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28 साल बाद भी शहीद के परिवार को नहीं मिली मदद, धरने पर बैठा परिवार - मदद की आस में शहीद का परिवार

भिंड के चम्हेड़ी गांव के रामसेवक सिंह सीमा सुरक्षा बल तीसरी वाहिनी में एसआई के पद पर पदस्थ थे. 24 सितंबर 1992 में आंध्रप्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्र वारंगल में रामसेवक नक्सली हमले में शहीद हो गए थे. रामसेवक की शहादत को 28 साल बीत चुके हैं. लेकिन आज भी उनके परिवार की मांगे पूरी नहीं हो सकी है. जिससे नाराज शहीद का बेटा महेंद्र सिंह राठौर धरने पर बैठा है.

Martyr's family in the hope of help
मदद की आस में शहीद का परिवार
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Published : Sep 20, 2020, 11:48 AM IST

भिंड। देश के लिए जीवन का सर्वोच्‍च बलिदान देने वाले जवानों के परिवारों के लिए सरकार घोषणाएं तो कई करती है. लेकिन आज भी कई परिवार ऐसे है जिन्हें इन योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिलता. भिंड जिले के चम्हेड़ी गांव में एक शहीद का परिवार भी कुछ ऐसी ही परेशानियां झेल रहा है. जो पिछले 30 सालों से सरकार द्वारा घोषित सम्मान का इंतजार कर रहा है. अधिकारियों से गुहार और कार्यालय के चक्कर काटने के बाद भी जब शहीद के परिवार की मांग पूरी नहीं हुई, तो परिवार अपने साथ हुए धोखे और वादाखिलाफी के खिलाफ धरने पर बैठा है.

मदद की आस में शहीद का परिवार

भिंड के चम्हेड़ी गांव के रहने वाले रामसेवक सिंह राठौर सीमा सुरक्षा बल में एसआई के पद पर पदस्थ था. जो 24 सितंबर 1992 को अपने 17 अन्य साथियों के साथ आंध्रप्रदेश के नक्सल प्रभावित वारगंल में नक्सली हमले में शहीद हो गए थे. उनके शहादत के बाद भारत सरकार द्वारा कई घोषणाएं की गई और उनके परिवार को अर्थिक रुप से मदद करने की भी बात कही गयी, लेकिन आज भी उनका परिवार उस मदद का इंतजार कर रहा है.

शहीद के परिवार ने खुद के पैसों से बनवाया स्मारक

शहीद रामसेवक के बेटे महेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि सरकार ने शुरुआत से उनके परिवार की अनदेखी की है. महेंद्र सिंह का कहना है शहीद होने के बाद उनके पिता का पार्थिव शरीर जब गांव लाया गया तो ना कोई नेता आया और नहीं कोई प्रशासन का कोई अधिकारी पहुंचा. शहीद के बेटे का कहना है कि शहीदों की याद में सरकार द्वारा स्मारक बनवाये जाते है, लेकिन उनके पिता के लिए कोई स्मारक नहीं बनावाया गया. आखिर में 2018 में जब एक सम्मान समारोह में उनकी मुलाकात तत्कालीन सांसद डॉ. भगीरथ प्रसाद से हुई तो सांसद ने उन्हें निजी खर्च से स्मारक बनवाने की सलाह दी. हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया गया कि इस स्मारक में लगने वाली रकम स्मारक पूरा हो जाने पर उनके परिवार को आवंटित करवा दी जाएगी. 2 साल पहले 6 लाख कीमत से स्मारक बनकर तैयार हो गया और उसका उद्घाटन भी तत्कालीन सांसद डॉ. भगीरथ प्रसाद ने ही किया. लेकिन स्मारक बनाने में लगने वाली राशि अभी तक शहीद के परिवार को नहीं मिला.

विधायक ने दिया मदद का आश्वासन

वहीं चम्हेड़ी गांव के लोग का कहना है कि शासन प्रशासन के इस तरह के व्यवहार से हर कोई आहत होता है. जिस सपूत ने देश की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले के साथ ऐसा व्यवहार सही नहीं. ग्रामीणों का का कहना है कि जब तक शहीद के परिवार की मांगें पूरी नहीं होती हम उनके साथ धरने पर बैठेंगे. वहीं इस मामले में पूर्व मंत्री और विधायक लाल सिंह आर्य का कहना है कि उन्हें इस बारे कोई जानकारी नही है, लेकिन वे जिला प्रशासन से बात कर जल्द शहीद के परिवार की हर सम्भव मदद करने की कोशिश करेंगे. भिंड कलेक्टर वीरेंद्र नवल सिंह रावत से बात की गई तो उनका कहना है कि अभी तक उनके पास शासन के की ओर से ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं आया है. फिर भी उन्होंने कहा कि वे गोहद एसडीएम को इस पर प्रतिवेदन तैयार करने को कहा है और उसे देखने के बाद शहीद के परिवार की मदद करने की कोशिश करेंगे.

भिंड। देश के लिए जीवन का सर्वोच्‍च बलिदान देने वाले जवानों के परिवारों के लिए सरकार घोषणाएं तो कई करती है. लेकिन आज भी कई परिवार ऐसे है जिन्हें इन योजनाओं का कोई लाभ नहीं मिलता. भिंड जिले के चम्हेड़ी गांव में एक शहीद का परिवार भी कुछ ऐसी ही परेशानियां झेल रहा है. जो पिछले 30 सालों से सरकार द्वारा घोषित सम्मान का इंतजार कर रहा है. अधिकारियों से गुहार और कार्यालय के चक्कर काटने के बाद भी जब शहीद के परिवार की मांग पूरी नहीं हुई, तो परिवार अपने साथ हुए धोखे और वादाखिलाफी के खिलाफ धरने पर बैठा है.

मदद की आस में शहीद का परिवार

भिंड के चम्हेड़ी गांव के रहने वाले रामसेवक सिंह राठौर सीमा सुरक्षा बल में एसआई के पद पर पदस्थ था. जो 24 सितंबर 1992 को अपने 17 अन्य साथियों के साथ आंध्रप्रदेश के नक्सल प्रभावित वारगंल में नक्सली हमले में शहीद हो गए थे. उनके शहादत के बाद भारत सरकार द्वारा कई घोषणाएं की गई और उनके परिवार को अर्थिक रुप से मदद करने की भी बात कही गयी, लेकिन आज भी उनका परिवार उस मदद का इंतजार कर रहा है.

शहीद के परिवार ने खुद के पैसों से बनवाया स्मारक

शहीद रामसेवक के बेटे महेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि सरकार ने शुरुआत से उनके परिवार की अनदेखी की है. महेंद्र सिंह का कहना है शहीद होने के बाद उनके पिता का पार्थिव शरीर जब गांव लाया गया तो ना कोई नेता आया और नहीं कोई प्रशासन का कोई अधिकारी पहुंचा. शहीद के बेटे का कहना है कि शहीदों की याद में सरकार द्वारा स्मारक बनवाये जाते है, लेकिन उनके पिता के लिए कोई स्मारक नहीं बनावाया गया. आखिर में 2018 में जब एक सम्मान समारोह में उनकी मुलाकात तत्कालीन सांसद डॉ. भगीरथ प्रसाद से हुई तो सांसद ने उन्हें निजी खर्च से स्मारक बनवाने की सलाह दी. हालांकि उन्होंने आश्वासन दिया गया कि इस स्मारक में लगने वाली रकम स्मारक पूरा हो जाने पर उनके परिवार को आवंटित करवा दी जाएगी. 2 साल पहले 6 लाख कीमत से स्मारक बनकर तैयार हो गया और उसका उद्घाटन भी तत्कालीन सांसद डॉ. भगीरथ प्रसाद ने ही किया. लेकिन स्मारक बनाने में लगने वाली राशि अभी तक शहीद के परिवार को नहीं मिला.

विधायक ने दिया मदद का आश्वासन

वहीं चम्हेड़ी गांव के लोग का कहना है कि शासन प्रशासन के इस तरह के व्यवहार से हर कोई आहत होता है. जिस सपूत ने देश की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर करने वाले के साथ ऐसा व्यवहार सही नहीं. ग्रामीणों का का कहना है कि जब तक शहीद के परिवार की मांगें पूरी नहीं होती हम उनके साथ धरने पर बैठेंगे. वहीं इस मामले में पूर्व मंत्री और विधायक लाल सिंह आर्य का कहना है कि उन्हें इस बारे कोई जानकारी नही है, लेकिन वे जिला प्रशासन से बात कर जल्द शहीद के परिवार की हर सम्भव मदद करने की कोशिश करेंगे. भिंड कलेक्टर वीरेंद्र नवल सिंह रावत से बात की गई तो उनका कहना है कि अभी तक उनके पास शासन के की ओर से ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं आया है. फिर भी उन्होंने कहा कि वे गोहद एसडीएम को इस पर प्रतिवेदन तैयार करने को कहा है और उसे देखने के बाद शहीद के परिवार की मदद करने की कोशिश करेंगे.

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