भिंड़। जब देश कोरोना से जंग लड़ने के लिए लॉकडाउन में चला गया है तो आफत उस गरीब के लिए खड़ी हो गई है जो दो वक्त की रोटी के लिए रोज मेहनत कर कमाता था. जब बाजार बंद है निर्माण कार्य चौपट हैं तो इनके घर का चूल्हा कैसे जले. भूख से बिलखते बच्चों और बुजुर्गों का पेट कैसे भरे. लेकिन जहां सफेद चोले में भगवान बने डॉक्टर अपनी जान की परवाह किए बिना कोरोना से जंग लड़ रहे है, वहीं भिंड़ के कुछ समाज सेवी गरीबों और असहाय को दिन रात खाना मुहैया करा रहे हैं.
समाज के सेवा में लगे इस टीम के लोगों का मानना है की इस संकट की घड़ी में जिस से जो बन सके करना चाहिए. आसपास के जरूरतमंद लोगों की मदद करना चाहिए. उनका कहना है की यह वक्त मानव सेवा कर अखंड भारत का नारा सिद्ध करने का है, ऐसा करने से हम इस महामारी से लड़ेंगे और जल्द जीतेंगे.
शहर के समाज सेवी बबलू सिंधी अपने दोस्तों के साथ दिन रात इस सेवा के काम में लगे हैं. इनकी टीम हर रोज खाने के करीब 700 पैकेट तैयार करती है और शहर के अलग-अलग इलाकों में बांटती है. उनकी टीम खुद से पैसा इकट्ठा करते हैं कोई घर से तो कोई पॉकेट मनी से दान देता है तो कोई तो कोई अपने निजी बचत से.