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भैय्या जी का अड्डा: गोहद में बेरोजेगारी और पानी बड़ा मुद्दा, जो काम करेगा वोट भी उसी को मिलेगा

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Published : Oct 15, 2020, 7:29 PM IST

मध्यप्रदेश में होने वाले उपचुनाव में 16 सीटें ग्वालियर चंबल अंचल की हैं. माना जा रहा है कि, यही सीटें तय करेंगी कि, मध्यप्रदेश में किसकी सत्ता रहेगी. ईटीवी भारत के खास प्रोग्राम 'भैय्या जी का अड्डा' के जरिए जानिए भिंड जिले के गोहद विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं की राय.

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भैय्या जी का अड्डा

भिंड। भिंड जिले की दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव से जिले में सियासी हलचल तेज है. चौक चौराहे हों या चाय की दुकान हर जगह सिर्फ उपचुनाव की चर्चा है. बीजेपी कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशी लगातार प्रचार कर मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने में जुटे हैं. ईटीवी भारत अपने खास प्रोग्राम 'भैय्या जी का अड्डा' के जरिए मतदाताओं के मन की बात जानने की कोशिश कर रहा है. आज हमारा कारवां पहुंचा है भिंड के गोहद में, जहां मतदाताओं ने चुनावी मुद्दों पर ईटीवी भारत से चर्चा की.

'भैय्या जी का अड्डा'

गोहद विधानसभा सीट पर बीजेपी के रणवीर जाटव का मुकाबला कांग्रेस के मेवाराम जाटव से हैं. यहां के मतदाताओं ने स्थानीय समस्याओं को लेकर सबसे पहले चर्चा की. क्योंकि क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की समस्या आज भी नजर आती है. शहरी मतदाताओं की अपेक्षा ग्रामीण आबादी इन सुविधाओं के नहीं मिलने से ज्यादा परेशान दिखती है. जिससे लोग जनप्रतिनिधियों पर नाराजगी भी जाहिर करते हैं.

ये भी पढ़ेंः 'भैया जी का अड्डा': विकास में पिछड़ी चंबल की करैरा विधानसभा सीट, क्या है वोटर की राय ?

बेरोजगारी है सबसे बड़ा मुद्दा

गोहद विधानसभा क्षेत्र में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. जीवन भर से गोहद की स्थिति और परिस्थितियों को देखते आए एक उम्र दराज मतदाता का कहना है कि, इस क्षेत्र में सबसे पहले जो मुद्दा है, वो बेरोजगारी का है. यहां के बच्चे पढ़ लिखकर समाज में तो खड़े हो गए, लेकिन रोजगार न मिलना एक बड़ी समस्या है. क्षेत्र में महंगाई भी एक बड़ा मुद्दा है. मतदाता मानते हैं कि, आज हर चीज इतनी महंगी हो गई है कि खुद का पेट भरना भी लोगों के लिए काफी मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि, वो महंगाई कम करने के लिए प्रयास करे और रोजगार उपलब्ध कराएं. ताकि लोगों को कुछ राहत मिल सके.

पानी की समस्या भी बड़ी परेशानी

ईटीवी भारत से बात करते हुए मतदाता कहते हैं कि, वैसे तो क्षेत्र में पानी एक बड़ी समस्या है. पानी के लिए हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग दूर-दूर से जाकर पानी भरकर लाते हैं. पानी नहीं होने से किसानों को भी परेशानी होती है. योजनाएं शुरु करने के दावे तो खूब किए गए. लेकिन ये योजनाएं अब तक मूर्त रुप नहीं ले पायी.

ये भी पढ़ेंः 'भैया जी का अड्डा' : ग्वालियर पूर्व विधानसभा से दल बदल कर उतरे प्रत्याशी, जानें क्या है मतदाताओं की राय ?

बंद पड़ी हैं धान की मिले

गोहद विधानसभा क्षेत्र में धान की खेती बहुतायत में होती है. लेकिन यहां चावल की कई मिल बंद पड़ी हैं, औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर, गोहद विधानसभा क्षेत्र के तहत ही आता है, लेकिन काम नहीं मिलने से यहां के मजदूरों का गुजर बसर भी नहीं हो पा रहा. मतदाता कहते है कि, अगर यही हालात बने रहे, तो इस बार का चुनाव का जो मुद्दा है, वो बेरोजगारी होगा.

वही एक मतदाता से जब क्षेत्र के विकास के बारे में जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने भी अपने विचार बेबाकी से रखे. कहते है कि, यहां के जितने भी जनप्रतिनिधि हैं. उन सबके सामने उनके कार्यकाल में अभी तक इस गोहद क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुए. पानी की समस्या का ही समाधान नहीं किया जाना जनप्रतिनिधियों का सबसे बड़ा फेलियर है.

कोरोना काल मे फेल हुआ शासन-प्रशासन

मतदाता कहते हैं कि, इस कोरोना के दौर में मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, लॉकडाउन में उनकी मजदूरी छीन ली गई, शासन की उदासीनता ने गरीब मजदूर को पैदल चलाया, भुखमरी से मार दिया और तबाही की कगार पर खड़ा कर दिया है. शासन और प्रशासन की वस्थाएं पूरी तरह फेल हो गई. न तो मजदूरों को काम मिल रहा है और न ही कोई रोजगार के साधन उपलब्ध हो रहे, ऐसे में जनता को परेशानियां ही उठानी पड़ेगी.

ये भी पढ़ेंः रणवीर जाटव के समर्थन में नरेंद्र सिंह तोमर की सभा, बोले: 'विकास के लिए बीजेपी की जीत जरुरी'

विकास ही पहली प्राथमिकता

वोट मांगने जितने भी प्रत्याशी आएंगे, उनके लिए जनता ने साफ संदेश दिया है कि, जो भी विधायक बनना चाहता है, वो जनता के लिए काम करेगा तभी उसे ही वोट मिलेगा. क्योंकि क्षेत्र में बहुत सी परेशानियां हैं, जिनका आज तक समाधान नहीं किया जा सका है. यानि लोगों की बातों में विकास की चाहत और आक्रोश की झलक साफ नजर आती है. इस बार जनता अपना रुख साफ करती नजर आ रही है. क्योंकि अब गोहद के मतदाताओं ने सिर्फ विकास ही मतदान का मुद्दा बना लिया है.

2018 में हुई थी 60 फीसदी वोटिंग

गोहद विधानसभा में होने वाले उपचुनाव के लिए इस बार 327 मतदान केंद्र बनाए जा रहे हैं. जहां विधानसभा के 2 लाख 24 हजार 737 मतदाता वोटिंग करेंगे. बहरहाल अब तक इस सीट पर 60 फ़ीसदी के लगभग ही वोटिंग होती आई है ऐसे में इस बार कोरोना की वजह से भी मतदान प्रतिशत में अंतर देखने को मिल सकता है. हालांकि जिला प्रशासन लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाकर प्रयास कर रहा है.

भिंड। भिंड जिले की दो विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव से जिले में सियासी हलचल तेज है. चौक चौराहे हों या चाय की दुकान हर जगह सिर्फ उपचुनाव की चर्चा है. बीजेपी कांग्रेस और अन्य दलों के प्रत्याशी लगातार प्रचार कर मतदाताओं को अपने पक्ष में लुभाने में जुटे हैं. ईटीवी भारत अपने खास प्रोग्राम 'भैय्या जी का अड्डा' के जरिए मतदाताओं के मन की बात जानने की कोशिश कर रहा है. आज हमारा कारवां पहुंचा है भिंड के गोहद में, जहां मतदाताओं ने चुनावी मुद्दों पर ईटीवी भारत से चर्चा की.

'भैय्या जी का अड्डा'

गोहद विधानसभा सीट पर बीजेपी के रणवीर जाटव का मुकाबला कांग्रेस के मेवाराम जाटव से हैं. यहां के मतदाताओं ने स्थानीय समस्याओं को लेकर सबसे पहले चर्चा की. क्योंकि क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं की समस्या आज भी नजर आती है. शहरी मतदाताओं की अपेक्षा ग्रामीण आबादी इन सुविधाओं के नहीं मिलने से ज्यादा परेशान दिखती है. जिससे लोग जनप्रतिनिधियों पर नाराजगी भी जाहिर करते हैं.

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बेरोजगारी है सबसे बड़ा मुद्दा

गोहद विधानसभा क्षेत्र में बेरोजगारी सबसे बड़ा मुद्दा है. जीवन भर से गोहद की स्थिति और परिस्थितियों को देखते आए एक उम्र दराज मतदाता का कहना है कि, इस क्षेत्र में सबसे पहले जो मुद्दा है, वो बेरोजगारी का है. यहां के बच्चे पढ़ लिखकर समाज में तो खड़े हो गए, लेकिन रोजगार न मिलना एक बड़ी समस्या है. क्षेत्र में महंगाई भी एक बड़ा मुद्दा है. मतदाता मानते हैं कि, आज हर चीज इतनी महंगी हो गई है कि खुद का पेट भरना भी लोगों के लिए काफी मुश्किल हो गया है. ऐसे में सरकार को चाहिए कि, वो महंगाई कम करने के लिए प्रयास करे और रोजगार उपलब्ध कराएं. ताकि लोगों को कुछ राहत मिल सके.

पानी की समस्या भी बड़ी परेशानी

ईटीवी भारत से बात करते हुए मतदाता कहते हैं कि, वैसे तो क्षेत्र में पानी एक बड़ी समस्या है. पानी के लिए हर दिन परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो लोग दूर-दूर से जाकर पानी भरकर लाते हैं. पानी नहीं होने से किसानों को भी परेशानी होती है. योजनाएं शुरु करने के दावे तो खूब किए गए. लेकिन ये योजनाएं अब तक मूर्त रुप नहीं ले पायी.

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बंद पड़ी हैं धान की मिले

गोहद विधानसभा क्षेत्र में धान की खेती बहुतायत में होती है. लेकिन यहां चावल की कई मिल बंद पड़ी हैं, औद्योगिक क्षेत्र मालनपुर, गोहद विधानसभा क्षेत्र के तहत ही आता है, लेकिन काम नहीं मिलने से यहां के मजदूरों का गुजर बसर भी नहीं हो पा रहा. मतदाता कहते है कि, अगर यही हालात बने रहे, तो इस बार का चुनाव का जो मुद्दा है, वो बेरोजगारी होगा.

वही एक मतदाता से जब क्षेत्र के विकास के बारे में जानने की कोशिश की गई, तो उन्होंने भी अपने विचार बेबाकी से रखे. कहते है कि, यहां के जितने भी जनप्रतिनिधि हैं. उन सबके सामने उनके कार्यकाल में अभी तक इस गोहद क्षेत्र में कोई विकास कार्य नहीं हुए. पानी की समस्या का ही समाधान नहीं किया जाना जनप्रतिनिधियों का सबसे बड़ा फेलियर है.

कोरोना काल मे फेल हुआ शासन-प्रशासन

मतदाता कहते हैं कि, इस कोरोना के दौर में मजदूर वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ, लॉकडाउन में उनकी मजदूरी छीन ली गई, शासन की उदासीनता ने गरीब मजदूर को पैदल चलाया, भुखमरी से मार दिया और तबाही की कगार पर खड़ा कर दिया है. शासन और प्रशासन की वस्थाएं पूरी तरह फेल हो गई. न तो मजदूरों को काम मिल रहा है और न ही कोई रोजगार के साधन उपलब्ध हो रहे, ऐसे में जनता को परेशानियां ही उठानी पड़ेगी.

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विकास ही पहली प्राथमिकता

वोट मांगने जितने भी प्रत्याशी आएंगे, उनके लिए जनता ने साफ संदेश दिया है कि, जो भी विधायक बनना चाहता है, वो जनता के लिए काम करेगा तभी उसे ही वोट मिलेगा. क्योंकि क्षेत्र में बहुत सी परेशानियां हैं, जिनका आज तक समाधान नहीं किया जा सका है. यानि लोगों की बातों में विकास की चाहत और आक्रोश की झलक साफ नजर आती है. इस बार जनता अपना रुख साफ करती नजर आ रही है. क्योंकि अब गोहद के मतदाताओं ने सिर्फ विकास ही मतदान का मुद्दा बना लिया है.

2018 में हुई थी 60 फीसदी वोटिंग

गोहद विधानसभा में होने वाले उपचुनाव के लिए इस बार 327 मतदान केंद्र बनाए जा रहे हैं. जहां विधानसभा के 2 लाख 24 हजार 737 मतदाता वोटिंग करेंगे. बहरहाल अब तक इस सीट पर 60 फ़ीसदी के लगभग ही वोटिंग होती आई है ऐसे में इस बार कोरोना की वजह से भी मतदान प्रतिशत में अंतर देखने को मिल सकता है. हालांकि जिला प्रशासन लोगों को मतदान के प्रति जागरूक करने के लिए अभियान चलाकर प्रयास कर रहा है.

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