भोपाल। इंस्टीट्यूशन ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवोल्यूशन और एसबीआई की रिपोर्ट में साफ तौर पर खुलासा हुआ है कि, अगस्त के बीच और सितंबर तक देश में कोरोना की तीसरी लहर पीक पर होगी. ऐसे में लगता है कि इसका असर अब शुरू होने लगा है. तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक है, और प्रदेश में पिछले 7 दिनों में लगभग 96 पॉजिटिव मरीज में सात पॉजीटिव मरीज बच्चे ही हैं, जिनकी उम्र 5 माह से 11 वर्ष तक की है. ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही है कि कहीं यह तीसरी लहर की आहट तो नहीं?
तीसरी लहर के संकेत?
ऐसे में इसका असर क्या मध्यप्रदेश पर भी होने जा रहा है? पिछले चार दिनों की अगर बात की जाए तो प्रदेश में पॉजिटिव मरीजों के आंकड़ों में इजाफा होना शुरू हो गया है. 7 दिन पहले जहां पॉजिटिव मरीजों की संख्या 5 और 6 थी. वहीं, अब पूरे प्रदेश में 20 से 22 पॉजिटिव मरीज रोज दर्ज किए जा रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि अगर समय रहते सावधानी नहीं बरती तो, धीरे-धीरे ये आंकड़ा सैकड़ा और हजार में भी पहुंच सकता है. जैसा कि दूसरी लहर के दौरान साफ तौर पर देखने को मिला था.
मरीजों में बच्चे भी शामिल
बता दें कि पिछले 7 दिनों में जो आंकड़े आए हैं. वह कहीं ना कहीं चौंकाने वाले हैं. पिछले 7 दिनों में 96 से अधिक मरीज मध्यप्रदेश में पॉजिटिव हुए हैं. जिसमें 7 बच्चे भी शामिल है. माना जा रहा है कि तीसरी लहर बच्चों के लिए घातक है. ऐसे में कहीं ये तीसरी लहर की आमद तो नहीं है. ऐसे में जान लें कि पिछले 7 दिनों में किस तरह से मरीजों का आंकड़ा किन किन जिलों में बड़ा है.
कहां कितने मरीज
दरअसल, ये आंकड़ा 26 जुलाई से 1 अगस्त तक का है. 26 जुलाई को यहां कुल 6 मरीज मिले, जबकि 27 जुलाई को 11 पॉजिटिव मरीज मिले हैं. जिसमें भोपाल में 3, इंदौर में 3, जबलपुर में 2, खरगोन, रतलाम और सिवनी में 1-1. वहीं, 28 जुलाई कुल पॉजिटिव मरीज 11, जिनमें इंदौर 3, भोपाल 2, सागर 2, बालाघाट,जबलपुर, रायसेन और ग्वालियर में 1-1 पॉजिटिव, 29 जुलाई को कुल पॉजिटिव मरीज 18, जिनमें इंदौर 7, पन्ना 4, भोपाल 2, जबलपुर 2, रायसेन, सागर उज्जैन एक 1, वहीं 30 जुलाई को कुल 10 पॉजिटिव मरीज मिले, जिनमें छतरपुर 3, इंदौर 2, उज्जैन 2, भोपाल जबलपुर ग्वालियर 1-1 मिले हैं.
कांग्रेस ने साधा निशाना
प्रदेश में कोरोना के बढ़ते मामलों को लेकर कांग्रेस ने सरकार को घेरा है. कांग्रेस के प्रवक्ता अजय यादव का कहना है कि सरकार ने सिर्फ बातें ही की हैं. सितंबर तक मध्य प्रदेश में तमाम अस्पताल और ऑक्सीजन प्लांट की बात कही जा रही थी, लेकिन अभी भी कई जिलों में इंफ्रास्ट्रक्चर ही पूरा नहीं हुआ है.
तीसरी लहर के लिए सरकार कितनी तैयार
वहीं, सरकार के मंत्री विश्वास सारंग का कहना है कि सरकार तीसरी लहर को लेकर पूरी तरह से तैयार है. धीरे-धीरे अनलॉक हो चुका है. ऐसे में आम जरूरत की चीजों पर ध्यान देना भी जरूरी है. लेकिन फिर भी सरकार उतनी ही टेस्टिंग करा रही है, जितनी दूसरी लहर में पीक टाइम पर हुई थी. इसके अलावा तमाम इंफ्रास्ट्रक्चर की व्यवस्था भी की गई है.
ऑक्सीजन बेड बढ़ाने का काम शुरू
दरअसल, प्रदेश में तीसरी लहर के खिलाफ लड़ाई अभी से युद्ध स्तर पर जारी है. यहां 3813 ऑक्सीजन बेड बढ़ाने का काम शुरू हो गया है. स्वास्थ्य विभाग के अस्पतालों में 650 और मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में 375 बिस्तरों की तैयारी की है. वहीं, 186 ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाए जा रहे हैं, इनमें अभी तक 35 स्थापित हो चुके हैं, बाकी भी 30 सितंबर के पहले तैयार हो जाएंगे.
तीसरी लहर से बच्चों को कितना खतरा
मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में 380 बिस्तर की बाल/ शिशु गहन चिकित्सा इकाई तैयार की जा रही है, जिसकी समय सीमा 30 सितंबर है. कोरोना संक्रमित और संदिग्ध बच्चों के लिए सभी जिले में एक-एक एंबुलेंस होगी. सभी प्लांट को मिलाकर 229 टन मेडिकल ऑक्सीजन रोज उत्पादन करने की क्षमता होगी. तीसरी लहर के मद्देनजर ज्यादातर काम पूरा करने की समय सीमा 30 सितंबर है.
इसके अलावा भोपाल में काटजू सिविल अस्पताल में 200 बिस्तर तैयार किए गए हैं. इसमें 50 आइसीयू वाले हैं. सीहोर में 300 बिस्तर का अस्पताल तैयार किया जा रहा है. ऑक्सीजन वाले 100 बिस्तर में 50 बच्चों के लिए होंगे. मंडला, डिंडौरी में 70 और 30 बिस्तर का अस्पताल बनाया गया है. 15 अगस्त तक डिंडौरी, बालाघाट, सिवनी और नरसिंहपुर में मिलाकर ऑक्सीजन वाले 200 बिस्तर के अस्पताल और तैयार होंगे. बीना रिफायनरी में ऑक्सीजन वाले 200 बिस्तर तैयार हो रहे हैं.
बता दें कि एएसयू (एयर सेपरेशन यूनिट) -129 टन प्रतिदिन है जोकि 31 टन प्रतिदिन और बढ़ेगी. पीएसए (प्रेशर स्विंग एडजारप्शन) 21 टन प्रतिदिन है, जोकि 208 टन प्रतिदिन बढ़ेगी.
कितने वेंटिलेटर उपलब्ध
सरकारी और निजी अस्पतालों में मिलाकर 2112 वेंटिलेटर उपलब्ध हैं. इनमें 1407 का उपयोग बच्चों के लिए किया जा सकता है. मेडिकल कॉलेजों से संबद्ध अस्पतालों में 1280 वेंटिलेटर हैं. इनमें 480 का उपयोग बच्चों के लिए किया जा सकता है. डॉक्टर-नर्स व अन्य स्टाफ की भी भर्ती की जाएगी.
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यह सब सरकारी दावे
यह सरकार के दावे हैं, लेकिन यह दावे हकीकत में बदलने में फिलहाल समय लगेगा. फिलहाल, अगस्त शुरू हो गया है और कई प्लांट और अस्पताल पूर्ण रूप से शुरू भी नहीं हो पाए हैं. दूसरी और बारिश का खतरा लगातार है. ऐसे में इंफ्रास्ट्रक्चर का काम देरी से हो पाएगा. फिलहाल,मध्यप्रदेश में कोरोना के मरीज बढ़ने से लोगों में दहशत का माहौल है.