भिंड। शिवराज सरकार ने मध्यप्रदेश में अमृत योजना के तहत हर घर में शुद्ध पेयजल आरओ वॉटर पहुंचाने की व्यवस्था की शुरुआत की थी. इसके तहत भिंड जिले में भी आरओ वाटर पाइपलाइन बिछाने का काम जारी है. लेकिन सरकारी स्तर पर लोगों को शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का दावा नकारा साबित हो रहा है. साल 2018 में भिंड नगर पालिका क्षेत्र में करीब 200 करोड़ की लागत से शहरवासियों के लिए एक बड़ा प्रोजेक्ट शुरू हुआ था, जो अपने शुरुआती तय समय से सवा साल बाद भी महज 60 फीसदी ही पूरा हो सका है. जानिए भिंड के आरओ प्रोजेक्ट के बारे में ETV भारत की इंफ्रा रिपोर्ट के ज़रिए...
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नदियों से घिरा भिंड, फिर भी पेयजल को मोहताज
वैसे तो भिंड जिला क्वारी, सिंध और चम्बल जैसी तीन बड़ी नदियों और एक दर्जन से अधिक सह नदियों से घिरा है. उसके बावजूद यहां पेजयल को हालात कुछ खास अच्छे नहीं हैं. एक तरफ गोहद क्षेत्र में खारा पानी मिल रहा है वहीं दूसरी तरफ भिंड नगरपालिका क्षेत्र में पुरानी सीवर लाइन की वजह से लोग नालों में गंदे पानी की समस्या को झेल रहे हैं. दो साल बाद भी प्रोजेक्ट पर काम पूरा नहीं हो सका है. इसके अलावा भिंड के पानी में हैवी टीडीएस और कैल्शियम नुमा पदार्थ (जिसे स्थानीय भाषा में नौना कहा जाता है) की भी समस्या है, इन परेशानियों को दूर करते हुए हर घर तक शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए प्रथम चरण में भिंड नगर पालिका क्षेत्र में आरओ वॉटर लाइन प्रॉजेक्ट की शुरुआत 2018 में की गई थी.
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प्रोजेक्ट कॉस्ट, ड्यूरेशन बढ़ाने के बाद भी 60 फीसदी ही हुआ काम
आरओ वाटर पाइपलाइन के निर्माण की समय अवधि 28 महीने तय की गई थी, जिसके मुताबिक 29 दिसम्बर 2020 को काम पूरा होना चाहिए था. टेंडर की शुरुआती कीमत करीब 197 करोड़ थी, जिसे देश की नामी कंपनी टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड (Tata Project Limited) को दिया गया. शुरुआती DPR में निर्माण राशि 126 करोड़ 6 लाख रुपये रखी गयी थी. रखरखाव के लिए आगामी 120 माह का कॉन्ट्रैक्ट भी 71.12 करोड़ रुपये की राशि में निर्माण कंपनी को ही दिया गया. लेकिन बाद में प्रोजेक्ट की निर्माण लागत रिवाइज करके 143 करोड़ रुपये से ज्यादा दी गयी, जिससे प्रोजेक्ट की कुल लागत 214.45 करोड़ तक पहुंच गयी. इसके साथ ही निर्माण अवधि को बढ़ाकर 46 महीने कर दिया गया. जिसके तहत इस काम को 31 मार्च 2022 में पूरा हो जाना चाहिए था. लेकिन अब भी काम सिर्फ करीब 60 फीसदी ही पूरा हो सका है. 40 प्रतिशत काम होने में कितना और समय लगेगा इसका जवाब भी कोई जिम्मेदार स्पष्ट रूप से नहीं दे पा रहा है.
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सीवर प्रोजेक्ट बना काम में रोड़ा
प्रोजेक्ट की पीआरओ सोनिका का कहना है कि, काम तेज गति से चल रहा है. शुरुआत में टेंडर निकलने और प्रोजेक्ट एरिया बढ़ने के बाद इसे रिवाइज़ करना पड़ा. वहीं समान्तर चल रहे सीवर प्रोजेक्ट (sewer line project in bhind) की वजह से भी काम डिले हुआ है. पाइप लाइन बिछाने का काम तंग गलियों में किया जा रहा है इसलिए यह थोड़ा मुश्किल था, छोटी छोटी परेशानियों की वजह से काम मे देरी हुई है, इसके लिए एक्सटेंशन मांगा गया है. अब तक इस प्रोजेक्ट की फिजिकल प्रोग्रेस करीब 60 फीसदी हो चुकी है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक लैब स्थापित किया गया है. जहां पाइप लाइन और अन्य मटेरियल की गुणवत्ता को मापा जाता है. यहां से अप्रूव होने के बाद ही मटेरियल को साइट ओर भेजा जाता है.
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17 जोन में बिछानी है 404 किलोमीटर पाइप लाइन
कंपनी ने इस प्रोजेक्ट के लिए भिंड नगर पालिका क्षेत्र को 17 जोन में बांटा है, जहां 404.173 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है. लेकिन वर्तमान में कंपनी 270 किलोमीटर पाइपलाइन ही बिछा सकी है. कंपनी के ढीले रवैये की वजह से इसमें भी वक्त लग रहा है. पानी को शुद्ध कर सप्लाई के लिए 4 बड़ी पानी की टंकियां शहर के अलग अलग इलाकों में भी बनाई जा रही हैं. हालांकि इन टंकियों का निर्माण कार्य भी तय सीमा से काफी पीछे चल रहा है. एक साल तक इस प्रोजेक्ट के पूरा होने की उम्मीद कम ही है. प्रोजेक्ट मैनेजर कंपनी टाटा ने इस काम को पूरा करने के लिए एक साल का समय मांगा है.
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गले की फांस बना आरओ प्रोजेक्ट
भिंड में करोड़ों की लागत से बनने वाला सीवर लाइन प्रोजेक्ट दो साल में भी पूरी नहीं हो सका है. प्रोजेक्ट में चल रही लापरवाही और अनदेखी के चलते लोग परेशान हैं. वहीं आरओ प्रोजेक्ट के लिए भी शहर के कई इलाके खोद कर रख दिये गए है. पाइपलाइन बिछाने के बाद भी सड़क की वापस मरम्मत नहीं की जाती है, जिससे जनता परेशान होती, लोगों का चलना तक मुहाल हो जाता है. इसके अलावा यह गड्ढे हादसे की वजह भी बनते हैं. ऐसे में लोगों की सुविधाओं के लिए शुरू किया गया प्रोजेक्ट अब उनके गले की फांस बनता जा रहा है.
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(Bhind RO Water Pipeline Project) (Amrit Yojana in MP)