रतलाम: जिले में 1466 हेक्टेयर क्षेत्र में बनने जा रहे विशेष निवेश क्षेत्र को लेकर आदिवासी अंचल में एक बार फिर विरोध मुखर हो रहा है. जिसे लेकर सैलाना के झोपड़ी वाले विधायक कमलेश्वर डोडियार अब आंदोलन खड़ा करने की बात कर रहे हैं. सैलाना विधायक ने कलेक्ट्रेट परिसर में धरना देकर इसकी शुरुआत भी कर दी है. विधायक कमलेश्वर डोडियार का कहना है कि आदिवासी दशकों से इस जमीन पर खेती कर रहे हैं और अपना जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में इनकी आजीविका के साधन छीनकर सरकार उद्योगपतियों को यह जमीन आवंटित कर रही है. आदिवासी समाज यह होने नहीं देगा.
निवेश क्षेत्र को लेकर क्या है विवाद
दिल्ली मुंबई एक्सप्रेसवे के समीप रतलाम जिले के बिबड़ोद, पलसोड़ी, जामथुन, सरवनी और रामपुरिया गांव की राजस्व सीमा में आने वाली करीब 1466 हेक्टेयर शासकीय जमीन पर यह निवेश क्षेत्र बनना है. जिसमें आदिवासी किसानों की कुछ निजी जमीन भी शामिल है. इन गांवों के ग्रामीण प्रोजेक्ट की शुरुआत के साथ ही विरोध में हैं. आदिवासी संगठन जयस और विभिन्न आदिवासी नेता इसके लिए रतलाम में बड़ा आंदोलन भी कर चुके हैं. विरोध करने वाले आदिवासी लोगों का कहना है कि वह सालों से इस जमीन पर खेती करके परिवार का पोषण कर रहे हैं. वह इस जमीन को छोड़ना नहीं चाहते.
क्षेत्रवासियों को प्रदूषण फैलने का डर
रोजगार मिलने के सवाल पर इन किसानों का कहना है कि, हम निरक्षर हैं. हम खेती और पशुपालन के अलावा दूसरा काम जानते नहीं हैं. हमें इससे क्या लाभ मिलेगा. इसके अलावा किसानों का कहना है कि, यहां निवेश क्षेत्र बनेगा तो पशुओं को कहां ले जाएंगे. ग्रामीणों ने बताया कि इसके पूर्व भी इन गांव के आस-पास औद्योगिक इकाइयां थीं. जहां कुछ केमिकल कंपनियों द्वारा किए गए प्रदूषण की वजह से इस क्षेत्र के कई गांव आज भी लाल प्रदूषित पानी की समस्या से पीड़ित हैं. यदि फिर से यहां उद्योग लगेंगे तो पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंचेगा.
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कमलेश्वर डोडियार ने आंदोलन की दी चेतावनी
झोपड़ी वाले विधायक के नाम से मशहूर सैलाना विधायक कमलेश्वर डोडियार ने इसके विरोध में मुख्यमंत्री मोहन यादव को पत्र भी लिखा है. उन्होंने इस निवेश क्षेत्र बनाने के प्रस्ताव को निरस्त करने की मांग की है. उन्होंने रतलाम कलेक्ट्रेट परिसर में ग्रामीणों के साथ धरना प्रदर्शन कर विरोध भी दर्ज करवाया है. उनका कहना है, पेसा एक्ट और पंचायती राज लागू होने के बावजूद आदिवासियों की जन भावनाओं को नहीं सुना जा रहा है. उन्होंने निवेश क्षेत्र प्रस्ताव रद्द नहीं किए जाने पर क्षेत्र में बड़ा आंदोलन खड़े किए जाने की चेतावनी भी दी है.