भोपाल। मध्यप्रदेश जनजातीय संग्रहालय में गायन वादन एवं नृत्य गतिविधियों के प्रदर्शन की साप्ताहिक श्रृंखला उत्तराधिकार में राजस्थानी लोक नृत्य की प्रस्तुतियां संग्रहालय सभागार में हुई.
राजस्थानी लोक नृत्य में चरी नृत्य से शुरुआत हुई. चरी नृत्य एक स्वागत नृत्य इस प्रस्तुति में योद्धा में युद्ध में विजय प्राप्त कर अपने राज्य लौटे राजाओं के सम्मान में यह नृत्य किया जाता है. जिसमें घर की महिलाएं दीप जलाकर स्वागत करते हुए यह नृत्य प्रस्तुत करती हैं.
घूमर नृत्य में राजस्थान के राजपूत घराने की महिलाएं खुशी के क्षण में उत्साहित होकर यह नृत्य करती है. ग्रामीण भवाई नृत्य पुरुषों के द्वारा किया जाता है जिसमें सिर पर गिलास के ऊपर पानी से भरे हुए मटके को रखकर नृत्य द्वारा संतुलन बनाकर किया जाता है.
ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुष कलाकारों द्वारा किया जाता है काल बेलिया नृत्य राजस्थान के एक समुदाय सपेरे होते हैं. इस समुदाय की महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है. समुदाय की मान्यता अनुसार उनके पूर्वजों के माध्यम से अपने परिवार का भरण पोषण करते हुए सांपों की पूजनीय माना गया है. महिला सांपों की तरह हलचल करते हुए हैं यह नृत्य करती हैं.
इस दौरान गुलाबो सपेरा का नृत्य निर्देशन सराहनीय रहा. कलाकारों ने अपने कलात्मक अभिनय कौशल से दर्शकों के सामे मनमोहक प्रस्तुति दी. प्रस्तुति के दौरान कई बार दर्शकों ने कलाकारों का उत्साहवर्धन करतल ध्वनि करके दिया.