शाजापुर: जिले में भू माफियाओं द्वारा सरकारी जमीनों के गोरखधंधे के मामले सामने आते रहते हैं. भू माफियाओं ने शहर से सटी लालघाटी की सरकारी जमीनों पर लोगों को भूखंड देकर वहां बसावट कर दी है. अब शाजापुर कलेक्टर ने सभी को झटका देते हुए इस जमीन को सरकारी संपत्ति मानते हुए वहां पर काबिज सभी भू स्वामियों को नोटिस जारी किया है. उन्हें 3 फरवरी तक कलेक्टर न्यायालय में उपस्थित होकर जवाब देने को कहा है.
भू माफियाओं ने सरकारी जमीन पर लोगों को बसाया
शाजापुर पटवारी हल्का मगरिया के भूमि सर्वे क्रमांक 102 में 74 बीघा 14 बिस्वा है जमीन, जो 1925-26 के राजस्व रिकॉर्ड में पहाड़ के रूप में दर्ज थी. उस जमीन पर कोई भी कृषक या काश्तकार दर्ज नहीं था. पहाड़ की भूमि होने के नाते यहां खेती नहीं होती थी. 1959 में पक्का कृषक का स्वामित्व किसी को नहीं मिला, लेकिन भू माफियाओं ने राजस्व रिकॉर्ड में हेरफेर कर इसे निजी नामों में दर्ज करा दिया. भू माफियाओं ने इस सरकारी जमीन पर लोगों को भूखंड बेचकर उन्हें बसा दिया.
9 भू स्वामियों को नोटिस जारी किया गया
अब शिकायत के आधार पर शाजापुर एसडीएम ने उस जमीन की जांच करवाई और उस जमीन को सरकारी जमीन दर्ज करने हेतु जांच रिपोर्ट शाजापुर कलेक्टर को सौंपी. रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर ने 74 बीघा जमीन को सरकारी घोषित करके वहां बसे 9 लोगों को नोटिस भेज दिया. भू माफियाओं द्वारा इस जमीन पर प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर कॉलोनी विकसित की जा रही है. शाजापुर एसडीएम मनीषा वास्कले ने कहा, "शिकायत के आधार पर जांच करके वरिष्ठ अधिकारियों को रिपोर्ट भेजी गई है. आगे की कार्रवाई वरिष्ठ अधिकारी करेंगे."
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शासन के लिए बहुत कीमती है यह जमीन
सर्वे नंबर 102 की यह जमीन बेशकीमती है. यह भूमि शाजापुर पुलिस अधीक्षक कार्यालय से सटी हुई है. इसके पास ही कलेक्टर कार्यालय और जिला न्यायालय सहित सभी शासकीय विभाग मौजूद हैं. शासन को यह जमीन मिलने से सरकारी कार्यालयों को पर्याप्त जमीन मिल सकेगी. शासन के पास शाजापुर में शासकीय जमीन न होने से केंद्रीय विद्यालय, लॉ कॉलेज और सीएम राइज स्कूल को शहर से 5 किलोमीटर दूर जमीन आवंटित करनी पड़ी थी.