्रदेश में सोयाबीन की फसल उत्पादन के साथ-साथ देश में सोयाबीन बीज उत्पादन में नंबर एक है. प्रदेश से देश के कई राज्यों में सोयाबीन बीज की आपूर्ति की जाती है. मंत्री के सोशल मीडिया पोस्ट पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं तो वहीं आरएसएस के सहयोगी संगठन भारतीय किसान संघ ने भी किसानों की समस्या पर सरकार पर नाराजगी जाहिर की है.
किसानों को नहीं मिली 2019 की फसल बीमा रकम
कृषि मंत्री के पोस्ट पर कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री व बैरसिया के किसान नेता अवनीश भार्गव का कहना है कि मंत्री किसानों की मूलभूत समस्याओं पर बात करें, मुद्दे से अलग हटकर बात न करें. किसानों को खरीफ 2019 की फसल बीमा का पैसा आज तक नहीं मिला. प्रदेश में सोयाबीन का इतना बड़ा एरिया होने के बाद भी सोया उद्योग यहां पर लगभग ठप है. मध्यप्रदेश तिलहन संघ सहकारी समिति सबसे बड़ी थी, भारतीय जनता पार्टी के 15 साल के बाद शासन में तिलहन संघ बंद हो गया है.
कई कारणों से किसान परेशान
अवनीश भार्गव ने कहा कि सोयाबीन के 70 से 80 परसेंट प्लांट बंद हो गए हैं, जिससे युवाओं को रोजगार मिलता था, किसानों की ऋण माफी की तीसरी किस्त एक जून को मिलनी चाहिए थी, जो नहीं मिली. गेहूं का 160 रूपए प्रति क्विंटल बोनस कमलनाथ सरकार ने एक अप्रैल को देने को कहा था, लेकिन नई सरकार वह भी भूल गई. बिजली विभाग किसानों के साथ बिजली बिल वसूली के नाम पर ज्यादती कर रही है. उनके ट्रैक्टर, उनकी बाइक कुर्क कर रही है, किसानों ने जो गेहूं बेचा था, तीन महीने बीत जाने के बाद भी उनका पैसा नहीं मिला है.
किसान संघ के संगठन मंत्री ने जाहिर की नाराजगी
किसानों की समस्याओं के मामले में आरएसएस की सहयोगी मानी जाने वाली संस्था भारतीय किसान संघ ने किसानों की समस्याओं पर सरकार पर नाराजगी जाहिर की है. किसान संघ के प्रांत संगठन मंत्री महेश चौधरी ने बैरसिया में किसानों के एक सम्मेलन में नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि किसानों का फसल बीमा का पैसा नहीं आया है, जिससे किसान परेशान हैं, साथ ही ऐसे अनेक किसान हैं, जिन्होंने गेहूं बेच दिया, बिलिंग भी हो गई, लेकिन अभी तक पैसे नहीं मिले हैं. जिसको लेकर किसानों में सरकार, बीमा कंपनियों और सोसाइटियों के प्रति असंतोष है.
मुद्दों से भटकाने की राजनीति!
ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है, जहां एक तरफ किसानों को पिछलो साल की फसल बीमा की रकम नहीं मिली है, वहीं दूसरी ओर किसानों को कर्ज माफी की तीसरी किस्त और फसल बेचने के बाद भी पैसे नहीं मिले हैं. ऐसे में किसानों के बोवनी के लक्ष्य के आंकड़े बताना, पिछले साल की तुलना में इस साल बुवाई के रकबे को अधिक बताना सिर्फ मुद्दों से भटकाने की राजनीति है या फिर कुछ और?