भोपाल। एमपी में पहली बार आम आदमी पार्टी ने 230 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. जो झलक केजरीवाल कार्यकर्ता सम्मेलन में दिखा कर गए हैं उसे देखकर लगता है कि, पार्टी दिल्ली-यूपी के साथ साइलेंट वोटर को फोकस करके बड़े ऐलान करेगी. यूं भी शिक्षा स्वास्थ्य का मुद्दा तो सीधे तौर पर महिलाओं से जुड़ा हुआ ही है. दूसरी तरफ मुफ्त बिजली के जरिए भी महिलाओं को साधते हुए उसके घर के बजट को संभालने की कोशिश बताई गई है. एमपी में शिवराज सरकार की लाड़ली बहना योजना जैसी स्कीम का ऐलान यूपी विधानसभा चुनाव के पहले केजरीवाल कर चुके थे. तो रुझान तो यही मिल रहे हैं कि, एमपी में चुनाव नजदीक आने के बाद आप पार्टी के मैनिफैस्टों का बड़ा हिस्सा महिला वोटर के नाम का ही होगा.
आप के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाना चुनौती: एमपी में 2018 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने केवल 208 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ा था. वोटिंग प्रतिशत के लिहाज से देखें तो एक प्रतिशत ही था. 2023 के विधानसभा चुनाव में जब केजरीवाल फिर एमपी में 230 सीटों पर दम दिखा रहे हैं. अब पार्टी के पास प्लस पाइंट के रुप में एक महापौर के साथ 52 पार्षदों से मिला संबल है. बीते निकाय चुनाव के साथ आप पार्टी ने इसी तरह से खाता खोला था. निकाय चुनाव मे पार्टी का वोट प्रतिशत 6.3 फीसदी के करीब रहा. फिलहाल आम आदमी पार्टी इस जमीन पर ही विधानसभा चुनाव की तैयारी कर रही है.
तीसरी ताकत के रुप में एंट्री: एमपी में आम आदमी पार्टी तीसरी ताकत बताकर एंट्री ले रही है. लेकिन क्या वाकई ये ताकत बन पाएगी या बीजेपी की ताकत बनकर आएगी. मध्यप्रदेश की दो दलीय राजनीति में तीसरा कोई दल अगर आया भी है. जब जब वोट बंटने की नौबत आई तो फायदा बीजेपी के खाते में गया है. आम आदमी पार्टी भले शिवराज की योजनाएं लेकर मैदान में आए लेकिन क्या बीजेपी का विकल्प बन पाना आप के लिए इतना आसान होगा. आप के सामने वोट प्रतिशत के साथ एमपी में सीटों का खाता खोलना भी बड़ी चुनौती है.
एमपी में महिलाओं की राईट च्वाइस: एमपी में साइलेंट वोटर यानि महिलाएं बीजेपी का टेस्टेड और ट्रस्टेड वोट बैंक है. 2003 में उमा भारती के दौर में भी बीजेपी की जीत की राह जिसने आसान की वो भी यहीं महिला वोटर है. फिर लाड़ली लक्ष्मी योजना के साथ तो 2007 के बाद से ये बीजेपी का मजबूत वोट बन गया. महिला वोटर का रुख बीजेपी की तरफ करने में शिवराज की बड़ी भूमिका रही है. इस बार खास ये है कि महिला वोटर के हाथ में ही एक तरीके से एमपी की सत्ता की कमान है.
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वोटिंग प्रतिशत का अंतर: प्रदेश के 41 जिलों में महिला वोटर के नाम बढ़ जाने के साथ महिला वोटर सात लाख के पार प्रदेश में पहुंच गई हैं, जबकि पुरुष वोटर 6 लाख के पार हैं. खास बात ये है कि अमूमन सियासत से दूर और साइलेंट मोड में रहने वाला ये वोटर अब जागरुक भी हुआ है. 2013 से 2018 के विधानसभा चुनाव में इनका वोटिंग प्रतिशत का अंतर इसकी तज्दीक करता है. पिछले चुनाव में चार फीसदी महिलाओं का वोटिंग प्रतिशत बढ़ चुका है.