भोपाल। अगर आप सड़क पर पैदल जा रहे हैं या फिर भारी यातायात दबाव वाले क्षेत्र में रास्ता पार कर रहे हैं तो सावधान रहने की जरूरत है. राजधानी भोपाल समेत पूरे प्रदेश में हादसों का ग्राफ लगातार बढ़ता ही जा रहा है. पुलिस की लाख कोशिशों के बावजूद भी सड़क हादसों और उनमें होने वाली मौतों का सिलसिला थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. मध्य प्रदेश में जनवरी 2020 से लेकर अब तक ओवर ब्रिज फुटपाथ और जेब्रा क्रॉसिंग पर चलने वाले 224 लोग हादसों में जान गवां चुके हैं.
आइए नजर डालते हैं, प्रदेश में जनवरी से लेकर अब तक मोड, ब्रिज और पुलिया पर होने वाले हादसों पर:-
- मोड पर कुल 6211 हादसे हुए. जिनमें 1267 लोगों ने जान गंवाई.
- ब्रिज पर 1201 हादसे हुए. जिनमें 224 लोगों की मौत हुई. जबकि 195 लोग गंभीर रूप से घायल हुए.
- पुलिया पर कुल 1122 हादसे हुए. जिनमें 279 लोगों की मौत हुई.
- सड़क में गड्ढों की वजह से 339 हादसे हुए. जिनमें 91 मौतें हुई.
- खड़ी चढ़ाई पर कुल 959 हादसे हुए. जिनमें से 36 लोगों ने जान गंवाई.
- सड़क निर्माण कार्य के दौरान कुल 2253 हादसे हुए. जिनमें 317 मौतें हुई.
- जेबरा क्रॉसिंग पर 256 हादसे हुए. जिनमें 30 लोगों की जान गई. जबकि 31 लोग गंभीर रूप से घायल हैं.
- फुटपाथ पर अब तक कुल 724 हादसे हुए. जिनमें 154 की जान गई. 170 गंभीर रूप से घायल हुए.
आठ महीनों में 4 हजार मौतें
मध्यप्रदेश में सड़क हादसे थमने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. पिछले 8 महीनों की ही बात करें तो 19 हजार सड़क हादसों में अब तक 4 हजार से ज्यादा लोग जान गवां चुके हैं. राजधानी भोपाल में भी पिछले 8 महीनों में 13 सौ से ज्यादा सड़क हादसे हुए हैं. जिनमें 153 वाहन चालकों की मौत हो गई है. जबकि कई गंभीर रूप से घायल हैं. हैवी ट्रैफिक और ग्रीन लाइट के दौरान भी पैदल चलने वाले यात्री परवाह किए बिना सड़क पार करने लगते हैं और तेज रफ्तार वाहनों की चपेट में आ जाते हैं. कई यात्री तो ओवरब्रिज होने के बावजूद भी इसका इस्तेमाल नहीं करते.
हादसों की वजह
भोपाल में कुल 103 फुट ओवर ब्रिज हैं. यह ब्रिज नगर निगम पीडब्ल्यूडी और सीपीए समेत कुछ प्राइवेट एजेंसियों के हवाले हैं. लेकिन चौंकाने वाली बात तो यह है कि इनका रखरखाव ठीक ढंग से नहीं किया जा रहा है. आईएसबीटी स्थित फुटओवर ब्रिज पर बुजुर्गों के लिए इलेक्ट भी लगाई गई है. लेकिन यह लिफ्ट काफी दिनों से बंद पड़ी हुई है और ना ही इस ब्रिज में किसी कर्मचारी को नियुक्त किया गया है. वहीं राजधानी के व्यस्ततम एमपी नगर इलाके में भी एक फुट ओवर ब्रिज बनाया गया है. इस ब्रिज पर यात्रियों की सहूलियत के लिए एस्केलेटर भी लगाया गया है. लेकिन काफी दिनों से यह एस्केलेटर भी बंद पड़ा हुआ है. भोपाल की ज्योति टॉकीज चौराहे पर भी है नजारा देखा जा सकता है कि फुटओवर ब्रिज होने के बावजूद भी लोगों के सड़क पार करते हैं और हादसों का शिकार हो जाते हैं.
बंद पड़ी है फुट ओवर ब्रिज की लिफ्ट
भोपाल में नगर निगम के पास 70 एफओबी है तो वहीं सीपीए के पास 23 और पीडब्ल्यूडी के पास 10 एफओबी है. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि शासन समय-समय पर ट्रैफिक को देखते हुए जिन स्थानों पर एफओबी की आवश्यकता है उस पर विचार किया जा रहा है. वहीं सालों से आईएसबीटी फुट ओवर ब्रिज के पास दुकान लगाने वाले रामेश्वर का कहना है कि बहुत ही कम लोग इस ब्रिज का इस्तेमाल करते हैं. लिफ्ट भी बंद पड़ी हुई है और सड़क पार करते समय हादसे भी हो जाते हैं.
ज्यादातर सिग्नलों पर जेबरा क्रॉसिंग नहीं
भोपाल में कुल 65 ट्रैफिक सिग्नल हैं, जिनमें से 40 सिग्नल पर ही जेबरा क्रॉसिंग है. इसके अलावा शहर में करीब 6 जगह पर फुट ओवर ब्रिज की आवश्यकता है. जिनमें न्यू मार्केट, रोशनपुरा चौराहा और बोर्ड ऑफिस चौराहा शामिल है. इन चौक चौराहों और एफओबी को लेकर पीटीआरआई, ट्रैफिक पुलिस, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी जैसे विभाग एक्सपर्ट के साथ मिलकर कमियों को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं. राजधानी भोपाल में 16 ब्लैक स्पॉट चिन्हित किए गए हैं. जबकि प्रदेशभर में 455 ब्लैक स्पॉट को लेकर काम किया जा रहा है. पुलिस और प्रशासन का लक्ष्य है कि इन सभी ब्लैक स्पॉट्स को जीरो एक्सीडेंट जोन बनाया जाए.