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MP Seat Scan Bhind: यहां अपने ही कर सकते हैं अंतर्घात, जाने भिंड विधानसभा सीट पर क्या बन रहे सियासी हालात

चुनावी साल में ETV Bharat आपको मध्यप्रदेश की एक-एक सीट का विश्लेषण लेकर आ रहा है. आज हम आपको बताएंगे भिंड विधानसभा सीट के बारे में. जनता का भरोसा पाने के लिए यहां नेताओं को जद्दोजहद करना पड़ता है. इस सीट पर सपा और बसपा का खाता भी खुल चुका है. आज बात करेंगे भिंड विधानसभा सीट के सियासी समीकरण और इतिहास का ETV Bharat के सीट स्कैन के जरिए..

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Published : Jun 25, 2023, 6:10 AM IST

भिंड। साल के आखिरी महीनों में मध्यप्रदेश में कभी भी विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. ये चुनाव इस बार ना सिर्फ़ बीजेपी बल्कि विपक्षी दल कांग्रेस के लिए भी एक चुनौती साबित होंगे. जहां लगभाग 19 साल तक लगातार सरकार में रहने वाली बीजेपी महंगाई, बेरोजगारी और विकास के मुद्दों के चलते पिछड़ती नजर आ रही है वहीं कांग्रेस भी अपने 15 महीने की सरकार में लिए गलत फैसले और अधूरे वादों की वजह से जनता का भरोसा पाने के लिए जद्दोजहद कर रही है. आइये आज बात करेंगे प्रदेश की 230 विधानसभा में से निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 10 यानी भिंड विधानसभा सीट की और समझेंगे इस सीट का गणित.

MP Seat Scan Bhind
क्षेत्र की विशेषताएं

भिंड विधानसभा क्षेत्र की विशेषताएं: मध्य प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक -10 अपने आप बहुत महत्वपूर्ण है, पहले तो यह क्षेत्र जिला मुख्यालय है तो प्रशासनिक रूप से आम जनता के विकास का केंद्र है. यहां बने प्राचीन वनखांडेश्वर मंदिर और गौरीसरोवर का अपना इतिहास है और आस्था का केंद्र है. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया(SAI) द्वारा प्रदेश का दूसरा वाटर स्पोर्ट्स रोइंग सेंटर भिंड मुख्यालय के गौरी सरोवर पर प्रस्तावित है. जो भविष्य में इस जिले को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सकता है. रेल सुविधा से उत्तरप्रदेश की कनेक्टिविटी भी भिंड रेलवे स्टेशन से ही है जो यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

MP Seat Scan Bhind
भिंड विधानसभा क्षेत्र के मतदाता

भिंड विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: अगर भिंड विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में भिंड विधानसभा क्षेत्र में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 2 लाख 63 हजार 374 मतदाता हैं जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 143416 और महिला मतदाता 119956 हैं साथ ही 2 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में वोट करने का अधिकार रखते हैं.

भिंड का सियासी समीकरण: चंबल के चुनाव में भिंड जिले की पांचों विधानसभाओं में सबसे अहम विधानसभा मध्यप्रदेश निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 10 है ये सीट फ़िलहाल BJP के खाते में हैं. वर्तमान में भिंड विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजीव सिंह कुशवाह हैं जब 2018 में हुए चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. जनता का समर्थन भी मिला है लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए ये कोई नहीं जानता कुछ ऐसा ही भिंड की जनता के साथ भी हुआ. अब बात 2023 के लिए की जाए तो ज़िले की पांच विधानसभा में से एक भिंड विधानसभा सीट पर किसी एक दल का न तो क़ब्ज़ा रहा है और ना ही जनता ने बीते दो दशक में किसी एक विधायक को लगातार दूसरी बार विधायक चुना.

1957 से अब तक इस विधानसभा सीट पर 13 बार चुनाव हो चुके हैं जिनमें 1 बार उपचुनाव भी शामिल था हालांकि अब तक मूल रूप से मुक़ाबला BJP और कांग्रेस के बीच ही रहा. भिंड पर 8 बार कांग्रेस ने फ़तह हासिल की है जबकि BJP यहां चार बार अपना विधायक बनाने में सफल रही है और एक बार बसपा भी यहां अपना खाता खोल चुकी है. जब विधानसभा के चुनाव होंगे तो यहां चुनौती BJP हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए बड़ी नज़र आ रही है. क्यूंकि चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी पर लगे दलबदलू नेता के तमगे के चलते टिकट मिलना आसान नहीं है वहीं कोई और बड़ा चेहरा विधायकों के लिए फिलहाल नजर नहीं आ रहा है.

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मुसीबत बीजेपी के लिए भी उतनी ही है. क्यूंकि संजीव सिंह के BJP में शामिल हो जाने से भिंड विधानसभा में BJP दो खेमों में बंट चुकी है. क्योंकि हर कोई जानता है कि पूर्व विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह और वर्तमान विधायक संजीव सिंह कुशवाह एक दूसरे के कट्टर विरोधी है और अब तक एक दूसरी के ख़िलाफ़ ही चुनाव लड़ते आए हैं लेकिन संजीव सिंह कुशवाह के BJP में शामिल हो जाने के बाद भले ही दोनों नेता आज 1 ही पार्टी में हूं लेकिन अंदरूनी तौर पर दोनों का विरोध आज भी जारी है. यदि पार्टी इनमें से किसी भी एक खेमे को टिकट देती है तो दूसरा खेमा नफरत अंदरूनी तौर पर विरोध करेगा बल्कि इसका नुकसान विधानसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिलेगा हालांकि पार्टी यहां से किसको टिकट देगी इस बारे में अभी किसी तरह की कोई बात सामने नहीं आयी है. हालांकि अटकलें लगायी जा रही है कि यहां से जल्द ही BJP में गांव के पूर्व विधायक अब वर्तमान में प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी को बतौर प्रत्याशी खड़ा कर सकती है. अब जब चुनाव की घोषणा होगी तो टिकट आवंटन पर भी लोगों का विशेष फोकस रहने वाला है.

MP Seat Scan Bhind
विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े

विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े: मध्य प्रदेश में जब 2018 में चुनाव हुए तो इस सीट पर ना कांग्रेस जीती, बीजेपी कि अपना विधायक बना पायी, यहां जानता का समर्थन जिसे मिला वह थी बसपा और कैंडिडेट थे पूर्व में बीजेपी से ही बगावत कर बसपा के टिकट लड़ने वाले संजीव सिंह कुशवाह (संजू). जिन्होंने भारतीय जानता पार्टी से चुनाव लड़े पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को हराया था. यहां बीजेपी से टिकट ना मिलने पर सिटिंग विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह भी सपा से चुनाव लड़े लेकिन तीसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस के तत्कालीन कैंडिडेट और सिंधिया समर्थक रमेश दुबे की तो जमानत तक जब्त हो गई थी.

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आख़िरी तीन विधानसभा चुनाव की स्थिति

भिंड विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: विधानसभा चुनाव 2013 में भी भिंड विधानसभा सीट पर यह मुख्य मुक़ाबला BJP और बसपा के बीच था. यहां भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ें नरेन्द्र सिंह कुशवाह मोदी लहर के चलते विधायक चुने गए थे वहीं उनके अपोज़िट चुनाव लड़ रहे पूर्व सांसद राम लखन सिंह के बेटे संजीव सिंह को सपा बसपा से प्रतिद्वन्दी थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था इस चुनाव में BJP से विधायक चुने गए नरेंद्र सिंह को जनता ने 51170 वोट दिए जो कुल मतदान मतपत्रों का 41.12% था. जबकि बसपा प्रत्याशी संजीव सिंह कुशवाह 45177 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे. उन्हें जनता के 36.30% मत प्राप्त हुए थे जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ राधेश्याम शर्मा 21281 वोट्स के साथ तीसरे स्थान पर रहे. यहां जीत का अंतर 5593 वोट रहा.

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भिंड विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़े: विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़ों की बात की जाए तो इन चुनावों में जनता का आशीर्वाद कांग्रेस को मिला था. भिंड सीट से बतौर प्रत्याशी उतरे चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी तीसरी बार विधायक बने थे उन्हें इस चुनाव में 34602 वोट मिले थे जो कुल डाले गये मतों का 33.82% था. वहीं निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के नरेंद्र सिंह कुशवाहा थे जिन्हें 25506 मत हांसिल हुए थे. जो कुल मत प्रतिशत का 24.93% था. बीजेपी प्रत्याशी डॉ रामलखन सिंह की इस चुनाव में जमानत जब्त हुई थी. चुनाव के बाद कांग्रेस ने चौथी बार विधायक बने चौ. राकेश सिंह चतुर्वेदी को सरकार में मंत्री बनाया था.

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विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे

विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: मध्यप्रदेश में चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाता है भिंड विधानसभा क्षेत्र में भी अपनी कुछ समस्याएं और मुद्दे हैं जिन्हें लम्बे समय से दूर किए जाने की मांग उठाती रही हैं. इनमें इस क्षेत्र में सक्रिय रेत और शराब माफिया एक बड़ी समस्या हैं. वहीं अवैध हथियार और आपराधिक घटनाएं आम बात है चुनाव के दौरान अवैध हथियारों की सप्लाई चुनाव तक को प्रभावित करती है. हालंकि सबके उलट विकास के भी अहम मुद्दे हैं जिनमें उच्चशिक्षा का अभाव सबसे पहले आता है.

स्थानीय तौर पर मुख्यालय के सिवा कहीं भी महाविद्यालय नहीं हैं जिसकी वजह से विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को अन्य बड़े ज़िलों का रुख करना पड़ता है. वहीं लम्बे समय से इस क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की माँग रही है, हाल ही में मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा तो की है लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं मिली है. नगरनिगम की माँग तो बीते दो दशक से उठायी जंगली है लेकिन यह भी सीएम की घोषणा तक सीमित है जमीनी स्तर पर काम कब होगा कहना मुश्किल है.दिल्ली भोपाल से सीधी रेल रेल सुविधा की दरकार भी अहम मुद्दा है.

भिंड। साल के आखिरी महीनों में मध्यप्रदेश में कभी भी विधानसभा चुनाव हो सकते हैं. ये चुनाव इस बार ना सिर्फ़ बीजेपी बल्कि विपक्षी दल कांग्रेस के लिए भी एक चुनौती साबित होंगे. जहां लगभाग 19 साल तक लगातार सरकार में रहने वाली बीजेपी महंगाई, बेरोजगारी और विकास के मुद्दों के चलते पिछड़ती नजर आ रही है वहीं कांग्रेस भी अपने 15 महीने की सरकार में लिए गलत फैसले और अधूरे वादों की वजह से जनता का भरोसा पाने के लिए जद्दोजहद कर रही है. आइये आज बात करेंगे प्रदेश की 230 विधानसभा में से निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 10 यानी भिंड विधानसभा सीट की और समझेंगे इस सीट का गणित.

MP Seat Scan Bhind
क्षेत्र की विशेषताएं

भिंड विधानसभा क्षेत्र की विशेषताएं: मध्य प्रदेश विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक -10 अपने आप बहुत महत्वपूर्ण है, पहले तो यह क्षेत्र जिला मुख्यालय है तो प्रशासनिक रूप से आम जनता के विकास का केंद्र है. यहां बने प्राचीन वनखांडेश्वर मंदिर और गौरीसरोवर का अपना इतिहास है और आस्था का केंद्र है. स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया(SAI) द्वारा प्रदेश का दूसरा वाटर स्पोर्ट्स रोइंग सेंटर भिंड मुख्यालय के गौरी सरोवर पर प्रस्तावित है. जो भविष्य में इस जिले को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिला सकता है. रेल सुविधा से उत्तरप्रदेश की कनेक्टिविटी भी भिंड रेलवे स्टेशन से ही है जो यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

MP Seat Scan Bhind
भिंड विधानसभा क्षेत्र के मतदाता

भिंड विधानसभा क्षेत्र के मतदाता: अगर भिंड विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की करें तो वर्तमान में भिंड विधानसभा क्षेत्र में (1.1.2023 के अनुसार) कुल 2 लाख 63 हजार 374 मतदाता हैं जिनमें से पुरुष मतदाताओं की संख्या 143416 और महिला मतदाता 119956 हैं साथ ही 2 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं जो इस वर्ष विधानसभा चुनाव में वोट करने का अधिकार रखते हैं.

भिंड का सियासी समीकरण: चंबल के चुनाव में भिंड जिले की पांचों विधानसभाओं में सबसे अहम विधानसभा मध्यप्रदेश निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक 10 है ये सीट फ़िलहाल BJP के खाते में हैं. वर्तमान में भिंड विधानसभा क्षेत्र के विधायक संजीव सिंह कुशवाह हैं जब 2018 में हुए चुनाव में बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे. जनता का समर्थन भी मिला है लेकिन राजनीति में कब क्या हो जाए ये कोई नहीं जानता कुछ ऐसा ही भिंड की जनता के साथ भी हुआ. अब बात 2023 के लिए की जाए तो ज़िले की पांच विधानसभा में से एक भिंड विधानसभा सीट पर किसी एक दल का न तो क़ब्ज़ा रहा है और ना ही जनता ने बीते दो दशक में किसी एक विधायक को लगातार दूसरी बार विधायक चुना.

1957 से अब तक इस विधानसभा सीट पर 13 बार चुनाव हो चुके हैं जिनमें 1 बार उपचुनाव भी शामिल था हालांकि अब तक मूल रूप से मुक़ाबला BJP और कांग्रेस के बीच ही रहा. भिंड पर 8 बार कांग्रेस ने फ़तह हासिल की है जबकि BJP यहां चार बार अपना विधायक बनाने में सफल रही है और एक बार बसपा भी यहां अपना खाता खोल चुकी है. जब विधानसभा के चुनाव होंगे तो यहां चुनौती BJP हो या कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए बड़ी नज़र आ रही है. क्यूंकि चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी पर लगे दलबदलू नेता के तमगे के चलते टिकट मिलना आसान नहीं है वहीं कोई और बड़ा चेहरा विधायकों के लिए फिलहाल नजर नहीं आ रहा है.

Also Read

मुसीबत बीजेपी के लिए भी उतनी ही है. क्यूंकि संजीव सिंह के BJP में शामिल हो जाने से भिंड विधानसभा में BJP दो खेमों में बंट चुकी है. क्योंकि हर कोई जानता है कि पूर्व विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह और वर्तमान विधायक संजीव सिंह कुशवाह एक दूसरे के कट्टर विरोधी है और अब तक एक दूसरी के ख़िलाफ़ ही चुनाव लड़ते आए हैं लेकिन संजीव सिंह कुशवाह के BJP में शामिल हो जाने के बाद भले ही दोनों नेता आज 1 ही पार्टी में हूं लेकिन अंदरूनी तौर पर दोनों का विरोध आज भी जारी है. यदि पार्टी इनमें से किसी भी एक खेमे को टिकट देती है तो दूसरा खेमा नफरत अंदरूनी तौर पर विरोध करेगा बल्कि इसका नुकसान विधानसभा चुनाव के दौरान भी देखने को मिलेगा हालांकि पार्टी यहां से किसको टिकट देगी इस बारे में अभी किसी तरह की कोई बात सामने नहीं आयी है. हालांकि अटकलें लगायी जा रही है कि यहां से जल्द ही BJP में गांव के पूर्व विधायक अब वर्तमान में प्रदेश उपाध्यक्ष चौधरी मुकेश सिंह चतुर्वेदी को बतौर प्रत्याशी खड़ा कर सकती है. अब जब चुनाव की घोषणा होगी तो टिकट आवंटन पर भी लोगों का विशेष फोकस रहने वाला है.

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विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े

विधानसभा चुनाव 2018 के आंकड़े: मध्य प्रदेश में जब 2018 में चुनाव हुए तो इस सीट पर ना कांग्रेस जीती, बीजेपी कि अपना विधायक बना पायी, यहां जानता का समर्थन जिसे मिला वह थी बसपा और कैंडिडेट थे पूर्व में बीजेपी से ही बगावत कर बसपा के टिकट लड़ने वाले संजीव सिंह कुशवाह (संजू). जिन्होंने भारतीय जानता पार्टी से चुनाव लड़े पूर्व मंत्री चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को हराया था. यहां बीजेपी से टिकट ना मिलने पर सिटिंग विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह भी सपा से चुनाव लड़े लेकिन तीसरे स्थान पर रहे. कांग्रेस के तत्कालीन कैंडिडेट और सिंधिया समर्थक रमेश दुबे की तो जमानत तक जब्त हो गई थी.

MP Seat Scan Bhind
आख़िरी तीन विधानसभा चुनाव की स्थिति

भिंड विधानसभा चुनाव 2013 के आंकड़े: विधानसभा चुनाव 2013 में भी भिंड विधानसभा सीट पर यह मुख्य मुक़ाबला BJP और बसपा के बीच था. यहां भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ें नरेन्द्र सिंह कुशवाह मोदी लहर के चलते विधायक चुने गए थे वहीं उनके अपोज़िट चुनाव लड़ रहे पूर्व सांसद राम लखन सिंह के बेटे संजीव सिंह को सपा बसपा से प्रतिद्वन्दी थे लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था इस चुनाव में BJP से विधायक चुने गए नरेंद्र सिंह को जनता ने 51170 वोट दिए जो कुल मतदान मतपत्रों का 41.12% था. जबकि बसपा प्रत्याशी संजीव सिंह कुशवाह 45177 वोट पाकर दूसरे स्थान पर रहे थे. उन्हें जनता के 36.30% मत प्राप्त हुए थे जबकि कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ राधेश्याम शर्मा 21281 वोट्स के साथ तीसरे स्थान पर रहे. यहां जीत का अंतर 5593 वोट रहा.

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भिंड विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़े: विधानसभा चुनाव 2008 के आंकड़ों की बात की जाए तो इन चुनावों में जनता का आशीर्वाद कांग्रेस को मिला था. भिंड सीट से बतौर प्रत्याशी उतरे चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी तीसरी बार विधायक बने थे उन्हें इस चुनाव में 34602 वोट मिले थे जो कुल डाले गये मतों का 33.82% था. वहीं निकटतम प्रतिद्वंदी सपा के नरेंद्र सिंह कुशवाहा थे जिन्हें 25506 मत हांसिल हुए थे. जो कुल मत प्रतिशत का 24.93% था. बीजेपी प्रत्याशी डॉ रामलखन सिंह की इस चुनाव में जमानत जब्त हुई थी. चुनाव के बाद कांग्रेस ने चौथी बार विधायक बने चौ. राकेश सिंह चतुर्वेदी को सरकार में मंत्री बनाया था.

MP Seat Scan Bhind
विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे

विधानसभा क्षेत्र के स्थानीय मुद्दे: मध्यप्रदेश में चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाता है भिंड विधानसभा क्षेत्र में भी अपनी कुछ समस्याएं और मुद्दे हैं जिन्हें लम्बे समय से दूर किए जाने की मांग उठाती रही हैं. इनमें इस क्षेत्र में सक्रिय रेत और शराब माफिया एक बड़ी समस्या हैं. वहीं अवैध हथियार और आपराधिक घटनाएं आम बात है चुनाव के दौरान अवैध हथियारों की सप्लाई चुनाव तक को प्रभावित करती है. हालंकि सबके उलट विकास के भी अहम मुद्दे हैं जिनमें उच्चशिक्षा का अभाव सबसे पहले आता है.

स्थानीय तौर पर मुख्यालय के सिवा कहीं भी महाविद्यालय नहीं हैं जिसकी वजह से विधानसभा के ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को अन्य बड़े ज़िलों का रुख करना पड़ता है. वहीं लम्बे समय से इस क्षेत्र में मेडिकल कॉलेज खोले जाने की माँग रही है, हाल ही में मुख्यमंत्री ने इसकी घोषणा तो की है लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं मिली है. नगरनिगम की माँग तो बीते दो दशक से उठायी जंगली है लेकिन यह भी सीएम की घोषणा तक सीमित है जमीनी स्तर पर काम कब होगा कहना मुश्किल है.दिल्ली भोपाल से सीधी रेल रेल सुविधा की दरकार भी अहम मुद्दा है.

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