भोपाल। प्रदेश में अब यूरिया को लेकर जमकर राजनीति शुरू हो गई है. जहां एक तरफ यूरिया के संकट और कालाबाजारी को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा गया था तो वहीं उनके पत्र के बाद प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने शायराना अंदाज में पलटवार किया है. कमल पटेल ने तंज कसते हुए कहा "बड़ी देर कर दी मेहरबां आते आते ", अब जबकि बोवनी का काम पूर्णता की ओर है तब कमलनाथ की नींद खुली हैं ,लेकिन उन्हें पता होना चाहिए कि अब प्रदेश में भाजपा की सरकार है , इसलिए समय पर किसानों के लिए 1.13 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त यूरिया का इंतजाम किया जा चुका है. कमल पटेल ने कमलनाथ पर आरोप लगाया है कि उन्हें किसानों को लेकर सही जानकारी ही नहीं है. पहले उन्हें जानकारी लेनी चाहिए उसके बाद ही इस तरह का पत्र लिखना चाहिए.
कमल पटेल ने कमलनाथ पर लगाया आरोप
कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा है कि कर्जमाफी के नाम पर किसानों से धोखाधड़ी करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अब यूरिया की उपलब्धता के फर्जी आंकड़ों से किसान हितैषी बनने की नौटंकी कर रहे हैं. कमल पटेल ने कहा कि कमलनाथ को पता हो या न हो लेकिन प्रदेश के किसानों को पता है कि पिछले साल के मुकाबले इस साल यूरिया आसानी से वाजिब कीमत पर उपलब्ध है. पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखकर यूरिया को लेकर चिंता जताई है .
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इस पत्र पर कृषि मंत्री कमल पटेल ने पलटवार करते हुए कहा कि कर्जमाफी का धोखा खा चुके किसान पिछले साल यूरिया संकट से भी जूझते रहे. इस साल यूरिया के वितरण और भंडारण की स्थिति बीते साल की तुलना में अधिक है, लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ भ्रामक आंकड़ों का सहारा लेकर किसान हितैषी बनने के लिए चिट्ठी लिख रहे हैं. कमल पटेल ने कहा कि यदि सत्ता में रहते किसानों की सुध ले ली होती तो आज यह चिट्ठी नहीं लिखना पड़ती.
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मंत्री कमल पटेल ने कहा कि कमलनाथ को खेती और किसानी के बारे में कुछ पता नहीं है, इसलिये जो पत्र उन्हें एक महीने पहले लिखना चाहिए था उसके लिए उनकी नींद अब खुली हैं. कमल पटेल ने कहा कि कमलनाथ को पता होना चाहिए कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मैं स्वयं किसान के बेटे हैं और किसानों की जरूरतों को जानते हैं. इसलिए इस वर्ष पिछले साल के मुकाबले 15 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बोवनी हुई है. वहीं 1.14 लाख मीट्रिक टन अतिरिक्त यूरिया उपलब्ध कराया गया है. कमलनाथ ने किसानों को कर्ज माफी के नाम पर धोखा दिया और सहकारी समितियों पर पचास प्रतिशत का बोझ डालकर उनकी आर्थिक रूप से कमर तोड़ दी. जिसके चलते किसानों को दोगुनी कीमत पर नगद देकर यूरिया लेना पड़ा. यूरिया की कमी के चलते कालाबाजारी जमकर हुई, लेकिन इस साल पहले से यूरिया का पर्याप्त इंतजाम कर लिया गया था. इसका 80 प्रतिशत सहकारी समितियों के माध्यम से वितरित कराया गया है.
कमल पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री रहते कमलनाथ ने केवल छिंदवाड़ा के किसानों की चिंता की, लेकिन भाजपा सरकार प्रदेश भर के किसानों के हितों के लिए संकल्पित है. किसानों की फसलों का समर्थन मूल्य से अधिक भुगतान कर किसानों के खाते में अतिरिक्त धनराशि पहुंचाई, जिससे उन्हें समृद्ध और स्वावलंबी बनाया जा सके. कमल पटेल ने कहा कि कमलनाथ को किसानों के मामले में कुछ कहना हो तो पहले स्थिति का अध्ययन कर लेना चाहिए. बाद में इस तरह की पत्र लिखना चाहिए.