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ग्रामीण अंचल में फिसड्डी साबित हो रहीं ऑनलाइन क्लास, छात्रों के पास नहीं मोबाइल खरीदने के पैसे

राज्य सरकार की ओर से विकल्प के तौर पर ऑनलाइन पढ़ाई का रास्ता अपनाया गया है. बच्चे स्मार्ट फोन, लैपटॉप से इंटरनेट के जरिये शिक्षण सामग्री का उपयोग कर अपनी पढ़ाई शुरू कर सकते हैं.

Poverty and online class
गरीबी और ऑनलाइन क्लास
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Published : Jul 20, 2020, 5:23 PM IST

भिंड। मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी के दौर में व्यापार के साथ ही शिक्षा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. आधा जुलाई बीच चुका है. ये वो महीने हैं जब बच्चे स्कूल में एडमिशन लेकर अपनी क्लासेस लेना शुरू कर देते हैं. लेकिन कोरोना महामारी के कारण राज्य सरकार के आदेश के बाद से ही प्रदेश के सभी स्कूल बंद हैं. राज्य शासन ने फैल रहे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए 31 जुलाई तक स्कूल बंद रखने के निर्देश दिये हैं. ऐसे में राज्य सरकार की ओर से विकल्प के तौर पर ऑनलाइन पढ़ाई का रास्ता अपनाया गया है. बच्चे, एंड्राइड स्मार्टफोन, लैपटॉप से इंटरनेट के जरिए शिक्षण सामग्री का उपयोग कर अपनी शुरू पढ़ाई कर सकते हैं. देखने में ऑनलाइन क्लासेस वैसे तो सभी के लिए सहुलियत जैसी लगती है लेकिन ग्रामीण स्तर पर सरकार की यह योजना कहीं न कहीं असफल नजर आ रही है.

फिसड्डी साबित हो रहीं ऑनलाइन क्लास

ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों का कहना है कि उनके पास मोबाइल खरीदने के लिए पैसे ही हैं. क्योंकि उनका परिवार रोज कमाकर अपना गुजारा चलाता है. ऊपर से कोरोनाकाल में रोजगार भी नहीं मिल रहा है. तो ग्रामीण बच्चे अपनी ऑनलाइन क्लास कैसे अटेंड करें. छात्र लवकुश ने बताया कि वह तो घर पर बैठा है. उसने बताया कि जो उसने 11वीं क्लास में पढ़ा था उसी को रिवाइस कर पढ़ रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर छात्र ने कहा कि उसके पास तो मोबाइल ही नहीं है तो ऑनलाइन पढ़ाई का सवाल ही खड़ा नहीं होता है. युवक ने बताया कि उसके एंड्राइड मोबाइल नहीं हैं. छात्र ने अपनी हकीकत बयां करते हुए कहा कि उतना ही कमाते हैं और उतना ही पढ़ते हैं. 12वीं बोर्ड की पढ़ाई को लेकर पूछे गए सवाल पर छात्र लवकुश ने कहा कि उसकी पढ़ाई तो घर बैठकर ही करेंगे.

book
किताब

मोबाइल के लिए नहीं हैं पैसे

एक छात्रा मलुआ ने बताया कि उनके मां बाप के पास पैसे नहीं हैं वह मोबाइल कैसे खरीदे. अब तो स्कूल खुलेंगे तभी पढ़ाई शुरू की जा सकती हैं. जब छात्रा से पूछा गया कि स्कूल की तरफ से कह दिया गया है कि मोबाइल पर घर बैठे पढ़ाई करना तो उसने जबाव देते हुए कहा कि उसके परिजनों के पास पैसे ही नहीं हैं. 12वीं के छात्र गोविंद राजपूत ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि उसके पास मोबाइल की व्यवस्था नहीं है. ऊपर से स्कूल के सर उससे ऑनलाइन पढ़ने का दबाव बना रहे हैं. छात्र ने बताया कि उसके गांव में तो मोबाइल नेटवर्क नहीं हैं.

Little kids
नन्हे मुन्ने बच्चे

मोबाइल से ज्यादा पेट भरने के लाले

जब छात्र से पूछा गया कि घर वाले मोबाइल नहीं खरीद पा रहे हैं तो छात्र ने कहा कि कोरोना के कारण पहले ही बेरोजगार की समस्या है और ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल कहां से खरीदें. एक परिजन ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि बाजार में पांच हजार से कम का तो मोबाइल आ नहीं रहा है. ऊपर से पैसा भी नहीं है. अभिभावक ने बताया कि यदि उनके पास पैसा होता तो वह अपने बच्चों को मोबाइल दिलवा देते. लेकिन उनके पास भी पैसा नहीं है. अभिभावक ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि इस कोरोना काल में मजदूरी कहीं मिल रही है. ऐसे में बच्चों के लिए कहा से मोबाइल लें.

ग्रामीणों छात्रों के लिए दुश्वारियां

शासकीय स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक अभय सिंह भदौरिया भी मानते हैं कि डिजिटल लैब के माध्यम से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने की मुहिम चलाई जा रही है. शहरी स्तर पर तो ठीक है लेकिन जब ग्रामीण परिवेश की बात की जाए तो यहां कई तरह की दुश्वारियां हैं. जैसे बच्चों के पास मोबाइल नहीं है. यदि किसे के पास मोबाइल नहीं है तो नेटवर्क की समस्या है. वहीं इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी हरिभवन सिंह तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश शासन की ओर से कोरोना काल में बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेस संचालित हो रही हैं.

मध्यप्रदेश शासन कोरोना काल में हर संभव कोशिश कर रहा है कि बच्चों की पढ़ाई जारी रहे. तमाम कार्यक्रमों के जरिए स्कूल बंद होने के बाद व्यवस्थाएं की जा रही हैं लेकिन यह कहना भी गलत नहीं है कि तमाम व्यवस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों में असफल साबित हो रही हैं. क्योंकि जिन क्षेत्रों में रोज कमाकर खाने वाले मजदूर को मजदूरी नहीं मिल रही हो वो भला अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए मोबाइल और टीवी का इंतजाम कैसे करेगा.

भिंड। मध्यप्रदेश में कोरोना महामारी के दौर में व्यापार के साथ ही शिक्षा क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. आधा जुलाई बीच चुका है. ये वो महीने हैं जब बच्चे स्कूल में एडमिशन लेकर अपनी क्लासेस लेना शुरू कर देते हैं. लेकिन कोरोना महामारी के कारण राज्य सरकार के आदेश के बाद से ही प्रदेश के सभी स्कूल बंद हैं. राज्य शासन ने फैल रहे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए 31 जुलाई तक स्कूल बंद रखने के निर्देश दिये हैं. ऐसे में राज्य सरकार की ओर से विकल्प के तौर पर ऑनलाइन पढ़ाई का रास्ता अपनाया गया है. बच्चे, एंड्राइड स्मार्टफोन, लैपटॉप से इंटरनेट के जरिए शिक्षण सामग्री का उपयोग कर अपनी शुरू पढ़ाई कर सकते हैं. देखने में ऑनलाइन क्लासेस वैसे तो सभी के लिए सहुलियत जैसी लगती है लेकिन ग्रामीण स्तर पर सरकार की यह योजना कहीं न कहीं असफल नजर आ रही है.

फिसड्डी साबित हो रहीं ऑनलाइन क्लास

ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ने वाले छात्रों का कहना है कि उनके पास मोबाइल खरीदने के लिए पैसे ही हैं. क्योंकि उनका परिवार रोज कमाकर अपना गुजारा चलाता है. ऊपर से कोरोनाकाल में रोजगार भी नहीं मिल रहा है. तो ग्रामीण बच्चे अपनी ऑनलाइन क्लास कैसे अटेंड करें. छात्र लवकुश ने बताया कि वह तो घर पर बैठा है. उसने बताया कि जो उसने 11वीं क्लास में पढ़ा था उसी को रिवाइस कर पढ़ रहा है. ऑनलाइन पढ़ाई को लेकर छात्र ने कहा कि उसके पास तो मोबाइल ही नहीं है तो ऑनलाइन पढ़ाई का सवाल ही खड़ा नहीं होता है. युवक ने बताया कि उसके एंड्राइड मोबाइल नहीं हैं. छात्र ने अपनी हकीकत बयां करते हुए कहा कि उतना ही कमाते हैं और उतना ही पढ़ते हैं. 12वीं बोर्ड की पढ़ाई को लेकर पूछे गए सवाल पर छात्र लवकुश ने कहा कि उसकी पढ़ाई तो घर बैठकर ही करेंगे.

book
किताब

मोबाइल के लिए नहीं हैं पैसे

एक छात्रा मलुआ ने बताया कि उनके मां बाप के पास पैसे नहीं हैं वह मोबाइल कैसे खरीदे. अब तो स्कूल खुलेंगे तभी पढ़ाई शुरू की जा सकती हैं. जब छात्रा से पूछा गया कि स्कूल की तरफ से कह दिया गया है कि मोबाइल पर घर बैठे पढ़ाई करना तो उसने जबाव देते हुए कहा कि उसके परिजनों के पास पैसे ही नहीं हैं. 12वीं के छात्र गोविंद राजपूत ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि उसके पास मोबाइल की व्यवस्था नहीं है. ऊपर से स्कूल के सर उससे ऑनलाइन पढ़ने का दबाव बना रहे हैं. छात्र ने बताया कि उसके गांव में तो मोबाइल नेटवर्क नहीं हैं.

Little kids
नन्हे मुन्ने बच्चे

मोबाइल से ज्यादा पेट भरने के लाले

जब छात्र से पूछा गया कि घर वाले मोबाइल नहीं खरीद पा रहे हैं तो छात्र ने कहा कि कोरोना के कारण पहले ही बेरोजगार की समस्या है और ऑनलाइन क्लास के लिए मोबाइल कहां से खरीदें. एक परिजन ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि बाजार में पांच हजार से कम का तो मोबाइल आ नहीं रहा है. ऊपर से पैसा भी नहीं है. अभिभावक ने बताया कि यदि उनके पास पैसा होता तो वह अपने बच्चों को मोबाइल दिलवा देते. लेकिन उनके पास भी पैसा नहीं है. अभिभावक ने अपनी समस्या बताते हुए कहा कि इस कोरोना काल में मजदूरी कहीं मिल रही है. ऐसे में बच्चों के लिए कहा से मोबाइल लें.

ग्रामीणों छात्रों के लिए दुश्वारियां

शासकीय स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक अभय सिंह भदौरिया भी मानते हैं कि डिजिटल लैब के माध्यम से बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाने की मुहिम चलाई जा रही है. शहरी स्तर पर तो ठीक है लेकिन जब ग्रामीण परिवेश की बात की जाए तो यहां कई तरह की दुश्वारियां हैं. जैसे बच्चों के पास मोबाइल नहीं है. यदि किसे के पास मोबाइल नहीं है तो नेटवर्क की समस्या है. वहीं इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी हरिभवन सिंह तोमर ने कहा कि मध्यप्रदेश शासन की ओर से कोरोना काल में बच्चों के लिए ऑनलाइन क्लासेस संचालित हो रही हैं.

मध्यप्रदेश शासन कोरोना काल में हर संभव कोशिश कर रहा है कि बच्चों की पढ़ाई जारी रहे. तमाम कार्यक्रमों के जरिए स्कूल बंद होने के बाद व्यवस्थाएं की जा रही हैं लेकिन यह कहना भी गलत नहीं है कि तमाम व्यवस्थाएं ग्रामीण क्षेत्रों में असफल साबित हो रही हैं. क्योंकि जिन क्षेत्रों में रोज कमाकर खाने वाले मजदूर को मजदूरी नहीं मिल रही हो वो भला अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए मोबाइल और टीवी का इंतजाम कैसे करेगा.

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