भिंड। रूस - यूक्रेन युद्ध को 6 दिन हो चुके हैं, भारत सरकार ऑपरेशन गंगा के तहत यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को सुरक्षित वापस लाने की सभी कोशिशें कर रही है. इसी बीच खरकीव में एक भारतीय छात्र की मौत की खबर से वहां फंसे अन्य भारतीय छात्रों के परिजन बेहद चिंतित हैं. इन्हीं में भिंड के अरमान खान के परिजन भी हैं, जिनका बेटा अरमान MBBS करने यूक्रेन गए हुए हैं और वहां युद्ध के हालतों में फंसे हुए हैं. इस संकट के दौर में अरमान के परिजन अपने बच्चे की सलामती की दुआ कर रहे हैं. ETV भारत ने अरमान के गांव पहुंचर परिजनों का हौसला बढ़ाया और उनसे बातचीत की.
दोस्त की बहन की सलाह पर यूक्रेन पढ़ने भेजा था
अरमान के पिता बिखारी खान अपने परिवार के साथ गोरमी के मेहदोली गांव में रहते हैं. वह पेशे से डॉक्टर हैं और वहीं गांव में अपना छोटा सा क्लीनिक चलाते हैं. बेटे अरमान को 10वीं के बाद मेडिकल की तैयारी के लिए कोटा भेजा था. जहां उसकी दोस्ती राजस्थान के ही रहने वाले एक युवक से हुई. दोनों के परिवार भी एक दूसरे को जानने लगे. अरमान के दोस्त की बहन यूक्रेन में ही रहती थी, उनकी सलाह पर 12वीं पास होते ही अरमान को भी यूक्रेन के मेडिकल कॉलेज में MBBS की डिग्री करने के लिए दाखिला मिल गया. अरमान पढ़ने में होशियार था. रिश्तेदारों ने भी कहा की इसे आगे पढ़ना चाहिए ऐसे में जमा पूंजी और रिश्तेदारों की मदद से उसे यूक्रेन पढ़ने पहुंचाया था, हालांकि कोरोना की वजह से पहले साल ऑनलाइन क्लास चली जिसे वो गांव में रह कर ही अटेंड कर रहा था. कुछ महीने पहले ही स्थिति सामान्य होने से कॉलेज ने क्लास ऑफलाइन कर दी थी. जिसके बाद उसे यूक्रेन भेज दिया था जहां वह राजधानी कीव के पास ही रहता था.
युद्ध ने बेटे का भविष्य गर्त में डाल दिया
अरमान के ने बताया कि, शुरू में युद्ध की बात सामने आते ही सब परेशान हो गए थे. लेकिन अरमान ने चिंता न करने की बात कही थी, लेकिन वहां से निकलने के पहले ही रूस की सेना ने कीव में बमबारी कर दी. अरमान और उसके तीन साथी 3 दिनों तक एक बंकर में छिपे रहे. पिछले चार दिनों से बेटे से किसी प्रकार का संपर्क नहीं हो पाया है. उसके दोस्त के पिता ने बताया है कि दोनों बच्चे आज सुबह हंगरी बॉर्डर पहुंचे थे, लेकिन तब तक उसकी सीमा में दाखिल नही हो सके हैं.
छात्र की मौत की खबर ने बढ़ाई चिंता
यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव में कर्नाटक के रहने वाले भारतीय छात्र की मौत की खबर सामने आने के बाद परिजनों की चिंता और बढ़ गई है.छात्रों के परिजन किसी अनहोनी की आशंका से चिंतित हैं. परिजन भारत सरकार से जल्द अपने बच्चों की सही-सलामत वापस लाने की गुहार लगा रहे हैं. अरमान के पिता का कहना है कि, यूक्रेन में हो रहे युद्ध ने उनके बेटे के भविष्य को गर्त में डाल दिया है. न केवल पैसा, बल्कि पढ़ाई और समय भी बर्बाद हो गया. अब उनकी सरकार और मालिक से एक ही दुआ है कि उनका बेटा सुरक्षित घर लौट आए तो आंखों को तसल्ली मिलेगी. अरमान ने एक वीडियो भी शेयर किया, जिसमे वह पीने के पानी की कमी से झूझ रहा है. उसने वीडियो में बताया कि पैसे नही होने के कारण अब वे सभी पानी के लिए भी मोहताज़ हैं. वह बिल्डिंगों पर जमा बर्फ पिघलने से गिर रही पानी की बूंदों को बोतल में जमा कर पी रहा है. परिजनों को चिंता है कि उनके बच्चे बहुत मुश्किल हालात में हैं. अरमान की तरह ही हज़ारों भारतीय छात्र अभी भी फंसे हुए हैं जिन्हें भारत सरकार वहां से सुरक्षित निकालने की पूरी व्यवस्था कर रही है, लेकिन इन मुश्किल हालातों में बच्चों और उनके परिजनों पर क्या गुज़र रही है ये तो सिर्फ वे ही जानते हैं.