भोपाल। बाघा बॉर्डर जाने वाली लड़कियां फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गई थीं. जिनमें 9 की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर उन्हें लुधियाना सिविल अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था (MP Maa Tujhe Pranam Yojana 2023). इलाज के बाद लड़कियों को वापस मालवा एक्सप्रेस से मध्यप्रदेश के लिए रवाना किया गया. इसमें से कुछ लड़कियां फिर बीमार हो गईं और वह भोपाल स्टेशन पर उतरकर खुद इलाज कराने के लिए शाकिर अली अस्पताल पहुंची.
फूड पॉइजनिंग का शिकार हुईं छात्राएं: मध्यप्रदेश शासन की योजना 'मां तुझे सलाम' के अंतर्गत मध्य प्रदेश से लगभग 150 छात्राओं का दल बाघा बॉर्डर पर घूमने गया था. मध्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों से छात्राओं का चयन किया गया था. धार से 52, बैतूल से 15, राजगढ़ जिले से 9 छात्राओं का चयन हुआ था. इस तरह प्रदेश के जिलों से चयन करके छात्राओं को 16 जून को बाघा बॉर्डर ले जाया गया था. वहां से लौटते समय इन लोगों के लिए अमृतसर से खाना पैक कराया गया था. जिसको खाने के बाद काफी लड़कियों की तबीयत खराब हो गई थी.
ट्रेन में नहीं मिली कोई सुविधा: 9 लड़कियों की तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर इन्हें लुधियाना रेलवे स्टेशन पर उतारकर वहां के सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका इलाज किया गया. उसके बाद इन लोगों को मालवा एक्सप्रेस से मध्यप्रदेश के लिए रवाना किया गया. रास्ते में इन छात्राओं को कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई. जनरल डब्बे में बिठाकर रवाना कर दिया गया. जिसके चलते ट्रेन दिल्ली पहुंचने के बाद इनमें से पांच लड़कियों की फिर से तबीयत बिगड़ने लगी.
Also Read: फूड पॉइजनिंग से जुड़ी अन्य खबरें |
टेबलेट देने के एवज में मांगे गए 400 रुपए: बीएसओ से संपर्क करने के बाद भी इन लड़कियों को ट्रेन में कोई उचित इलाज उपलब्ध नहीं कराया गया. जबकि छात्राओं का कहना है कि ''फरीदाबाद आगरा और मथुरा में जो लोग उन्हें देखने आए वह शराब पीए हुए थे और दो-दो टेबलेट पकड़ा कर गए. जिसके एवज में उनसे ₹400 भी मांगे गए.'' छात्राओं का कहना था कि ''ट्रेन में उन्हें काफी असुविधा हुई और उनकी बर्थ के सामने बैठे लोग भी ट्रेन में शराब पी रहे थे.''
खुद अस्पताल पहुंची छात्राएं: मालवा एक्सप्रेस से भोपाल पहुंचने पर इन लड़कियों की तबीयत बहुत ज्यादा बिगड़ने लगी. लड़कियां स्वयं ट्रेन से उतर कर भोपाल रेलवे स्टेशन के पास नंबर प्लेटफार्म की तरफ बने सरकारी अस्पताल शाकिर अली पहुंची. इन लोगों के साथ न ही कोई वॉलिंटियर्स था और न ही कोई ऐसा व्यक्ति जो इनकी देखभाल कर सकें.