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राजधानी में विकास के नाम पर कटे पेड़, हरियाली हुई चौपट

स्मार्ट सिटी के नाम पर राजधानी भोपाल में अब तक 5 हजार के करीब पेड़ों की कटाई की गई, जिसकी वजह से हरियाली मानों गायब सी होती जा रही है. पढ़िए पूरी खबर..

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विकास के नाम पर कटे पेड़
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Published : Jan 4, 2021, 12:45 PM IST

भोपाल। शहर की पहचान जितनी तालाबों से है, उतनी हरियाली से भी है. जो राजधानी की खूबसूरती में चार चांद लगाती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में राजधानी की बढ़ती आबादी और विकास के नाम पर बड़ी संख्या में पेड़ की कटाई की गई है. अगर इस ओर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में भोपाल की ग्रीनरी गायब होती जायेगी.

स्मार्ट सिटी के लिए 5 हजार पेड़ काटे

टीटी नगर में 342 एकड़ एरिया में स्मार्ट सिटी बनाई जा रही है. यहां पर अब तक 5 हजार के करीब पेड़ काट दिए गए हैं. कटाई को लेकर विरोध भी किया गया, जिसके बाद मामला एनजीटी पहुंचा. इसके बाद तय हुआ कि यहां के 850 पेड़ों को चंदनपुरा और कलियासोत इलाके में ट्रांसप्लांट किया जाएगा. पहले चरण में करीब 300 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जा रहा है. वहीं जो पेड़ स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के दायरे से बाहर है, उन्हें नहीं हटाया जाएगा. सिर्फ प्रोजेक्ट के दायरे में आने वाले पेड़ों को हटाया जाना है.

स्मार्ट सिटी के अलावा शहर में बड़ी संख्या में आबादी बढ़ने की वजह से पेड़ काटे जा रहे है. इसको लेकर सह स्मार्ट सिटी अध्यक्ष एवं कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि पेड़ ट्रांसप्लांट का काम स्मार्ट सिटी में डीएम मार्केटिंग कंपनी को दिया गया है, लेकिन कंपनी खुद काम नहीं कर रही है. उन्होंने पेड़ की शिफ्टिंग का काम दिल्ली के रोहित नर्सरी को दिया है.

पेड़ ट्रांसप्लांट का काम शुरू हो गया है, लेकिन इस पर अब सवाल उठ रहे हैं कि जो पेड़ ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं, उसकी दूसरे पेड़ों से दूरी सिर्फ 2 से 5 फीट है. ये नियम के विरुद्ध है. बड़े पेड़ को 20 फीट दूरी पर ट्रांसप्लांट करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

विकास के नाम पर कटे पेड़

एक के बदले 4 पेड़ अगर कोई काटता है, तो उसे एक पेड़ काटने पर 4 पौधे लगाने होते हैं. उसकी देखभाल भी उसे ही करना होती है. पेड़ काटने से पहले 5 हजार 800 रुपए प्रति पेड़ की दर से सीपीए में जमा होते हैं. इसके अलावा 6 हजार रुपये निगम में राशि जमा की जाती है. लकड़ी निगम के स्टोर में जमा की जाती है. यानी एक पेड़ काटने के लिए 11 हजार 800 रुपए जमा किए जाते हैं. ये राशि भरने और तमाम प्रोसेस से बचने के लिए लोग बिना इजाजत के पेड़ धड़ल्ले से काट रहे हैं.

पिछले कुछ महीनों में ये हुई अवैध कटाई

13 मार्च 2020 में 203 पेड़ काटे गए. 23 मई 2020 में कलियासोत में ढाई हजार पेड़ अवैध रूप से काटे गए. 27 सितंबर को चंदनपुर वन्य इलाके में 23 पेड़ अवैध रूप से काटे गए. सितंबर महीने में गांधीनगर स्थित आसाराम आश्रम के पास 228 पेड़ बिना अनुमति के काटे गए, जिसको लेकर नगर निगम के उद्यानिकी शाखा ने बिल्डर पर 11 लाख 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. 23 पेड़ विराशा हाइट्स के पीछे फार्म हॉउस पर काटे गए.

'हरा भोपाल-ठंडा भोपाल' अभियान फैल !

'हरा भोपाल-ठंडा भोपाल' अभियान के तहत भोपाल के पर्यावरण को बचाने और शहर की खूबसूरती को बढ़ाने के उद्देश्य से 10 लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए. इस अभियान में बढ़-चढ़कर लोगों ने भाग भी लिया, लेकिन पौधे के रखरखाव पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

भोपाल। शहर की पहचान जितनी तालाबों से है, उतनी हरियाली से भी है. जो राजधानी की खूबसूरती में चार चांद लगाती है, लेकिन पिछले कुछ सालों में राजधानी की बढ़ती आबादी और विकास के नाम पर बड़ी संख्या में पेड़ की कटाई की गई है. अगर इस ओर जल्द ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में भोपाल की ग्रीनरी गायब होती जायेगी.

स्मार्ट सिटी के लिए 5 हजार पेड़ काटे

टीटी नगर में 342 एकड़ एरिया में स्मार्ट सिटी बनाई जा रही है. यहां पर अब तक 5 हजार के करीब पेड़ काट दिए गए हैं. कटाई को लेकर विरोध भी किया गया, जिसके बाद मामला एनजीटी पहुंचा. इसके बाद तय हुआ कि यहां के 850 पेड़ों को चंदनपुरा और कलियासोत इलाके में ट्रांसप्लांट किया जाएगा. पहले चरण में करीब 300 पेड़ों को ट्रांसप्लांट किया जा रहा है. वहीं जो पेड़ स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्ट के दायरे से बाहर है, उन्हें नहीं हटाया जाएगा. सिर्फ प्रोजेक्ट के दायरे में आने वाले पेड़ों को हटाया जाना है.

स्मार्ट सिटी के अलावा शहर में बड़ी संख्या में आबादी बढ़ने की वजह से पेड़ काटे जा रहे है. इसको लेकर सह स्मार्ट सिटी अध्यक्ष एवं कलेक्टर अविनाश लवानिया ने कहा कि पेड़ ट्रांसप्लांट का काम स्मार्ट सिटी में डीएम मार्केटिंग कंपनी को दिया गया है, लेकिन कंपनी खुद काम नहीं कर रही है. उन्होंने पेड़ की शिफ्टिंग का काम दिल्ली के रोहित नर्सरी को दिया है.

पेड़ ट्रांसप्लांट का काम शुरू हो गया है, लेकिन इस पर अब सवाल उठ रहे हैं कि जो पेड़ ट्रांसप्लांट किए जा रहे हैं, उसकी दूसरे पेड़ों से दूरी सिर्फ 2 से 5 फीट है. ये नियम के विरुद्ध है. बड़े पेड़ को 20 फीट दूरी पर ट्रांसप्लांट करना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

विकास के नाम पर कटे पेड़

एक के बदले 4 पेड़ अगर कोई काटता है, तो उसे एक पेड़ काटने पर 4 पौधे लगाने होते हैं. उसकी देखभाल भी उसे ही करना होती है. पेड़ काटने से पहले 5 हजार 800 रुपए प्रति पेड़ की दर से सीपीए में जमा होते हैं. इसके अलावा 6 हजार रुपये निगम में राशि जमा की जाती है. लकड़ी निगम के स्टोर में जमा की जाती है. यानी एक पेड़ काटने के लिए 11 हजार 800 रुपए जमा किए जाते हैं. ये राशि भरने और तमाम प्रोसेस से बचने के लिए लोग बिना इजाजत के पेड़ धड़ल्ले से काट रहे हैं.

पिछले कुछ महीनों में ये हुई अवैध कटाई

13 मार्च 2020 में 203 पेड़ काटे गए. 23 मई 2020 में कलियासोत में ढाई हजार पेड़ अवैध रूप से काटे गए. 27 सितंबर को चंदनपुर वन्य इलाके में 23 पेड़ अवैध रूप से काटे गए. सितंबर महीने में गांधीनगर स्थित आसाराम आश्रम के पास 228 पेड़ बिना अनुमति के काटे गए, जिसको लेकर नगर निगम के उद्यानिकी शाखा ने बिल्डर पर 11 लाख 40 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था. 23 पेड़ विराशा हाइट्स के पीछे फार्म हॉउस पर काटे गए.

'हरा भोपाल-ठंडा भोपाल' अभियान फैल !

'हरा भोपाल-ठंडा भोपाल' अभियान के तहत भोपाल के पर्यावरण को बचाने और शहर की खूबसूरती को बढ़ाने के उद्देश्य से 10 लाख से ज्यादा पौधे लगाए गए. इस अभियान में बढ़-चढ़कर लोगों ने भाग भी लिया, लेकिन पौधे के रखरखाव पर किसी ने ध्यान नहीं दिया.

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