भोपाल। कोरोना वायरस के चलते प्रदेश की कई गतिविधियों पर सीधा असर पड़ा है, जिसकी वजह से ज्यादातर जिलों में कामकाज पूरी तरह से ठप हैं, राहत की बात ये है कि सरकार के प्रयासों से प्रदेश के लाखों किसानों से गेहूं उपार्जन का काम लगातार जारी है. सरकार किसानों को भुगतान भी कर रही है. इसके अलावा श्रमिकों को रोजगार देने के लिए प्रदेश में एक बार फिर से मनरेगा को शुरू किया गया है. गृह मंत्री ने इसकी जानकारी दी है.
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जानकारी दी थी कि प्रदेश में कोरोना नियंत्रण के लिए दीर्घ अवधि और अल्प अवधि की योजनाओं पर काम किया जाएगा. लॉकडाउन की अवधि में राज्य में आर्थिक गतिविधियां हों, पर्याप्त सावधानी भी बरती जाए, श्रमिकों को रोजगार भी मिले, इसका पूरा ध्यान रखा जायेगा. वर्तमान में प्रदेश में मनरेगा कार्यों से 18 लाख से ज्यादा मजदूरों को काम मिला है. उनके लिये रोजी-रोटी की पुख्ता व्यवस्था हुई है, जबकि पिछले साल करीब 11 लाख श्रमिकों को ही काम मिला था. इस तरह कोरोना संकट के समय 6 लाख से ज्यादा जरूरतमंदों को कार्यों से जोड़ा गया है. आत्मनिर्भर भारत और आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश की दिशा में निरंतर प्रयास होंगे.
गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश में गेहूं उपार्जन के उत्कृष्ट कार्य के लिए सभी संबंधितों की सराहना की है. प्रदेश में अभी तक 79.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी 12 लाख किसानों से की जा चुकी है. इनमें से 8.3 लाख किसानों को 8500 करोड़ रूपए का भुगतान भी किया जा चुका है. गृहमंत्री ने कहा कि कुछ केन्द्रों पर लाइनें लगने की सूचना मिली है, इस संबंध में ये सुनिश्चित किया जाएगा कि कहीं भी भीड़ न हो और फिजिकल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन किया जाए.
उन्होंने कहा कि प्रदेश में व्यापक पैमाने पर मनरेगा के तहत काम चल रहा है. आज की स्थिति में प्रदेश के कई स्थानों पर 18 लाख 81 हजार 666 मजदूर काम कर रहें हैं. सरकार की प्राथमिकता है कि मनरेगा में काम करने वाले सभी मजदूरों को समय पर उनका भुगतान किया जाए और इसके लिए अधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है, ताकि मजदूरों को परेशान न हो.