भिंड। कोरोना महामारी के चलते हर क्षेत्र की तरह शिक्षा के क्षेत्र में भी परेशानियां बढ़ी हैं. खासकर तब जब प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जुलाई महीने में भी स्कूल न खोले जाने की घोषणा कर दी. ऐसे में स्टूडेंट्स को अपनी पढ़ाई की चिंता सता रही है, तो प्राइवेट टीचर भी परेशान हो रहे हैं.
विकल्प अच्छा लेकिन इंटरेक्शन नहीं
छात्रों की मानें तो जिस तरह हर तरफ कोरोना वायरस का खतरा बना हुआ है ऐसे में फिजिकल क्लासेज या कहे ऑफलाइन क्लासेस सुरक्षित नहीं है. इस वक्त ऑनलाइन पढ़ाई काफी कारगर साबित हो रही है. जो कंटेंट समझ ना आता उसे रिपीट कर समझा जा सकता है. वहीं ऑनलाइन क्लासेस में यदि कोई डाउट हो तो कमेंट सेक्शन में पूछ सकते हैं. स्टूडेंट्स का मानना है कि ऑफलाइन क्लास में शिक्षक से जिस तरह इंटरेक्शन होता है वह अच्छा रहता है. लेकिन ऑनलाइन लर्निंग में यह सुविधा नहीं होती.
ऑनलाइन लर्निंग पर शिक्षकों की राय
ऑनलाइन लर्निंग कंसेप्ट पर भिंड के शिक्षक सत्यभान सिंह भदौरिया का कहना है कि इस कोरोना वायरस के दौर हमें परिस्थितियों से समझौता तो करना ही पड़ा है. ऑनलाइन और ऑफलाइन पढ़ाई में अंतर होता है ऑफलाइन क्लास में हम बच्चों से आई कांटेक्ट में रहते हैं उनका फेस रीडर कर सकते हैं, क्लास में मौजूद बच्चों को आपकी बात समझ आ रही है या नहीं यह भी पता नहीं चल जाता है. लेकिन अब कोरोना महामारी को देखते हुए बच्चों की पढ़ाई का नुकसान ना हो इसके लिए यह वैकल्पिक व्यवस्था की गई है.
बच्चों को मोबाइल थमा रहे अभिभावक
कभी पढ़ाई के लिए बच्चों को मोबाइल से दूर रखने वाले अभिभावक अब खुद बच्चों को पढ़ाई के लिए मोबाइल दे रहे हैं. जिससे कि उनकी पढ़ाई का नुकसान ना हो. हालांकि ग्रामीण अंचल में एंड्रॉयड फोन हर बच्चे का परिवार नहीं खरीद सकता ऐसे में इंटीरियर इलाकों में बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई से अभी दूर नजर आते हैं. शिक्षकों के मुताबिक बच्चों के लिए ऑफलाइन पढ़ाई ज्यादा बेहतर होती है लेकिन वर्तमान में हालात कुछ अलग हैं. इसका सफल क्रियान्वयन तभी सफल होगा जब हर बच्चे के पास स्मार्टफोन होगा.
आने वाला 'ऑनलाइन' भविष्य
सत्यभान सर के मुताबिक फिलहाल ऑनलाइन वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में चलने वाली व्यवस्था है. इसमें अच्छी बात यह भी है कि यह पढ़ाई सामग्री पूरी तरह से ऑनलाइन उपलब्ध है. बच्चा इंटरनेट के माध्यम से कितनी भी बार उसे एक्सेस कर सकता है जब भी समय मिले पढ़ सकता है.
बंद होने की कगार पर प्राइवेट कोचिंग, शिक्षकों की रोजी रोटी
भिंड शहर की एक कोचिंग सेंटर चलाने वाले केमिस्ट्री पढ़ाने वाले शिक्षक संजीव सिंह कहते हैं कि वे चार बैच में करीब 200 बच्चों को आज ऑनलाइन पढ़ा रहे हैं. जबकि कम से कम 1000 बच्चे उनके पास पढ़ने आते थे ऑनलाइन लर्निंग व्यवस्था अच्छी है लेकिन इस व्यवस्था की वजह से प्राइवेट शिक्षकों को खासी परेशानी हो रही है. उनकी रोजी-रोटी तक बंद हो गई है. ऐसे में सरकार को समन्वय बनाकर परिस्थितियों के साथ ऐसी नीति तैयार करना चाहिए जिससे बच्चों को भी नुकसान ना हो और प्राइवेट शिक्षकों की भी रोजी रोटी का इंतजाम हो सके.