Mohini Ekadashi 2023: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का बहुत महत्व माना जाता है, यह दिन भगवान विष्णु को समर्पित होता है. सनातन धर्म में कई जातक शुक्ल और कृष्ण पक्ष की एकादशी पर व्रत करते हैं वैसे तो एकादशी प्रति हिंदू मास में 2 बार पड़ती है, लेकिन वैशाख के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी अपने आप में महत्वपूर्ण है. इस एकादशी को मोहिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. क्या आप जानते हैं मोहिनी एकादशी का खास महत्व है या इस दिन पूजन की क्या विधि है.. अगर नहीं तो यह आर्टिकल आखिरी तक पढ़ना ना भूलें.
मोहिनी एकादशी शुभ मुहूर्त: इस वर्ष मोहिनी एकादशी व्रत एक मई यानी आज पड़ रही है वैसे तो वैशाख की शुक्लपक्ष की एकादशी का शुभारम्भ 30 अप्रैल की रात 8:30 पर ही हो चुका है, लेकिन सोमवार 1 मई को यह मोहिनी एकादशी रात 10 बजकर 11 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं मोहिनी एकादशी पारण का महूर्त की अवधि क़रीब 2 घंटे 39 मिनट की रहेगी जो 2 मई 2023 की सुबह 5 बजकर 40 मिनट से 8 बजकर 19 मिनट तक रहने वाली है.
मोहिनी एकादशी व्रत का महत्व: धार्मिक मान्यता है कि इसी तिथि पर समुद्र मंथन के दौरान अमृत निकला था, तब भगवान विष्णु ने दैत्यों से अमृत की रक्षा करने के लिए मोहिनी का रूप धारण सभी देवों को अमृत पान कराया था. भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर भगवान शिव भी मोहित हो गए थे. पौराणिक मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान के साथ करने से भक्तजन की सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं, यह व्रत सब प्रकार के दुखों का निवारण करने वाला, पापों को हरने वाला है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति सभी प्रकार के कष्टों और पापों से छुटकारा पा लेता है और बैकुंठ धाम को जाता है.
मोहिनी एकादशी का पूजन: मोहिनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें, इस दिन साफ और नए कपड़े पहनें और फिर अपने घर के मंदिर की साफ सफाई करें. पूजा के लिए एक चौकी पर साफ पीले या लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और फिर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करें. भगवान को चंदन का तिलक जरूर लगाएं, साथ ही पूजन में भगवान विष्णु को पीले रंग के पुष्प अर्पित करें, साथ ही धूप, दीप, नैवेद्य चढ़ाएं. मोहिनी एकादशी की कथा का पाठ इस दिन पूजन के दौरान अवश्य करें, क्योंकि इसके बिना व्रत और पूजा दोनों अधूरी मानी जाती हैं. वहीं इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करना शुभ माना जाता है. शाम के समय आरती करें और अगले दिन द्वादशी तिथि के दिन स्नान कर भगवान के दर्शन करने इसके बाद व्रत पारण करें.
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी मान्यताओं और ज्योतिषविदों की जानकारी के आधार पर है, ETV Bharat इसके पूर्ण सत्य होने का दावा नहीं करता.