भिंड। मध्यप्रदेश में शायद ही ऐसी कोई पंचायत हो, जहां सरकारी योजनाओं में भ्रष्टाचार के आरोप ना लगे हों. लेकिन जब भ्रष्टाचार की नींव ही विभाग के आला अधिकारियों द्वारा रखी जा रही हो तो क्या ही कहेंगे. ग्रामीण यांत्रिकी सेवा संभाग भिंड में पदस्थ कार्यपालन यंत्री यानी ईई पातीराम इटोरिया द्वारा ज़िले में आंगनवाड़ी भवनों के मरम्मत के लिए जारी लाखों के टेंडर में भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है. ये आरोप भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य रमेश दुबे ने लगाये है.
बीजेपी नेता ने की थी शिकायत: रमेश दुबे ने इस मामले पर एक लिखित पत्र पंचायत मंत्री महेंद्र सिसोदिया को सौंपते हुए ईई के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग थी. उन्होंने अपने पत्र में बताया कि भिंड ज़िले के 77 आंगनवाड़ी केंद्र अतिवृष्टि के चलते जर्जर हो चुके इनकी मरम्मत के लिए RES ने शासन को प्रस्ताव भेजा था जिसे मंज़ूरी मिली और लागत के अनुसार कुल 151.04 लाख रुपय विभाग को निर्माण एजेंसी के रूप में मिलना तय हुआ.
मंत्री ने ईई को तत्काल प्रभाव से किया निलंबित: कार्य के लिए पहली किस्त के तौर पर 75.52 लाख रुपय RES को मिल भी गये, लेकिन इन आंगनवाड़ियों के लिए ईई ने टेंडर सिर्फ़ ऑनलाइन रखा. साथ ही किसी समाचार पत्र में इसके सम्बंध में कोई विज्ञप्ति नहीं छपवाई ना ही किसी तरह का प्रचार प्रसार किया और भ्रष्टाचार की शुरुआत करते हुए ये टेंडर अपने चहेते ठेकेदारों को सौंप दिए. इस मामले में भ्रष्टाचार की जानकारी लगते ही बीजेपी प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य रमेश दुबे मामले को उठाते हुए पंचायत मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया को इसके संबंध में शिकायत की जिस पर कार्रवाई करते हुए मंत्री ने तत्काल प्रभाव से भिंड RES के कार्यालय यंत्री को निलंबित कर दिया है.
जिला पंचायत सीईओ को सौंपी जाँच: वहीं मामले को लेकर जब फ़ोन पर मंत्री से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि हमने तत्काल प्रभाव से ईई को निलंबित कर दिया है. इस मामले की जांच भी मंत्री सिसोदिया ने भिंड ज़िला पंचायत सीईओ को सौंपी दी है. मंत्री का कहना है कि जब तक जांच रिपोर्ट पूरी नहीं हो जाती, तब तक कार्यपालन यंत्री निलंबित ही रहेंगे.
पूर्व के मनरेगा प्रकरण में एफआईआर के आदेश: मंत्री सिसोदिया ने ख़ुद एक और मामले की जानकारी देते हुए बताया कि भिंड में मनरेगा का एक और प्रकरण भी हुआ है जिसने 76 लाख रुपय का गबन हुआ है, उस मामले में ख़ुद कलेक्टर ने भी यह माना है कि अनियमितता हुई है. इस मामले में बाद में ना तो कोई करवाई वसूली की करी गई ना ही कोई प्रकरण दर्ज हुआ और मामला ठंडे बस्ते में चला गया. उस मामले में भी कलेक्टर को एफआईआर कराने के निर्देश दिए हैं.