भोपाल। बड़े राज्यों की तर्ज पर भोपाल और इंदौर में दिसंबर 2021 में कमिश्नर सिस्टम लागू किया गया. इसके बाद इन दोनों ही शहरों में अफसरों की तैनाती की गई. इनमें एक कमिश्नर जो कि एडीजी या आईजी रैंक के हैं. इनके अलावा डीआईजी रैंक के दो एडिशनल कमिश्नर, एसपी रैंक के चार डिप्टी कमिश्नर, एएसपी रैंक के 4 एडिशनल डिप्टी कमिश्नर और सीएसपी रैंक के करीब 12 एसीपी नियुक्ति किए गए, लेकिन जनता का सबसे अधिक पाला जिन थानों में पड़ता है, वहां ध्यान नहीं दिया गया.
SI को बनाया इंचार्ज: हाल यह है कि भोपाल के आधा दर्जन थानों में एसआई को ही इंचार्ज बनाकर जिम्मा सौंप दिया है. इसमें गांधी नगर में अरुण कुमार शर्मा, चूना भट्टी में नितिन शर्मा, मिसरोद थाने में रास बिहारी शर्मा, बिलखिरिया में भारत प्रताप मुख्य हैं. इनके अलावा रुरल में भी गुनगा और नजीराबाद अब तक एसआई से टीआई वाले थाने नहीं बन पाए हैं. दूसरी तरफ भोपाल पुलिस मुख्यालय में 40 से अधिक इंस्पेक्टर विभिन्न एडीजी के यहां पदस्थ होकर पुलिसिंग की बजाय फाइलें निपटाने यानी बाबूगिरी का काम कर रहे हैं. हालांकि इस मामले में नवागत कमिश्नर ऑफ पुलिस हरिनारायण चारी मिश्र ने स्ट्रेंथ मैनेजमेंट में सुधार करने की बात कही है. उन्होंने इसको लेकर दो बार समीक्षा भी की है और स्वीकृत व मौजूदा बल में अंतर कम करने के लिए काम कर रहे हैं.
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यहां पदस्थ हुए इंस्पेक्टर रैंक के अफसर: थानों की बजाय इंस्पेक्टर रैंक के अफसरों को भोपाल ट्रैफिक पुलिस, एडीजी ऑफिस, क्राइम ब्रांच में पदस्थ कर दिया गया है. हालात यह है कि इनमें कुछ के पास केसेज भी नहीं है. जानकारी के अनुसार भोपाल में औसतन प्रतिदिन 50 से अधिक एफआईआर दर्ज होती है. एक-एक अफसर के पास दर्जनों विवेचना हैं और लगातार बोझ बढ़ता ही जा रहा है. इसे कम करने के लिए ही अफसरों की टीम बढ़ाई गई थी, लेकिन अब नीचे का अमला घटने लगा है.