भोपाल। भोपाल में ग्रामीण एवं पंचायत विकास मंत्री की एक घंटे संयुक्त मोर्चा से चली बातचीत बेनतीजा रही. इसके बाद पंचायत मोर्चा ने फैसला लिया है कि वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ रहे हैं. 12 सूत्रीय मांगों को लेकर मैदान में डटे पंचायत कर्मी साफ कह रहें हैं कि सरकार से मुंहजुबानी नहीं बल्कि अब लिखित आश्वासन चाहिए. इनकी प्रमुख मांगों में से एक ग्राम रोजगार सहायकों को पूर्णकालिक सहायक के तौर पर पहचान देने की है.
मोर्चा का आरोप है की उनकी मांगों को लेकर जब चर्चा हुई तो उसमें ना तो प्रमुख सचिव ना विभागीय सचिव ना ही कमिश्नर मौजूद रहे. इससे कम में बात नहीं होगी. वो चाहते हैं की सीएम को भी इस जद में शामिल किया जाए.
पंचायत कर्मियों ने कहा है कि इसके विरोध प्रदेश के 52 जिलों की पंचायतें हड़ताल पर जा रही हैं. हालांकि पंचायत मंत्री ने बैठक के बाद कहा कि सभी मुद्दों पर सहमति बन गई है कुछ मुद्दे हैं जिस पर मुख्यमंत्री से चर्चा करूंगा, अब पंचायत कर्मी हड़ताल पर नहीं जा रहे हैं.
रोजगार सहायकों ने भी खड़े किए हाथ
पंचायत कर्मियों के साथ-साथ तकरीबन 23 हज़ार रोजगार सहायक भी काम पर नहीं जाएंगे. रोजगार सहायक संघ के प्रदेश अध्यक्ष रोशन परमार का कहना है कि सरकार 13 संघों के अध्यक्षों पर दबाव बना रही है. कह रही है कि वल्लभ भवन में उनके खिलाफ फ़ाइल तैयार हो रही है. उन पर जल्द कार्रवाई होगी, लेकिन अब रोजगार सहायक भी अपनी मांगों को लेकर कह रहे हैं कि सरकार ने उनके साथ छलावा किया है. जब वह भर्ती हुए थे तो उन्हें पूर्णकालिक रोजगार सहायक के रूप में रखा गया. उनको पूर्णकालिक दर्जा नहीं दिया गया. इसे लेकर भी रोजगार सहायक खासे नाराज हैं और अब सरकार की खिलाफत करने मैदान में कूद गए हैं
संयुक्त मोर्चा ने मांग की है कि सरकार को मांगे पूरी करने में 15 से 20 दिन का समय लगता है तो प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रमुख सचिव की उपस्थिति में एक एक संगठन की मांगों पर अलग-अलग चर्चा करें तभी आंदोलन और मांगों का हल निकल निकलेगा.
कुल 12 सूत्रीय मांगों को लेकर पंचायत कर्मी मैदान में है. इसमें 5 जून 2018 की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है. जिसके तहत रोजगार सहायकों को तत्कालीन समय शिवराज सरकार ने नियमितीकरण की कार्रवाई का भरोसा दिलाया था लेकिन वो भी ठंडे बस्ते में है.
इनके अलावा कंप्यूटर ऑपरेटर और मनरेगा सहित समस्त कर्मचारियों और अधिकारियों की मांगे भी लंबित हैं.