भिंड। आम बजट पेश होने के बाद अब एमपी में भी सरकार अपना पिटारा खोलने वाली है. 22 फरवरी से मध्य प्रदेश विधानसभा का बजट सत्र शुरू होने वाला है, जो कि 26 मार्च तक चलेगा. ऐसे में खुद को किसान का बेटा कहने वाले सीएम शिवराज सिहं चौहान के कंधों पर किसानों की अहम जिम्मेदारी है. बजत्र सत्र शुरू होने से पहले ETV भारत ने किसानों से उनके सामने आ रही परेशानी और नए बजट से उम्मीदों को बारे में जानकारी जुटाई है. जानिए नए बजट से प्रदेश के किसानों को क्या है उम्मीदें-
मध्य प्रदेश की सत्ता और राजनीति में हमेशा से ही किसान केंद्र बिंदु रहा है. प्रदेश की शिवराज सरकार ने तो किसानों के लिए समय-समय पर कई अहम योजनाएं भी लागू की फिर चाहे वह 0 फीसदी ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराना हो या किसान सम्मान निधि में बढ़ावा करना. तमाम योजनाओं के बावजूद प्रदेश में कई किसानों ने आत्महत्या को चुना है.
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सरकार की नीतियों के आगे बेबस किसान
भिंड जिले में ज्यादातर किसान ग्रामीण इलाकों में बसे हुए हैं. जब ETV भारत ने बजट से पहले किसानों को हो रही परेशानियों के बारे में चर्चा की, तो किसानों ने अपनी बात खुल कर रखी. एक किसान ने कहा कि सरकार ने आवारा मवेशियों की समस्या पर ध्यान देना बंद कर दिया है. आज हजारों की संख्या में गोवंश किसानों के खेतों में घुस रहे हैं. उनकी फसलें बर्बाद कर रहे हैं. उनका यह भी मानना है कि सरकार ने जो मवेशियों के मेले को बंद किया है, वो एक गलत निर्णय साबित हुआ है. सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात तो करती है, लेकिन उनकी फसलों के दाम लगातार गिर रहे हैं.
वर्तमान समर्थन मूल्य से नहीं निकल रही लागत
जिले के एक किसान की बातों से प्रदेश सरकार के खिलाफ गुस्सा साफ झलका. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने किसानों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है. समर्थन मूल्य के नाम पर फसलों की खरीदी की बात तो कहती है, लेकिन सरकार उचित मूल्य नहीं देती है. गेहूं की फसल का वर्तमान में 1500 रुपए क्विंटल के हिसाब से रेट तय किया गया है जबकि खेती के समय किसान पानी भी देता है, जुताई भी करवाता है. इस दौरान एक मजदूर 400 रुपए रोजाना के हिसाब से काम करने के लेता है. फसल तैयार होने के बाद जब कटाई-छटाई का समय आता है, तो मजदूर अपना काम कर मेहनताना ले जाता है.
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अब 1500 रूपए क्विंटल की फसल में किसान की जुताई भी नहीं निकलेगी तो फिर किसान गल्ला करके क्या करेंगे. इसके अलावा उन्होंने कहा कि इस कोरोना काल में सरकार ने लोगों की सहूलियत पूरी तरह खत्म कर दी है. बस का किराया बढ़ा हुआ है, पैसेंजर ट्रेन चल नहीं रही हैं. जो ट्रेन चल रही हैं उनमें रिजर्वेशन के बिना किसान हो या आम आदमी कहीं जा नहीं सकता. रिजर्वेशन के हाल तो सब को पता है. ऐसे में अगर कोई बीमार हो जाए तो रिजर्वेशन न मिलने की स्थिति में परेशानी कितनी बढ़ती है इसका अंदाजा खुद लगाया जा सकता है.
खाद के साथ पेट्रोल-डीजल के बढ़े दाम बने मुसीबत
खाद और पेट्रोल-डीजल के बढ़े हुए दामों ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है. किसानों का कहना है कि आज लगातार खाद के रेट भी बढ़ते जा रहे हैं. ऐसे में फसलों के समय खाद खरीदना भी लागत बढ़ाने में अपनी अलग भूमिका निभा रहा है. क्योंकि समय पर खाद न दो तो किसान की फसल चौपट हो जाएगी. उसका नुकसान उसे मरने पर मजबूर कर देगा. वहीं पेट्रोल-डीजल के बढ़े हुए दाम भी कम मुसीबत नहीं बने हुए हैं.
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खेत जोतने से लेकर पानी देने तक में किसानों को डीजल की जरूरत होती है लेकिन लगातार बढ़ रहे पेट्रोल डीजल के दाम का असर इन किसानों पर भी पड़ रहा है. लगातार महंगाई बढ़ रही है. कृषि सेस के नाम पर भले ही केंद्र सरकार ने आम जनता से टैक्स लेना शुरू कर दिया हो, लेकिन पेट्रोल-डीजल पर भी कृषि शहद लगाने से इसका खामियाजा किसानों को भी भुगतना पड़ रहा है.
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नए बजट से किसानों की उम्मीद
किसानों ने नए बजट में सरकार से उम्मीद जताई है कि इस बार सम्मान निधि फसल बोनस तो सरकार बढ़ाएगी ही. साथ ही फसलों के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी कर फसल के दाम बढ़ाने और किसानों को फायदा पहुंचाने में भी अपनी भूमिका निभाएगी. इसके साथ ही उन्हें उम्मीद की है कि नए बजट में मध्य प्रदेश के किसानों को खाद भी कम मूल्य पर उपलब्ध कराया जाएगा. साथ ही पेट्रोल-डीजल के दाम घटाए जाएं, जिससे खेती की लागत कम हो सके और गल्ला महंगा हो. जिसके चलते दिन-रात मेहनत करने के बाद किसान के हाथ इतना पैसा तो आए कि वह अपने परिवार का पेट सुकून से पाल सके.