भोपाल। मध्यप्रदेश में शुक्रवार दोपहर को बिजली की मांग और आपूर्ति में अचानक 250 मेगावॉट का अंतर आ गया. इसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि से जुड़े फीडरों पर दो से चार घंटे अघोषित बिजली कटौती की गई. इस दौरान बिजली की डिमांड करीब 12,587 मेगावॉट पहुंच गई, जबकि सप्लाई 12,337 मेगावॉट की गई. बताया जाता है कि जेपी के पॉवर प्लांट की यूनिट्स में तकनीकी खामियों के कारण बंद होने के चलते ये नौबत आई और मध्यप्रदेश को बिजली नहीं मिल सकी. ऊर्जा विभाग भले ही दावा करे कि गांवों में दो से चार घंटे बिजली काटी जा रही है.लेकिन हकीकत है कि गांवों में 10 से 12 घंटे तक बिजली काटी जा रही है.
प्रदेश में इस समय 2.70 लाख मीट्रिक कोयला उपलब्ध : ऊर्जा विभाग के सूत्रों का दावा है कि प्रदेश में इस समय 2.70 लाख मीट्रिक कोयला उपलब्ध है, जबकि रोज 98 हज़ार मीट्रिक टन की जरूरत होती है. इस समय तीन से चार दिन का कोयला मौजूद है. रोजाना 14 से 16 रैक कोयला प्लांट पर पहुंच रहा है. एक महीने पहले कोयला 2 लाख मीट्रिक टन से कम था. अभी 2.70 लाख मीट्रिक टन कोयला उपलब्ध है, जबकि रोजाना की खपत करीब 98 हजार मीट्रिक टन है.
किस राज्य में कितनी बिजली कटौती
एमपी : ग्रामीण इलाकों में 4 से 6 घंटे कटौती, शहरों में भी अघोषित कटौती
यूपी : शहरों में 4 घंटे और गांवों में 10 घंटे से अधिक
महाराष्ट्र : शहरों में 4 घंटे से लेकर गांवों में 10 घंटे से अधिक
राजस्थान: शहरों में 5 से 7 घंटे और गांवों में 10 घंटे से अधिक
पंजाब : शहरों और गांवों में 2 से 8 घंटे
बिहार : शहरों में 2 घंटे, गांवों में 10 घंटे से अधिक
हिमाचल : उद्योगों की बिजली में 4 से 6 घंटों की कटौती
किस राज्य में बिजली की कितनी कमी
झारखंड - 17.3 फीसदी
जम्मू कश्मीर - 11.6 फीसदी
राजस्थान - 9.6 फीसदी
यूपी - 9 फीसदी
उत्तराखंड - 7.6 फीसदी
मध्यप्रदेश - 2.8 फीसदी
कोल इंडिया की राज्यों पर बकाया राशि (करोड़ों में )
महाराष्ट्र - 2608
पश्चिम बंगाल - 1509.3
झारखंड - 1018.3
तमिलनाडु - 823.9
मध्यप्रदेश - 531.4
राजस्थान - 429.5
आंध्रप्रदेश - 271
छत्तीसगढ़ -202.8
MP की विद्युत कंपनियां 1120 करोड़ का ऋण लेंगी : प्रदेश की तीनों विद्युत वितरण कंपनियों में प्रस्तावित विकास कार्यो के लिए 1400 करोड़ रुपए के वित्त पोषण हेतु पृथक ऋण अनुबंध, पृथक अनुदान अनुबंध एवं प्रोजेक्ट अनुबंध हस्ताक्षरित किया गया है. इस योजना में 1120 करोड़ रुपए का ऋण केएफडब्ल्यू डेवलपमेंट बैंक प्रदान करेगा. प्रदेश सरकार की ओर से योजना में शेष 280 करोड़ रुपये की राशि ऊर्जा विभाग उपलब्ध कराई जाएगी. विद्युत सुधार के इन प्रयासों से प्रदेश में मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी व पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनियों के कार्य क्षेत्र में स्मार्ट मीटरिंग, फीडर सेपरेशन जैसे कार्य किए जा सकेंगे.