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MP Assembly Election Podcast: मलखान सिंह की दहशत से कभी खाली हो जाते थे गांव के गांव, अब चुनाव में वोट मांगने निकल पड़े हैं पूर्व दस्यु

Former Bandit Malkhan Singh: ईटीवी भारत के पॉडकास्ट में आज सुनेंगे कि मलखान सिंह की दहशत से कभी खाली हो जाते थे गांव के गांव, ऐसा क्या हुआ कि डाकू की पहचान छोड़ चुके मलखान सिंह अब चुनावी महौल में हैं. आइए सुनते हैं पूरा पॉडकास्ट-

former bandit malkhan singh podcast
पूर्व दस्यु मलखान सिंह पॉडकास्ट
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Oct 15, 2023, 2:14 PM IST

चुनाव में वोट मांगने निकले पूर्व दस्यु मलखान सिंह

भिंड। चंबल ये नाम सुनते ही हर जहन में बन्दूकों की धांय-धांय और घोड़ों पर बैठे डकैतों की तस्वीरें आने लगती हैं, लेकिन अब सीन बदल गया है. चंबल के बीहड़ में चुनाव का शोर है और जिनकी दहशत से गांव के गांव खाली हो जाते थे वे इस चुनाव में डाकू की पहचान छोड़ चुके मलखान सिंह हैं, जो अब वोट मांगने निकल रहे हैं. भिंड के बिलाव गांव में जन्मे मलखान सिंह को गांव में हुए जमीनी विवाद ने बीहड़ का रास्ता दिखाया, महज 25 साल की उम्र में मलखान सिंह डकैत बन गए. करीब 40 सालों तक चंबल में अपने डर और आतंक का अध्याय लिखने के बाद वो 1982 का बरस था, जब अर्जुन सिंह की सरकार में डकैत आत्मसमर्पण कर रहे थे. उनमें एक नाम मलखान सिंह का भी था.

भिंड से लड़ा था पहला चुनाव: जेल में सजा काटने के बाद मलखान सिंह बाहर आते हैं और राजनीति में आने का फैसला करते हैं, ये 90 का दशक था. 1996 में मलखान सिंह ने भिंड विधानसभा से समाजवादी पार्टी के टिकट पर पहला उपचुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. साल 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में मलखान सिंह फिर चुनावी अखाड़े में उतरे, इस बार किसी पार्टी से टिकट नहीं हुआ तो करैरा विधानसभा से निर्दलीय पर्चा भरा. लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. वे दो बार चुनाव हारने के बाद फिर वो मैदान में नहीं आये.

लंबे अरसे तक बीजेपी से जुड़े रहे: साल 2014 में मलखान सिंह बीजेपी में शामिल हो गए और चंबल के कुछ हिस्सों में पार्टी के लिए प्रचार प्रसार भी किया. 2018 में उन्होंने विधानसभा के चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की, लेकिन टिकट नहीं मिला. 2020 में हुए उपचुनाव के दौरान भी भिंड जिले में बीजेपी के प्रचार प्रसार का हिस्सा बने थे.

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डॉ गोविंद सिंह ने कराई कांग्रेस में एंट्री: पूर्व दस्यु मलखान सिंह अब अपने परिवार के साथ गुना जिले के छोटे से गांव आरौन में रहते हैं, 2022 में जब निकाय चुनाव हुए तो उनकी पत्नी आरोन की सिनगयाई पंचायत से निर्विरोध सरपंच चुनी गई. एक लंबे समय तक भारतीय जनता पार्टी के साथ रहे पूर्व दस्यु दद्दा मलखान सिंह कुछ ही दिन पहले नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह के कहने पर कमलनाथ के आगे सदस्यता लेकर कांग्रेसी हो गए हैं. अब वे चंबल के इलाकों में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए घर-घर प्रचार के लिए पहुंच रहे हैं, बंदूक छोड़ चुके मलखान हाथ जोड़े खड़े हैं, क्योंकि अब आतंक की कहानी पीछे छूट गई है. अब महौल चुनावी है और पूर्व दस्यु खुद अब चुनावी महौल में हैं.

चुनाव में वोट मांगने निकले पूर्व दस्यु मलखान सिंह

भिंड। चंबल ये नाम सुनते ही हर जहन में बन्दूकों की धांय-धांय और घोड़ों पर बैठे डकैतों की तस्वीरें आने लगती हैं, लेकिन अब सीन बदल गया है. चंबल के बीहड़ में चुनाव का शोर है और जिनकी दहशत से गांव के गांव खाली हो जाते थे वे इस चुनाव में डाकू की पहचान छोड़ चुके मलखान सिंह हैं, जो अब वोट मांगने निकल रहे हैं. भिंड के बिलाव गांव में जन्मे मलखान सिंह को गांव में हुए जमीनी विवाद ने बीहड़ का रास्ता दिखाया, महज 25 साल की उम्र में मलखान सिंह डकैत बन गए. करीब 40 सालों तक चंबल में अपने डर और आतंक का अध्याय लिखने के बाद वो 1982 का बरस था, जब अर्जुन सिंह की सरकार में डकैत आत्मसमर्पण कर रहे थे. उनमें एक नाम मलखान सिंह का भी था.

भिंड से लड़ा था पहला चुनाव: जेल में सजा काटने के बाद मलखान सिंह बाहर आते हैं और राजनीति में आने का फैसला करते हैं, ये 90 का दशक था. 1996 में मलखान सिंह ने भिंड विधानसभा से समाजवादी पार्टी के टिकट पर पहला उपचुनाव लड़ा, लेकिन हार का सामना करना पड़ा. साल 1998 में हुए विधानसभा चुनाव में मलखान सिंह फिर चुनावी अखाड़े में उतरे, इस बार किसी पार्टी से टिकट नहीं हुआ तो करैरा विधानसभा से निर्दलीय पर्चा भरा. लेकिन किस्मत ने फिर साथ नहीं दिया. वे दो बार चुनाव हारने के बाद फिर वो मैदान में नहीं आये.

लंबे अरसे तक बीजेपी से जुड़े रहे: साल 2014 में मलखान सिंह बीजेपी में शामिल हो गए और चंबल के कुछ हिस्सों में पार्टी के लिए प्रचार प्रसार भी किया. 2018 में उन्होंने विधानसभा के चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की, लेकिन टिकट नहीं मिला. 2020 में हुए उपचुनाव के दौरान भी भिंड जिले में बीजेपी के प्रचार प्रसार का हिस्सा बने थे.

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