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छोटे शहरों में बढ़ रहे अवैध निर्माण, न परमिशन-न डायवर्जन

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Published : Jun 11, 2021, 7:21 AM IST

छोटे शहरों में भी अवैध निर्माण तेजी से बढ़ रहे हैं. न तो अनुमति ली जा रही है और न ही डायवर्जन. सरकारी संपत्ति पर भी कब्जा किया जा रहा है.

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तेजी से बढ़ रहे अवैध निर्माण

भिंड। शहरी क्षेत्रों में अवैध रूप से निर्माण कॉलोनियों की बसाहट कोई नई बात नहीं हैं. बिना अनुमति व बिना डायवर्जन प्लॉटिंग के निर्माण कराकर कॉलोनाइजर्स सरकार द्वारा ठगे जाते हैं, बल्कि इसका फायदा उठा कर जिम्मेदार भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं. यह चलन अब तक बड़े शहरों में देखने को मिलता था, लेकिन अब ऐसा काम भिंड नगर पालिका क्षेत्र में भी भू-माफिया कर रहे हैं. लगभग दो किलोमीटर क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध निर्माण चल रहे हैं. जिम्मेदारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं.

बिना परमिशन हो रहे निर्माण

सैनिक कॉलोनी, आर्य नगर और रेमजापुरा रोड पर इन दिनों भवन निर्माण कार्य तेजी से चल रहा हैं. चाहे वह नई इमारत बनाना हो या फिर पहले से बने स्ट्रक्चर. इसके लिए लोग नगर पालिका से पूर्वानुमति लिए बिना मकान और अन्य निर्माण कार्य कर रहे हैं. आर्य नगर और वीरेंद्र नगर में कई ऐसे भवन हैं, जहां नगर पालिका से अनुमति लिए बिना दूसरी और तीसरी मंजिल का निर्माण किया गया हैं. वहीं सैनिक कॉलोनी में तो बिना डायवर्जन और परमिशन के निर्माण कार्य अवैध रूप से किए जा रहे हैं. इधर रेमजापुरा तक जाने वाली रोड पर भी अवैध प्लॉटिंग कर दी गई हैं. यहां तक कि बिना डायवर्जन मार्केट निर्माण भी हो रहे हैं, लेकिन नगर पालिका अधिकारी कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं.

तेजी से बढ़ रहे अवैध निर्माण
रेलवे की जमीन पर भी अवैध कब्जा

रेमजापुरा रोड और रेलवे की जमीन पर भी लोगों ने कब्जा कर मैरिज गार्डन बनवा लिए हैं, जबकि तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी द्वारा एक बोर्ड लगाकर रेलवे की जमीन होने की सीमा तय कर दी गई थी, लेकिन उनका तबादला हो गया.


कई बार हो चुकी हैं शिकायत

सैनिक कॉलोनी में रहने वाले संजीव शर्मा और प्रेम कुमारी ने बताया कि इस मामले की शिकायत वह कई बार नगर पालिका से लेकर कलेक्टर तक कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. इस पूरे इलाके में शैलेंद्र सिंह भदौरिया नाम का शख्स है, जो यहां की अवैध कॉलोनियों में फर्जीवाड़ा कर रहा हैं.

शिकायतकर्ता संजीव शर्मा ने बताया कि कॉलोनी में प्लॉट खरीदने के बाद उन्होंने नगर पालिका से नामांतरण के लिए संपर्क किया, लेकिन नामांतरण नहीं हुआ. इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस पूरे इलाके में तीन मंजिल तक बिना अनुमति के भवन बन रहे हैं.

नपा सीएमओ पर भ्रष्टाचार के आरोप

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में नगर निगम अधिकारी सुरेंद्र शर्मा की मिलीभगत हैं. जब भी उनके खिलाफ शिकायत की जाती है, तो वह कार्रवाई के नाम पर सामने वाले से रुपये ऐंठ कर मामला ठंडे बसते में डाल देते हैं.

दबंगों ने सरकारी संपत्ति भी हथियाई

सैनिक कॉलोनी में अवैध निर्माण के साथ-साथ सरकारी संपत्ति पर भी कब्जा किया गया हैं. यहां रहने वाले लोगों के लिए विधायक निधि और नगर पालिका द्वारा सरकारी हैंडपंप लगाए गए, लेकिन इन पर भी लोगों ने कब्जा कर रखा हैं. किसी ने हैंडपंप के ऊपरी हिस्से को हटाकर लाइन को सीधे अपने घर शिफ्ट कर दिया, तो किसी ने हैंडपंप में मोती डालकर पाइप लाइन को अपने घर पहुंचा दिया. ऐसे दबंगों से झगड़ने के डर से कोई कुछ नहीं कह पाता.



सीएमओ के मुताबिकः आरोप निराधार


मुख्य नगर पालिका अधिकारी सुरेंद्र शर्मा ने इन सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि इस पूरे इलाके के लिए नगर पालिका की ओर से 400 लोगों के खिलाफ अतिक्रमण के तहत नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन इन नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी गई, जिसकी वजह से कोर्ट द्वारा 14 जून तक रोक लगा दी गई हैं. समयावधि पूरी होते ही अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा.

वहीं भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उन्होंने कहा कि आरोप गलत हैं. इसमें शिकायतकर्ता एक बार भी सामने नहीं आया है. कई बार कार्रवाई के समय उन्हें बुलाया गया, लेकिन वह पेश नहीं हुए. इस तरह लगातार गुमराह करने और बदनाम कर दवाब बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं.

यह है नियम


नियम कहता है कि किसी भी निर्माण से पहले सबंधित नगर पालिका/ परिषद/ निगम या पंचायत से अनुमति लेना अनिवार्य हैं. फिर चाहे वह नवीन कार्य हों या फिर इक्स्टेन्शन. इसके लिए निर्माणकर्ता को कार्य का नक्शा भी नगर पालिका को देना होता है. किसी भी भूमि, मकान या भवन को बनाने से पहले उसकी अनुमति और अगर कोई डायवर्जन नहीं है, तो संबंधित एसडीएम से डायवर्जन करना भी आवश्यक हैं.

किसी भी भूमि, मकान या भवन के निर्माण से पहले उसकी अनुमति और अगर कोई डायवर्जन नहीं हों, तो संबंधित एसडीएम से डायवर्सन करना भी आवश्यक है. उसके बाद ही निर्माण किया जाना चाहिए. इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती हैं. साथ ही अवैध निर्माण कार्य और अतिक्रमण को भी हटाया जा सकता हैं.

भिंड। शहरी क्षेत्रों में अवैध रूप से निर्माण कॉलोनियों की बसाहट कोई नई बात नहीं हैं. बिना अनुमति व बिना डायवर्जन प्लॉटिंग के निर्माण कराकर कॉलोनाइजर्स सरकार द्वारा ठगे जाते हैं, बल्कि इसका फायदा उठा कर जिम्मेदार भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं. यह चलन अब तक बड़े शहरों में देखने को मिलता था, लेकिन अब ऐसा काम भिंड नगर पालिका क्षेत्र में भी भू-माफिया कर रहे हैं. लगभग दो किलोमीटर क्षेत्र में धड़ल्ले से अवैध निर्माण चल रहे हैं. जिम्मेदारों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं.

बिना परमिशन हो रहे निर्माण

सैनिक कॉलोनी, आर्य नगर और रेमजापुरा रोड पर इन दिनों भवन निर्माण कार्य तेजी से चल रहा हैं. चाहे वह नई इमारत बनाना हो या फिर पहले से बने स्ट्रक्चर. इसके लिए लोग नगर पालिका से पूर्वानुमति लिए बिना मकान और अन्य निर्माण कार्य कर रहे हैं. आर्य नगर और वीरेंद्र नगर में कई ऐसे भवन हैं, जहां नगर पालिका से अनुमति लिए बिना दूसरी और तीसरी मंजिल का निर्माण किया गया हैं. वहीं सैनिक कॉलोनी में तो बिना डायवर्जन और परमिशन के निर्माण कार्य अवैध रूप से किए जा रहे हैं. इधर रेमजापुरा तक जाने वाली रोड पर भी अवैध प्लॉटिंग कर दी गई हैं. यहां तक कि बिना डायवर्जन मार्केट निर्माण भी हो रहे हैं, लेकिन नगर पालिका अधिकारी कुंभकर्णी नींद सो रहे हैं.

तेजी से बढ़ रहे अवैध निर्माण
रेलवे की जमीन पर भी अवैध कब्जा

रेमजापुरा रोड और रेलवे की जमीन पर भी लोगों ने कब्जा कर मैरिज गार्डन बनवा लिए हैं, जबकि तत्कालीन कलेक्टर इलैया राजा टी द्वारा एक बोर्ड लगाकर रेलवे की जमीन होने की सीमा तय कर दी गई थी, लेकिन उनका तबादला हो गया.


कई बार हो चुकी हैं शिकायत

सैनिक कॉलोनी में रहने वाले संजीव शर्मा और प्रेम कुमारी ने बताया कि इस मामले की शिकायत वह कई बार नगर पालिका से लेकर कलेक्टर तक कर चुके हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती. इस पूरे इलाके में शैलेंद्र सिंह भदौरिया नाम का शख्स है, जो यहां की अवैध कॉलोनियों में फर्जीवाड़ा कर रहा हैं.

शिकायतकर्ता संजीव शर्मा ने बताया कि कॉलोनी में प्लॉट खरीदने के बाद उन्होंने नगर पालिका से नामांतरण के लिए संपर्क किया, लेकिन नामांतरण नहीं हुआ. इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस पूरे इलाके में तीन मंजिल तक बिना अनुमति के भवन बन रहे हैं.

नपा सीएमओ पर भ्रष्टाचार के आरोप

शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि इस पूरे फर्जीवाड़े में नगर निगम अधिकारी सुरेंद्र शर्मा की मिलीभगत हैं. जब भी उनके खिलाफ शिकायत की जाती है, तो वह कार्रवाई के नाम पर सामने वाले से रुपये ऐंठ कर मामला ठंडे बसते में डाल देते हैं.

दबंगों ने सरकारी संपत्ति भी हथियाई

सैनिक कॉलोनी में अवैध निर्माण के साथ-साथ सरकारी संपत्ति पर भी कब्जा किया गया हैं. यहां रहने वाले लोगों के लिए विधायक निधि और नगर पालिका द्वारा सरकारी हैंडपंप लगाए गए, लेकिन इन पर भी लोगों ने कब्जा कर रखा हैं. किसी ने हैंडपंप के ऊपरी हिस्से को हटाकर लाइन को सीधे अपने घर शिफ्ट कर दिया, तो किसी ने हैंडपंप में मोती डालकर पाइप लाइन को अपने घर पहुंचा दिया. ऐसे दबंगों से झगड़ने के डर से कोई कुछ नहीं कह पाता.



सीएमओ के मुताबिकः आरोप निराधार


मुख्य नगर पालिका अधिकारी सुरेंद्र शर्मा ने इन सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि इस पूरे इलाके के लिए नगर पालिका की ओर से 400 लोगों के खिलाफ अतिक्रमण के तहत नोटिस जारी किए गए हैं, लेकिन इन नोटिस के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी गई, जिसकी वजह से कोर्ट द्वारा 14 जून तक रोक लगा दी गई हैं. समयावधि पूरी होते ही अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा.

वहीं भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर उन्होंने कहा कि आरोप गलत हैं. इसमें शिकायतकर्ता एक बार भी सामने नहीं आया है. कई बार कार्रवाई के समय उन्हें बुलाया गया, लेकिन वह पेश नहीं हुए. इस तरह लगातार गुमराह करने और बदनाम कर दवाब बनाने का प्रयास किया जा रहा हैं.

यह है नियम


नियम कहता है कि किसी भी निर्माण से पहले सबंधित नगर पालिका/ परिषद/ निगम या पंचायत से अनुमति लेना अनिवार्य हैं. फिर चाहे वह नवीन कार्य हों या फिर इक्स्टेन्शन. इसके लिए निर्माणकर्ता को कार्य का नक्शा भी नगर पालिका को देना होता है. किसी भी भूमि, मकान या भवन को बनाने से पहले उसकी अनुमति और अगर कोई डायवर्जन नहीं है, तो संबंधित एसडीएम से डायवर्जन करना भी आवश्यक हैं.

किसी भी भूमि, मकान या भवन के निर्माण से पहले उसकी अनुमति और अगर कोई डायवर्जन नहीं हों, तो संबंधित एसडीएम से डायवर्सन करना भी आवश्यक है. उसके बाद ही निर्माण किया जाना चाहिए. इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है, तो संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध नियमानुसार दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती हैं. साथ ही अवैध निर्माण कार्य और अतिक्रमण को भी हटाया जा सकता हैं.

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