भिंड। हर साल देश में 29 अगस्त को महान हॉकी प्लेयर मेजर ध्यानचंद की याद में राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है. इस खेल दिवस पर एक ऐसे दिव्यांग खिलाड़ी से रूबरू करा रहे हैं, जिसने न सिर्फ अपने मां-बाप का, अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत का प्रतिनिधित्व किया. ये खिलाड़ी है पूजा ओझा.
वैसे तो भिंड जिले की गिनती पिछड़ों में होती है, लेकिन भिंड की बेटी पूजा ओझा ने भिंड का नाम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है. खेल जगत में अपनी पहचान बनाने के लिए खिलाड़ियों को पूरी जिंदगी लगानी पड़ जाती है, ऐसे में एक दिव्यांग खिलाड़ी के लिए पहचान बनाना बेहद मुश्किल होता है, लेकिन पूजा ने अपनी पहचान भारत की पहली महिला कैनो और कयाकिंग खिलाड़ी के रूप में बनाई.
जब सामान्य खेलों में भी खिलाड़ियों को कड़ी मेहनत कर आगे बढ़ना पड़ता है, तब दिव्यांग पूजा ओझा ने वाटर स्पोर्ट्स में अपना करियर बनाने का विकल्प चुना. पूजा कहती हैं कि लोगों को स्पोर्ट्स अपने जीवन में समाहित करना चाहिए. खेल हमेशा लोगों को अनुशासित रखता है. पूजा का मानना है कि कैनो एंड कयाकिंग वाटर स्पोर्ट्स इंडिया में अभी नए हैं और उन्हें इस बात की खुशी है कि कैनो और कयाकिंग में वो देश की पहली महिला खिलाड़ी हैं. इस खेल में स्कोप बहुत है, इसलिए और भी लोगों को इस खेल में आगे आना चाहिए. खासकर भिंड जैसी जगह में जहां खिलाड़ियों में काफी पोटेंशियल है, यहां बेटियां भी ऐसे स्पोर्ट्स में आगे बढ़ सकती हैं.
पूजा ओझा ने साल 2017 में भोपाल में आयोजित ऑल इंडिया कयाकिंग कैनोइंग प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल हासिल किया था. ये सफलता उनकी पहली सीढ़ी थी, जहां उन्होंने मध्यप्रदेश के नाम का डंका बजाया था. उसके बाद थाइलैंड में हुई एशियन कैनो पैरा चैंपियनशिप में भारत को सिल्वर मेडल दिलाया. वहीं 2019 में वर्ल्ड पैरा कैनोइंग चैंपियनशिप में भी पूजा टॉप 10 खिलाड़ियों में शामिल हुईं. लॉकडाउन से पहले जापान में आयोजित पैरा ओलंपिक स्पोर्ट्स के लिए टेस्ट कंपटीशन में हिस्सा लेकर वो विश्व की 6वीं रैंक पर पहुंच गईं. वर्तमान में पूजा आगामी पैरा ओलंपिक स्पोर्ट्स में क्वालीफायर टॉप 10 इंटरनेशनल प्लेयर की लिस्ट में 9वीं रैंकिंग पर हैं और अगर सब ठीक रहा तो वो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करती नजर आएंगी.
अपने ओलंपिक में जाने के सपने को पूरा करने के लिए पूजा ओझा हर रोज मेहनत कर रही हैं. लॉकडाउन की वजह से 4 महीने पूरी तरह ब्लॉकेज रहा, लेकिन अब प्रशासन से परमिशन लेकर वो रोजाना सुबह 2 घंटे गौरी सरोवर में अपनी कैनो प्रैक्टिस के लिए जाती हैं. जिसके बाद वो करीब एक से डेढ़ घंटा एक्सरसाइज करती हैं, साथ ही शाम को भी जिम जाती हैं. वो हर रोजाना अपना वर्क आउट बढ़ा रही हैं. जिससे स्टैमिना मजबूत हो और ओलंपिक में उनके जीतने के चांस ज्यादा से ज्यादा बढ़ सकें.
पूजा कहती हैं कि भिंड जिले में बने ट्रेनिंग सेंटर पर ज्यादा सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी. कलेक्टर की मदद से धीरे-धीरे कई चीजें सेंटर को मिली तो खेल विभाग को भी अब इस ओर ध्यान देने की जरूरत है. जिससे भिंड के खिलाड़ी बेहतर प्रदर्शन के साथ जिले का नाम रोशन कर सकें. साथ ही उन्होंने हर एक मां-बाप से भी अपील की है कि वो अपनी बेटियों को आगे बढ़ने का मौका दें क्योंकि बेटियां आज किसी से कम नहीं हैं. वो कुछ भी कर सकती हैं. खासकर खेल में वो काफी आगे तक जा सकती हैं.