ETV Bharat / state

भोलेनाथ पर क्यों चढ़ाया जाता है जल, बेलपत्र का क्या है महत्व, जाननें के लिए पढ़ें ये रिपोर्ट - undefined

सावन का महीना चल रहा है, शिव मदिरों में प्रातःकाल से ही भक्तों का आगमन शुरू हो जाता है, श्रद्धालु यहां अपनी-अपनी मनोकामना के साथ भगवान पर जल और बेलपत्र चढ़ाते हैं, लेकिन क्या आप जानतें हैं कि आखिर क्यों भोलेनाथ पर जल और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं. आइए हम आपको बताते हैं, इन पूजा सामग्रियों का महत्व..

worship of lord shiva
भोलेनाथ की आराधना
author img

By

Published : Jul 30, 2021, 8:11 AM IST

Updated : Jul 30, 2021, 12:57 PM IST

भिंड। सावन का महीना हो और शिव महिमा की बात न हो, ऐसा कैसे हो सकता है, हमेशा की तरह इस साल भी शिवालयों में भक्तों का तांता लगा है जो अपने आराध्य भोलेनाथ के दर्शन पाने, जल चढ़ाने के लिए फल, फूल, बेलपत्र लेकर पहुंच रहे हैं. आइए जानतें हैं आखिर शिव जी पर क्यों चढ़ाया जाता है जल, और सावन के महीने में बेलपत्र का क्या है महत्व.


महादेव का प्रिय 'सावन'
जिले का वनखंडेश्वर मंदिर सदियों पुराना है और इससे भी पुरानी है भोलेनाथ पर लोगों की आस्था. महाशिवरात्रि के अलावा सावन का महीना बेहद खास होता है, क्योंकि सावन भोलेनाथ को प्रिय है. प्राचीन वनखंडेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पं. वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि आषाढ़ के महीने में श्री विष्णु भगवान एकादशी के दिन चिर सागर में चले जाते हैं. साथ ही अपना कार्यभार भोलेनाथ को सौंप देते हैं. इस लिए श्रावण मास का महीना शिवजी का ही होता है.

भोलेनाथ की आराधना का महत्व
श्रावण में भोलेनाथ की ऐसे करें पूजा
पुजारी वीरेंद्र शर्म ने बताया कि श्रावण महीने में भोलेनाथ का अभिषेक फलदायी होता है, सावन के माह में शिवजी पर बेल पत्र चढ़ाना चाहिए, दूध, दही पंचाम्रत से स्नान कराना चाहिए बेल, धतूरा और अकौआ का फूल चढ़ाने से भी शिवजी प्रसन्न होते हैं. उन्हें जल भी बहुत प्रिय है, जलाभिषेक से भी भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं.

समुद्र मंथन से 'नीलकंठ' हुए थे महादेव
शिव महिमा की बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब देव और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था. उस दौरान समुद्र से विष निकला था, और देवों में हाहाकार मच गया था कि यह विष का सेवन कौन करेगा, क्योंकि अगर उसे धरती पर रख देते तो प्रलय आ जाती. ऐसे में सभी देवों के देव महादेव के पास पहुंचे, और उनसे पूछा कि यह विष कौन पियेगा. तब महादेव ने कहा था कि विश्वकल्याण के लिए वे खुद विषपान करेंगे. उसी विष को ग्रहण करने से उनका कंठ नीला हो गया था. इसी वजह वे नीलकंठ महादेव कहलाये जाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जब भोलेनाथ पर पर गर्मी चढ़ जाती है तो वे हिमालय में चले जाते हैं. उसी गर्मी को शांत करने के लिए उन पर जल चढ़ाया जाता है.

बेलपत्र चढ़ाने पर शिकारी से प्रसन्न हुए थे भोलेनाथ
शिवजी की पूजा अर्चना में बेलपत्र अवश्य चढ़ाया जाता है. इसके पीछे भी शिव जी की एक महिमा है. पं वीरेन्द्र शर्मा ने बताया कि महादेव को बेलपत्र भी प्रिय हैं. शिव पुराण का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि, एक समय एक शिकारी जंगल मे शिकार करने के लिए भटक रहा था. दिन रात शिकार करके ही वह जीवन यापन करता था. जब अंधेरा होने तक उसे शिकार नहीं मिला, और रास्ते में ही बारिश होने पर वह एक पेड़ पर चढ़ गया. यह पेड़ बेल पत्र का था. उसी पेड़ के नीचे एक शिवलिंग बना हुआ था.

ऐसे में पेड़ पर बैठे बैठे उसके हाथ से टूटे बेलपत्र भोलेनाथ के शिवलिंग पर चढ़ गए. उससे पहले कभी महादेव पर बेलपत्र नहीं चढ़े थे. इससे वे उस शिकारी से प्रसन्न हो गए थे, और यहीं से बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा शुरू हो गई.

Sawan ka Somwar 2021: किन सामग्रियों के बिना शिव पूजन है अधूरा! जाने क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

सावन में बेलपत्र चढ़ाने का महत्व
पं. वीरेंद्र शर्मा कहते है कि बेलपत्र का श्रावण के महीने में बहुत महत्व होता है. सावन के महीने में एक बेलपत्र सौ के बराबर मन जाता है. बेलपत्र में तीन दल होते हैं, शिवजी भी त्रिनेत्र है. गंगा जमुना सरस्वती तीन नदियां है, इसे चढ़ाने से तीनों लोकों के पाप नष्ट हो जाते हैं, और भक्तों को शिवधाम की प्राप्ति होती है.

भिंड। सावन का महीना हो और शिव महिमा की बात न हो, ऐसा कैसे हो सकता है, हमेशा की तरह इस साल भी शिवालयों में भक्तों का तांता लगा है जो अपने आराध्य भोलेनाथ के दर्शन पाने, जल चढ़ाने के लिए फल, फूल, बेलपत्र लेकर पहुंच रहे हैं. आइए जानतें हैं आखिर शिव जी पर क्यों चढ़ाया जाता है जल, और सावन के महीने में बेलपत्र का क्या है महत्व.


महादेव का प्रिय 'सावन'
जिले का वनखंडेश्वर मंदिर सदियों पुराना है और इससे भी पुरानी है भोलेनाथ पर लोगों की आस्था. महाशिवरात्रि के अलावा सावन का महीना बेहद खास होता है, क्योंकि सावन भोलेनाथ को प्रिय है. प्राचीन वनखंडेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी पं. वीरेंद्र शर्मा ने बताया कि आषाढ़ के महीने में श्री विष्णु भगवान एकादशी के दिन चिर सागर में चले जाते हैं. साथ ही अपना कार्यभार भोलेनाथ को सौंप देते हैं. इस लिए श्रावण मास का महीना शिवजी का ही होता है.

भोलेनाथ की आराधना का महत्व
श्रावण में भोलेनाथ की ऐसे करें पूजा
पुजारी वीरेंद्र शर्म ने बताया कि श्रावण महीने में भोलेनाथ का अभिषेक फलदायी होता है, सावन के माह में शिवजी पर बेल पत्र चढ़ाना चाहिए, दूध, दही पंचाम्रत से स्नान कराना चाहिए बेल, धतूरा और अकौआ का फूल चढ़ाने से भी शिवजी प्रसन्न होते हैं. उन्हें जल भी बहुत प्रिय है, जलाभिषेक से भी भोलेनाथ प्रसन्न हो जाते हैं.

समुद्र मंथन से 'नीलकंठ' हुए थे महादेव
शिव महिमा की बात करते हुए उन्होंने बताया कि जब देव और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था. उस दौरान समुद्र से विष निकला था, और देवों में हाहाकार मच गया था कि यह विष का सेवन कौन करेगा, क्योंकि अगर उसे धरती पर रख देते तो प्रलय आ जाती. ऐसे में सभी देवों के देव महादेव के पास पहुंचे, और उनसे पूछा कि यह विष कौन पियेगा. तब महादेव ने कहा था कि विश्वकल्याण के लिए वे खुद विषपान करेंगे. उसी विष को ग्रहण करने से उनका कंठ नीला हो गया था. इसी वजह वे नीलकंठ महादेव कहलाये जाते हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जब भोलेनाथ पर पर गर्मी चढ़ जाती है तो वे हिमालय में चले जाते हैं. उसी गर्मी को शांत करने के लिए उन पर जल चढ़ाया जाता है.

बेलपत्र चढ़ाने पर शिकारी से प्रसन्न हुए थे भोलेनाथ
शिवजी की पूजा अर्चना में बेलपत्र अवश्य चढ़ाया जाता है. इसके पीछे भी शिव जी की एक महिमा है. पं वीरेन्द्र शर्मा ने बताया कि महादेव को बेलपत्र भी प्रिय हैं. शिव पुराण का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि, एक समय एक शिकारी जंगल मे शिकार करने के लिए भटक रहा था. दिन रात शिकार करके ही वह जीवन यापन करता था. जब अंधेरा होने तक उसे शिकार नहीं मिला, और रास्ते में ही बारिश होने पर वह एक पेड़ पर चढ़ गया. यह पेड़ बेल पत्र का था. उसी पेड़ के नीचे एक शिवलिंग बना हुआ था.

ऐसे में पेड़ पर बैठे बैठे उसके हाथ से टूटे बेलपत्र भोलेनाथ के शिवलिंग पर चढ़ गए. उससे पहले कभी महादेव पर बेलपत्र नहीं चढ़े थे. इससे वे उस शिकारी से प्रसन्न हो गए थे, और यहीं से बेलपत्र चढ़ाने की प्रथा शुरू हो गई.

Sawan ka Somwar 2021: किन सामग्रियों के बिना शिव पूजन है अधूरा! जाने क्या कहते हैं ज्योतिषाचार्य

सावन में बेलपत्र चढ़ाने का महत्व
पं. वीरेंद्र शर्मा कहते है कि बेलपत्र का श्रावण के महीने में बहुत महत्व होता है. सावन के महीने में एक बेलपत्र सौ के बराबर मन जाता है. बेलपत्र में तीन दल होते हैं, शिवजी भी त्रिनेत्र है. गंगा जमुना सरस्वती तीन नदियां है, इसे चढ़ाने से तीनों लोकों के पाप नष्ट हो जाते हैं, और भक्तों को शिवधाम की प्राप्ति होती है.

Last Updated : Jul 30, 2021, 12:57 PM IST

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.