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चंबल की बेटियां नहीं किसी से कम, बंदूक से साध रहीं भविष्य पर 'निशाना' - preparing for rifle shooting

भिंड के शासकीय उत्कृष्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 की बेटियां एयर राइफल शूटिंग के जरिए जिले को नई पहचान दिलाने में जुटी हैं. इसके जरिए बेटियां उस मानसिकता को भी बदल रही हैं, जिसमें उन्हें बेटों से कमतर आंका जाता है. लेकिन अफसोर खेल विभाग की तरफ से अब तक उन्हें पर्याप्त सुविधाएं नहीं मिलीं, देखिए स्पेशल रिपोर्ट.

girls preparing for rifle shooting
चंबल की बेटियां नहीं किसी के कम
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Published : Feb 22, 2020, 7:23 AM IST

भिंड। अब चंबल अंचल की बेटियों ने हाथों में बंदूक थाम ली है और पूरे आत्मविश्वास के साथ फायर भी कर रही हैं. हाथों में बंदूक थामे इन बेटियों को चंबल अंचल का भविष्य कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इन बेटियों ने अपनी छवि के लिए बदनाम रहे चंबल-अचल की सकारात्मक छवि बनाने और खुद का भविष्य गढ़ने की चुनौती को न सिर्फ स्वीकारा, बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत में जुटी गई हैं.

चंबल की बेटियां नहीं किसी से कम

शिक्षक दे रहे पूरा साथ

एक समय था जब बागी बीहड़ों के लिए चंबल अंचल बदनाम था, क्योंकि घाटी में आए दिन बंदूक की धांय-धांय की गूंज सुनाई देती थी, लेकिन बंदूक की शौकीन इन बेटियों ने अपने शौक को जुनून में तब्दील किया और शूटिंग के जरिए मध्यप्रदेश का नाम पूरे देश में रोशन करने का बीड़ा उठाया है. भिंड के शासकीय उत्कृष्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 में पढ़ने वाली इन सभी छात्राओं को स्कूल के शिक्षक भी पूरा साथ दे रहे हैं.

girls preparing for rifle shooting
राइफल की शूटिंग की प्रैक्टिस कर रही छात्राएं

भिंड को मिल सकती है नई पहचान

स्कूल के शिक्षकों की इस पहल से भिंड को एक नई पहचान मिल सकती है, लेकिन खेल विभाग का उदासीन रवैया खिलाड़ियों के हौसले कम करने में पीछे नहीं है. छात्राएं स्कूल मैनेजमेंट और कोच भूपेंद्र कुशवाहा से प्रेरित होकर शूटिंग में अपना करियर बनाना चाहती हैं. कोच भूपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि आखिर क्यों उन्होंने छात्राओं को शूटिंग के लिए प्रेरित किया.

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चंबल की बेटियां नहीं किसी के कम

देश को गोल्ड दिलाना चाहती हैं बेटियां

21 बेटियों ने पिस्टल शूटिंग में राज्य स्तर की प्रतिस्पर्धा में अपना लोहा मनवाया है. निशानेबाजी से कैरियर पर निशाना लगा रहीं अंचल की बेटियों का लक्ष्य यही है कि वह सिर्फ देश को गोल्ड दिलाना चाहती हैं, लेकिन उन्हें खेल विभाग से प्रैक्टिस के लिए वो सुविधाएं अब तक नहीं मिलीं जो प्रतियोगिता के भाग लेने के लिए जरूरी होती हैं. हालांकि स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि जितना उनसे बनेगा वह पूरी मदद करेंगे.

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बंदूक से साथ रहीं भविष्य पर निशाना

खेल अधिकारी ने दिया मदद का भरोसा

जब ईटीवी भारत ने इस मामले को उठाया तो जिला खेल अधिकारी ने अरुण कुमार हर संभव मदद का भरोसा दिया है. इस पूरे मामले में कलेक्टर छोटे सिंह मानते है कि आज बेटियां बेटों से कम नहीं है. स्कूल से जुड़े बच्चे शूटिंग स्पोर्ट्स में आए हैं और यहां काफी अच्छा रिजल्ट देखने को मिल रहा है, ऐसे में उनका प्रयास है कि विभाग की ओर से जरूरी सूचनाएं हैं छात्रों तक समय से पहुंचे और सीमित संसाधनों में भी भिंड का नाम रोशन हो सके. सीमित संसाधन हैं पर हौसला बहुत बड़ा है. खेल विभाग भले ही उदासीन है पर इन बेटियों का दृण संकल्प और कोच का आत्मविश्वास भी किसी से कम नहीं.

भिंड। अब चंबल अंचल की बेटियों ने हाथों में बंदूक थाम ली है और पूरे आत्मविश्वास के साथ फायर भी कर रही हैं. हाथों में बंदूक थामे इन बेटियों को चंबल अंचल का भविष्य कहा जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी, क्योंकि इन बेटियों ने अपनी छवि के लिए बदनाम रहे चंबल-अचल की सकारात्मक छवि बनाने और खुद का भविष्य गढ़ने की चुनौती को न सिर्फ स्वीकारा, बल्कि उसे अंजाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत में जुटी गई हैं.

चंबल की बेटियां नहीं किसी से कम

शिक्षक दे रहे पूरा साथ

एक समय था जब बागी बीहड़ों के लिए चंबल अंचल बदनाम था, क्योंकि घाटी में आए दिन बंदूक की धांय-धांय की गूंज सुनाई देती थी, लेकिन बंदूक की शौकीन इन बेटियों ने अपने शौक को जुनून में तब्दील किया और शूटिंग के जरिए मध्यप्रदेश का नाम पूरे देश में रोशन करने का बीड़ा उठाया है. भिंड के शासकीय उत्कृष्ट उच्च माध्यमिक विद्यालय क्रमांक 1 में पढ़ने वाली इन सभी छात्राओं को स्कूल के शिक्षक भी पूरा साथ दे रहे हैं.

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राइफल की शूटिंग की प्रैक्टिस कर रही छात्राएं

भिंड को मिल सकती है नई पहचान

स्कूल के शिक्षकों की इस पहल से भिंड को एक नई पहचान मिल सकती है, लेकिन खेल विभाग का उदासीन रवैया खिलाड़ियों के हौसले कम करने में पीछे नहीं है. छात्राएं स्कूल मैनेजमेंट और कोच भूपेंद्र कुशवाहा से प्रेरित होकर शूटिंग में अपना करियर बनाना चाहती हैं. कोच भूपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि आखिर क्यों उन्होंने छात्राओं को शूटिंग के लिए प्रेरित किया.

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चंबल की बेटियां नहीं किसी के कम

देश को गोल्ड दिलाना चाहती हैं बेटियां

21 बेटियों ने पिस्टल शूटिंग में राज्य स्तर की प्रतिस्पर्धा में अपना लोहा मनवाया है. निशानेबाजी से कैरियर पर निशाना लगा रहीं अंचल की बेटियों का लक्ष्य यही है कि वह सिर्फ देश को गोल्ड दिलाना चाहती हैं, लेकिन उन्हें खेल विभाग से प्रैक्टिस के लिए वो सुविधाएं अब तक नहीं मिलीं जो प्रतियोगिता के भाग लेने के लिए जरूरी होती हैं. हालांकि स्कूल के प्रिंसिपल का कहना है कि जितना उनसे बनेगा वह पूरी मदद करेंगे.

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बंदूक से साथ रहीं भविष्य पर निशाना

खेल अधिकारी ने दिया मदद का भरोसा

जब ईटीवी भारत ने इस मामले को उठाया तो जिला खेल अधिकारी ने अरुण कुमार हर संभव मदद का भरोसा दिया है. इस पूरे मामले में कलेक्टर छोटे सिंह मानते है कि आज बेटियां बेटों से कम नहीं है. स्कूल से जुड़े बच्चे शूटिंग स्पोर्ट्स में आए हैं और यहां काफी अच्छा रिजल्ट देखने को मिल रहा है, ऐसे में उनका प्रयास है कि विभाग की ओर से जरूरी सूचनाएं हैं छात्रों तक समय से पहुंचे और सीमित संसाधनों में भी भिंड का नाम रोशन हो सके. सीमित संसाधन हैं पर हौसला बहुत बड़ा है. खेल विभाग भले ही उदासीन है पर इन बेटियों का दृण संकल्प और कोच का आत्मविश्वास भी किसी से कम नहीं.

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