भोपाल| प्रदेश में कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लगातार मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है, इंदौर में सोमवार को 1 दिन में 4 लोगों की मौत तो 16 मरीजों में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई है, हालांकि इनमें से तीन मरीजों की मौत पहले ही हो चुकी थी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग सेम्स और एमजीएम मेडिकल कॉलेज के बीच समन्वय की कमी के कारण पुष्टि सोमवार को हुई है.
इस तरह इंदौर में 13 के साथ प्रदेश भर में 18 की मौत हो चुकी है वहीं भोपाल में 22 संक्रमित मरीज सामने आए हैं. इस तरह से संक्रमित मरीजों की संख्या 63 तक पहुंच गई है. जो सरकार के लिए भी चिंता का विषय बन गई है.
जिस तरह से प्रदेश में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है उसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ-साथ डॉक्टर और कई पुलिसकर्मी , परिवार सहित संक्रमित हो चुके हैं . ज्यादातर स्वास्थ्य अधिकारी इस समय घर पर ही आइसोलेट हो चुके हैं.
डॉक्टरों के लिए स्पेशल केबिन
इसे देखते हुए रेल कोच फैक्ट्री निशातपुरा में कुछ स्पेशल केबिन बनाने की कवायद शुरू हो गई है ताकि मरीज का उपचार करते समय डॉक्टर को इस संक्रमण से बचाया जा सके. बताया जा रहा है कि रेलवे कोच फैक्ट्री में करीब 60 स्पेशल केबिन बनाने का काम शुरू कर दिया गया है जिसे जल्द तैयार कर लिया जाएगा.
जानकारी के अनुसार निशातपुरा स्थित रेल कोच फैक्ट्री प्रदेश के 60 डॉक्टरों के लिए कोरोना रोधी केबिन बनाएगी. प्रदेश सरकार ने फैक्ट्री प्रबंधन से कैबिन बनाने को कहा है. इसके पहले फैक्ट्री ने एक केबिन तैयार किया था. इस केबिन की मदद से डॉक्टर अंदर रहकर ही बाहर खड़े कोरोना संदिग्ध व संक्रमित मरीज को सही ढंग से देख सकते हैं और उन्हें ऐसा करते हुए उपचार करने में भी किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी.
रेलवे कोच के शौचालय को मॉडिफाई करके बनेगा केबिन
ये केबिन पुराने रेलवे कोच के शौचालय को मोडिफाई करके बनाए जा रहे हैं, इन्हें चरक नाम दिया है. इन्हें एक से दूसरे स्थान पर 500 मीटर तक हाथ से धकेलकर ले जाया जा सकेगा. मतलब अस्पताल के अंदर से प्रत्येक मरीजों के बेड तक ले जाए जा सकेगा. इन्हें संक्रमण बढ़ने पर ग्रामीण क्षेत्रों में भी आसानी से ले जाया जा सकेगा.
रेल कोच फैक्ट्री में बनाए जा रहे इन स्पेशल केबिन को कर्मचारियों के द्वारा काफी तेजी के साथ युद्धस्तर पर बनाया जा रहा है, ताकि जल्दी से जल्दी इन्हें तैयार कर डॉक्टरों को दिया जा सके. इन कैबिनों के बन जाने के बाद डॉक्टरों में भी एक नया आत्मविश्वास पैदा होगा और वे पूरी सुरक्षा के साथ मरीजों का उपचार कर सकेंगे.