भिंड। वैसे तो देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं. वे एक ऐसी शख्सियत थे, जिनकी गंभीरता उनका काव्य देश प्रेम और सबसे ऊपर जनसेवा सभी के लिए मिसाल है. इन बातों को तो शायद ही कोई हो जो नहीं जानता हो. लेकिन ऐसे बहुत कम लोग हैं, जो यह जानते हैं कि अटलजी का नाता भिंड जिले से भी रहा है. उन्होंने अपने बचपन के कुछ साल भिंड शहर में रहकर गुजारे थे, तो वहीं गोहद से भी उनका रिश्ता रहा है. आज इसी रिश्ते और उनसे जुड़े हुए किस्सों से ईटीवी भारत आप सभी को रू-ब-रू करा रहा है.
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी भले ही आज हम सबके बीच नहीं हैं, लेकिन उनसे जुड़े किस्से उनसे जुड़ी यादें आज भी उन लोगों के जहन में हैं. जो लोग उनसे जुड़े रहे हैं, शायद ही किसी को इस बात का पता होगा कि अपने बचपन में प्रारंभिक स्कूली शिक्षा के लिए उन्होंने भिंड शहर के अलावा गोहद में भी अपना आसरा बनाया था. वे अपने परिवार के साथ गोहद के पुराने बस स्टैंड इलाके में रहा करते थे. उस वक्त गोहद में शिक्षा के लिए स्टेट टाइम का सिंधिया घराने से जुड़ा एकमात्र स्कूल था, जिसमें उन्होंने अपनी स्कूलिंग की थी.
अटलजी के अनसुने किस्से
आज स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी की तरह उनके सहपाठी अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन उस दौर के जो लोग थे और उनसे बाद में भी जुड़े रहे ईटीवी भारत ऐसे ही एक बुजुर्ग शख्स संतोषी लाल तक पहुंचा. उनसे खास बातचीत में अटलजी से जुड़ी बातें, यादें और किस्सों को साझा किया.
गोहद में की थी पढ़ाई और पहलवानी
85 की उम्र पार कर चुके संतोषी लाल ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान बताया कि अटलजी बचपन में गोहद में रहे थे. उन्होंने यहां पढ़ाई की और पहलवानी भी की. संतोषी लाल खुद उस समय काफी छोटे थे. अटलजी भी उस समय एक आम छात्र ही थे. इसलिए उनके बारे में बाद में सुना था, हालांकि यह बात पूरी तरह सही है कि गोहद में उनका बसेरा रहा था. बताने वाले यह भी बताते हैं कि उन्होंने गोहद में पहलवानी भी की थी.
बताशे वाले ने पहनाया था बताशों और रुपयों का हार
संतोषी लाल कहते हैं कि अटलजी बेहद मिलनसार व्यक्ति थे. उनके बारे जितना कहा जाए कम है. उन्होंने किस्सा बताते हुए कहा कि राजनेता बनने के बाद एक बार अटलजी गोहद आये थे, बस स्टैंड पर उनकी सभा हुई. उसके बाद वे बाजार में आये तो उस समय एक गनी बादशाह नाम के बताशा बेचने वाले शख्स की दुकान से गुजरे तो गनी बादशाह ने दुकान के पूरे बताशे और गल्ले में रखे सभी रुपयों का हार पहनकर उनका स्वागत किया था. वे काफी मिलनसार थे.
राजमाता ने जाहिर की रिटायमेंट की इच्छा, अटलजी ने खुशनुमा बना दिया था माहौल
संतोषी लाल ने बताया कि ग्वालियर में उनकी मुलाकात अटलजी से होती रहती थी. एक और किस्सा साझा करते हुए उन्होंने बताया कि एक बार महल में राजमाता विजयाराजे सिंधिया के जन्मदिन पर भोज रखा गया था, वहां अटलजी समेत संगठन के और भी नेता मौजूद थे. उस वक्त संतोषी भी उस सभा का हिस्सा थे. उन्होंने ने बताया कि राजमाता सिंधिया ने सभी नेताओं की मौजूदगी में कहा कि वे 60 साल की हो गयी हैं और पार्टी में आगे काम नहीं करना चाहतीं है. अब राजनीति से रिटायरमेंट लेना चाहती हैं, उनकी बात सुनकर सभी चकित रह गए. आखिर में अटलजी ने उठकर अपने मज़ाकिया लहज़े में कहा कि 'साठा सो पाठा' "यानी साठ साल की उम्र में तो आदमी शुरुआत करता है और आप छोड़ने की बात कर रही हैं, आप तो शुरुआत करेंगी आप" उनका लहज़ा ऐसा था कि माहौल खुशनुमा हो गया और राजमाता सिंधिया के साथ सभी हंसने लग गए.
गोहद से शपथ ग्रहण समारोह में बुलाये थे 2 चहेते दोस्त
अटलजी की सादगी का एक किस्सा यह भी है कि जब उन्होंने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तब शपथ ग्रहण समारोह में गोहद से उनके 2 चहेते दोस्त द्वारिका प्रसाद सोनी जो न सिर्फ उनके सहपाठी थे, बल्कि साथ में दोनों ने पहलवानी भी की थी. वहीं दूसरे बताशे वाले गनी बादशाह को भी विशेष रूप से बुलाया था, और आज यह तीनों ही दोस्त इस दुनिया को अलविदा कह चुके हैं.