भिंड। कोरोना काल लोगों के लिए कई तरह के अनुभव लेकर आया है. जहां पूरा देश इस महामारी की चपेट में है, तो कई आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. ऐसे में फूल सिंह राठौर दूसरों के लिए प्रेरणा बनकर उभरे हैं. कोरोना काल में फूल सिंह ने सैकड़ों महिलाओं को नौकरी दी, जिससे उनकी मदद हो सके.
गोहद निवासी फूल सिंह राठौर अपने घर में काले मोतियों की माला बनाने वाली एक छोटी सी फैक्ट्री चलाते हैं. उन्होंने यह काम पिछले साल लगे लॉकडाउन में शुरू किया था. फूल सिंह को लोग फुल्ली के नाम से भी जानते हैं. फूल सिंह सालों पहले अहमदाबाद में मजदूरी का काम करते थे. फूल सिंह यहां एक हीरा बनाने वाले कारखाने में काम करते थे. उस समय वह महीने में 20 से 25 हजार तक कमा लेते थे. पिछले साल जब कोरोना के कारण लॉकडाउन लगा था, तब उनका रोजगार भी छीन गया था. जिससे वह आर्थिक संकट से जूझने लगे बाद में अपने परिवार के साथ वापस घर लौट आए.
गुजारा करने के लिए गोहद में शुरू की फैक्ट्री
फूल सिंह ने बताया कि उनके परिवार में कई लोग काले मोतियों का काम करते थे, उनकी सलाह पर उन्होंने अपने बचत किए हुए पैसों से घर पर ही काले मोतियों का छोटा व्यापार शुरू किया. महीने में उन्हें करीब 15 से 20 हजार तक मुनाफा होने लगा. ग्रामीण क्षेत्रों में उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं मिल पा रहा था इसलिए उन्होंने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं से संपर्क किया और उन्हें रोजगार दिया. आज सैकड़ों महिलाएं उनकी फैक्ट्री से जुड़ी हुई हैं और मालाएं तैयार कर फूल सिंह को देती हैं. इसके बदले प्रति माला के हिसाब से महिलाओं को वेतन दिया जाता है. महिलाएं उनकी फैक्ट्री से माला बनाने की अन्य सामग्री अपने साथ ले जाती हैं और माला बनाकर फैक्ट्री में जमा करा देती हैं. इससे उनका कारोबार भी अच्छा चलता है और महिलाओं का मुनाफा भी हो जाता है.
खाली समय में मोतियों की मालाएं तैयार करती हैं महिलाएं
फैक्ट्री में काम करने वाली महिलाओं ने बताया कि वह कई तरह की मालाएं तैयार करती हैं, जिनमें खासकर काले मोती की डिमांड सबसे ज्यादा बाजार में है. इसके अलावा कुछ मालाएं आर्टिफिशियल हैं जो मेटल पेन से बनी होती हैं और कुछ वो धागे में पिरोकर तैयार करती हैं. इन मालाओं की खपत सुनारों और बाजार में मिलने वाली आर्टिफिशियल ज्वेलरी की दुकानों पर होती है. पहले ये मालाएं भिंड के बाहरी इलाकों से मंगाई जाती थीं, लेकिन अब इनकी मांग बढ़ने के कारण इनकी कीमत भी बढ़ गई है.
‘घर बैठे मिलते हैं पैसे’
घर में माला तैयार करने वाली एक महिला ने बताया कि वह यह काम अपने शौक के तौर पर करती है. घर का काम खत्म करने के बाद जो भी समय बचता है इसमें काले मोतियों की माला तैयार करती है. जिसके लिए पूरा मटेरियल उन्हें व्यापारी द्वारा उपलब्ध करा दिया जाता है. इस काम में ज्यादा पैसा तो नहीं मिलता, लेकिन घर बैठे कुछ आमदनी हो जाती है. वे कई तरह की मालाएं बनाती हैं. जिनमें सभी की दरें अलग-अलग हैं. तार से बने काले मोती की माला तैयार करने पर उन्हें 1000 मालाओं के लिए 150 रुपए मिलते हैं, वहीं धागे से पिरोकर बनाई गई माला के लिए 80 रुपए प्रति 100 माला की मजदूरी मिलती है.
प्रेरणा की राह बन रहा मोतियों का व्यापार
काले मोती की माला की फैक्ट्री लगाकर फूल सिंह ने अपनी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव लाया है. साथ ही सैकड़ों महिलाओं को रोजगार भी उपलब्ध कराया है. धीरे- धीरे उनका बिजनेस कई और लोगों के लिए भी प्रेरणा का आधार बन रहा है. आज कई गांव में महिलाएं काले मोतियों की मालाएं बना रही हैं. कई अन्य व्यापारी भी अब धीरे धीरे इस धंधे में उतर आए हैं.