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झाबुआ के बाद अब निकाय चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस, कहा- अब 'खत्म हो गया मामा का ड्रामा' - Preparation for urban body elections

झाबुआ उपचुनाव में जीत के बाद अब कांग्रेस नगरीय निकाय चुनावों की तैयारी में जुट गई है. वहीं कांग्रेस का कहना है कि अब प्रदेश में मामा का ड्रामा खत्म हो गया है.

झाबुआ
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Published : Oct 25, 2019, 9:36 PM IST

भोपाल। झाबुआ उपचुनाव में जीत के बाद अब सीएम कमलनाथ बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले शहरी इलाकों में कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं. इसीलिए सीएम कमलनाथ अभी से नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. मध्यप्रदेश में 16 नगर निगमों के अलावा 98 नगर पालिका हैं.


नगरीय निकाय चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस कई तरह के बदलाव कर रही है. जैसा कि सरकार फैसला ले चुकी है कि अब महापौर या नगरपालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से ना होकर पार्षदों के द्वारा किया जाएगा. इसके अलावा बड़ी नगर निगमों को दो नगर निगमों में बांटने की रणनीति भी इसी फार्मूले का हिस्सा है. जिसमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे नगर निगम आते हैं.

निकाय चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस


नगरीय निकाय चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश के अंदर हर स्तर पर कांग्रेस को अपनी टीम के साथ ही जनता की सेवा के लिए खड़ा होना है. इसलिए नगरीय निकायों पर कांग्रेस के लोगों का बैठना जरूरी है. जिस तरह से झाबुआ में प्रचंड जीत हुई है. उससे साफ हो गया है कि अब मामा का ड्रामा मध्यप्रदेश में खत्म हो गया है, भ्रम का जाल टूट गया है, अब मध्य प्रदेश में यथार्थ और सत्य पर काम होगा.

भोपाल। झाबुआ उपचुनाव में जीत के बाद अब सीएम कमलनाथ बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले शहरी इलाकों में कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं. इसीलिए सीएम कमलनाथ अभी से नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं. मध्यप्रदेश में 16 नगर निगमों के अलावा 98 नगर पालिका हैं.


नगरीय निकाय चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस कई तरह के बदलाव कर रही है. जैसा कि सरकार फैसला ले चुकी है कि अब महापौर या नगरपालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से ना होकर पार्षदों के द्वारा किया जाएगा. इसके अलावा बड़ी नगर निगमों को दो नगर निगमों में बांटने की रणनीति भी इसी फार्मूले का हिस्सा है. जिसमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसे नगर निगम आते हैं.

निकाय चुनावों की तैयारी में जुटी कांग्रेस


नगरीय निकाय चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश के अंदर हर स्तर पर कांग्रेस को अपनी टीम के साथ ही जनता की सेवा के लिए खड़ा होना है. इसलिए नगरीय निकायों पर कांग्रेस के लोगों का बैठना जरूरी है. जिस तरह से झाबुआ में प्रचंड जीत हुई है. उससे साफ हो गया है कि अब मामा का ड्रामा मध्यप्रदेश में खत्म हो गया है, भ्रम का जाल टूट गया है, अब मध्य प्रदेश में यथार्थ और सत्य पर काम होगा.

Intro:भोपाल। अपने 10 महीने के मुख्यमंत्री काल की प्रमाणिकता सिद्ध करने के लिए जरूरी था कि कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस झाबुआ का उप चुनाव जीते। क्योंकि मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के बाद भी लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री कमलनाथ सिर्फ अपने बेटे नकुल नाथ की सीट ही जिता पाए थे। बाकी मध्यप्रदेश की 28 सीटों पर कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव की हार का असर ये पड़ा कि सीएम कमलनाथ ने खुद झाबुआ उप चुनाव की कमान संभालते हुए एक बेहतर रणनीति के साथ झाबुआ चुनाव जीतने में सफलता हासिल की। कांग्रेसी सूत्रों की माने तो अब मुख्यमंत्री कमलनाथ बीजेपी का गढ़ माने जाने वाले शहरी इलाकों में कांग्रेस को मजबूत करना चाहते हैं और इसी दिशा में कमलनाथ अभी से नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं।


Body:मुख्यमंत्री कमलनाथ का झाबुआ उपचुनाव जीतने के बाद पूरा फोकस नगरीय निकाय चुनाव पर हो गया है। मध्यप्रदेश में 16 नगर निगमों के अलावा 98 नगर पालिका पर कांग्रेस को ज्यादा से ज्यादा जीत हासिल करने के लिए भाजपा की कड़ी चुनौती मिलने वाली है। नगरीय निकाय चुनाव में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस कई तरह के बदलाव भी कर रही है।जैसा कि सरकार फैसला ले चुकी है कि अब महापौर या नगरपालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव सीधे जनता से ना होकर पार्षदों के द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा बड़ी नगर निगमों को दूर नगर निगमों में बांटने की रणनीति भी इसी फार्मूले का हिस्सा है।जिसमें भोपाल, इंदौर, जबलपुर जैसी नगर निगमों के नाम शुमार है। इसके अलावा चर्चा यह भी चल रही है कि नगरीय निकाय चुनाव राजनीतिक दलों के आधार पर ना होकर व्यक्तिगत आधार पर होंगे। हालांकि इसके बारे में अभी कोई फैसला नहीं लिया गया है। नगरीय निकायों में ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कब्जा हो सके इसलिए कमलनाथ चाहते थे कि कांग्रेस को तैयारी के लिए समय मिले। लेकिन झाबुआ उपचुनाव की चुनौती सामने होने के कारण तय समय दिसंबर में नगरीय निकाय चुनाव कराना कठिन काम था। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहले ही नगरीय निकाय चुनाव के परिसीमन और आरक्षण का कार्यक्रम इस तरीके से तय किया कि चुनाव अब अप्रैल-मई में ही संभव हो सकेंगे। क्योंकि फिलहाल पूरे प्रदेश में नगरीय निकायों के परिसीमन का कार्य चल रहा है। परिसीमन होने के बाद आरक्षण की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। तब जाकर चुनाव कार्यक्रम घोषित किया जाएगा। कांग्रेसी सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कल ही बतौर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष निर्देश दे दिए हैं कि अब पूरी पार्टी नगरीय निकाय चुनाव की तैयारी में जुट जाएं। झाबुआ की जीत से पार्टी का मनोबल भी बड़ा है और माना जा रहा है कि प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री कमलनाथ के कामकाज को पसंद कर रही है।


Conclusion:नगरीय निकाय चुनाव को लेकर मध्यप्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता दुर्गेश शर्मा का कहना है निश्चित मध्यप्रदेश के अंदर हर स्तर पर कांग्रेस को अपनी टीम के साथ में जनता की सेवा के लिए खड़ा होना है। इसलिए नगरीय निकायों पर कांग्रेस के लोगों का बैठना जरूरी है। जनता भी यह समझ चुकी है कि मध्य प्रदेश का सही विकास और मध्य प्रदेश की शरीर संरचना कोई कर सकता है। तो वह कांग्रेस पार्टी है। माननीय कमलनाथ के नेतृत्व में जो स्थिरता से शुद्धता के साथ युद्ध लड़ा जा रहा है। हर स्तर पर हर चीज में शुद्धता लाने का प्रयास है। हर क्षेत्र को समृद्ध करने का प्रयास है। वह तभी सफल होगा जब नगरीय निकायों पर भी कांग्रेस के साथ ही काम करने के लिए बैठेंगे। निश्चित तौर पर जनता कांग्रेस को अपना समर्थन दे रही है।जिस तरह से झाबुआ में प्रचंड जीत हुई है. उससे साफ हो गया है कि अब मामा का ड्रामा मध्यप्रदेश में खत्म।भ्रम का जाल टूट गया है, अब यथार्थ और सत्य पर काम मध्य प्रदेश में होगा।
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