भिंड। मध्य प्रदेश की 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव का ऐलान हो चुका है. वोटिंग 3 नवंबर को होगी तो 10 नवंबर को प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला हो जाएगा. लिहाजा प्रत्याशी अब मतदाताओं को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहते. बात अगर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित भिंड जिले की गोहद विधानसभा सीट की जाए, तो यहां बीजेपी के संभावित उम्मीदवार रणवीर जाटव का मुकाबला कांग्रेस के मेवाराम जाटव होगा.
गोहद विधानसभा क्षेत्र में पानी सबसे बड़ी समस्या है. गोहद से लगे आस-पास के सैकड़ों गांव खारे पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. बिजली, पानी, स्वास्थ्य, सड़क और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं मयस्सर नहीं हो सकी. लिहाजा क्षेत्र की जनता से बात स्थानीय जनप्रतिनिधियों से नाराज नजर आती है. उपचुनाव के चलते इस बार भी राजनीतिक दलों के प्रत्याशी अपने वादों के साथ जनता के बीच पहुंच रहे हैं.
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ग्रामीण बहुल विधानसभा सीट है गोहद
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित गोहद विधानसभा ग्रामीण बाहुल्य क्षेत्र है. लेकिन विकास उस गति से नहीं हो पाया जिस गति से होना चाहिए था. गोहद शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक पानी नहीं होने से क्षेत्र के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोगों को पानी दूर से लाना पड़ता है. कहने को तो गोहद में तीन डैम बनाए गए हैं बावजूद इसके लोगों के पेयजल की समस्या आज तक दूर नहीं हो सकी है. गर्मियों में तो हालत यह हो जाते हैं कि यहां के लोगों को पानी खरीदना पड़ता है. क्षेत्र में 130 करोड़ रुपए की पानी फिल्टर प्लांट की परियोजना लगनी है. लेकिन यह योजना मूर्त रुप लेते नजर नहीं आती.
रोजगार नहीं होने से युवा परेशान
पानी के अलावा गोहद में रोजगार भी एक बड़ी समस्या है. क्षेत्र के युवाओं को रोजगार के लिए दूसरे शहरों का पलायन करना पड़ता है. भिंड जिले का इंडस्ट्रियल एरिया मालनपुर गोहद क्षेत्र में ही आता है. इस क्षेत्र कहने को तो बहुत सी फैक्ट्रियां लगी हैं., लेकिन इनका फायदा भिंड जिले के खासकर गोहद विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय लोगों को नहीं मिल पाता है. ऐसे में इस क्षेत्र के लोग रोजगार के लिए दूसरे शहरों का पलायन करे को मजबूर हैं. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता है कि लॉकडाउन में 50 हजार से ज्यादा लोग गोहद क्षेत्र से देश के अलग-अलग क्षेत्रों से लौटे थे. जो यहां के बेरोजगारी की कहानी खुद बा खुद बयां कर देती है.
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बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं न होना भी बड़ी परेशानी
गोहद क्षेत्र में पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं न होना भी एक बड़ी परेशानी है. यहां अब तक बड़ा अस्पताल ना होने की वजह से लोगों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाता. वही स्वास्थ्य केद्रों में डॉक्टरों की कमी की वजह से लोगों को प्राथमिक उपचार के बाद ज्यादातर ग्वालियर या भिंड जिला अस्पताल का रुख करना पड़ता है. हालांकि इस समस्या को दूर करने या कहें चुनाव में एक बार फिर इसका फायदा उठाने शिवराज सरकार ने उपचुनावों की तारीख घोषित होने से एक घंटे पहले गोहद में सिविल अस्पताल खोले जाने की घोषणा की है.
प्रत्याशियों ने फिर किए वादे
जब इन जन समस्याओं को लेकर तीनों ही राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों से जानकारी ली गई और पूछा गया कि वे इस बार जनता को चुनाव में क्या सौगात देंगे. तो तीनों बीजेपी, कांग्रेस और बसपा के प्रत्याशियों के जवाब अलग-अलग थे. बीजेपी के संभावित प्रत्याशी रणवीर जाटव का कहना था कि पानी की समस्या दूर करने के लिए हाल ही में सीएम शिवराज ने कई महत्वपूर्ण घोषणाएं की है इसलिए क्षेत्र में जल्द ही पानी की समस्याएं दूर हो जाएगी.
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वही कांग्रेस प्रत्याशी मेवाराम जाटव का कहना था कि कमलनाथ के जब मुख्यमंत्री बने थे, तो क्षेत्र में कई काम किए गए थे. जबकि कई बड़े कामों की शुरुआत इस क्षेत्र में हो रही थी. लेकिन तभी बीजेपी ने कांग्रेस सरकार गिरा दी. इसलिए इस बार जनता उन्हें मौका देगी तो वह क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने का काम करेंगे. वही बसपा प्रत्याशी यशवंत पटवारी का कहना है कि बीएसपी अपना मेनिफेस्टो जारी नहीं करती, भारत का संविधान ही हमारा मेनिफेस्टो है और रही क्षेत्र के स्थानीय समस्याएं हैं अगर वह विधायक बनते हैं तो वे उन पर काम करेंगे
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अलग-अलग लोगों से उनकी राय लेने पर गोहद विधानसभा सीट पर कई समस्याएं निकल कर सामने आयी. लिहाजा इस बार गोहद में दल बदल, आरोप-प्रत्यारोप से इतर विकास भी बड़ा मुद्दा है, यानि जिसके विकास के दावों में दम होगा. जनता उसे मौका दे सकती है. ऐसे सियासी समीकरणों के उलट गोहद की जनता इस बार किसे अपना नेता चुनेगी यह तो 10 नबवंर को ही पता चलेगा. लेकिन जनता के दिल में उतरने के लिए प्रत्याशियों को इस बार काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है