भिंड। अपनी बाइक या कार में से हल्की आवाज भी आने लगे तो याद आता है कि गाड़ी सर्विस मांग रही है. लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने भारत सरकार ने समय रहते देशव्यापी लॉकडाउन घोषित होने से कई क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, इन्हीं में से एक है व्हीकल मेंटेनेंस.
लॉकडाउन ने व्हीकल मेंटेनेंस पर भी ब्रेक लगा दिया है. इतना ही नहीं वाहनों के मेंटेनेंस करने वाले मैकेनिकल गैरेज और सर्विस सेंटर की इनकम पर भी ब्रेक लग गए हैं. हालंकि भिंड में मिली छूट के बाद आखिरकार चौथे चरण में बाइक मेंटेनेंस की परमिशन मिल गई है.
शहर में आउटर एरिया में बने एक शोरूम और बाइक गैरेज पर पहुंची ईटीवी भारत की टीम ने जब जायजा लिया तो हालात कुछ अलग थे, यहां भी कोरोना का इफेक्ट साफ देखने को मिला.
नियम पालन के साथ सर्विस
बाइक गैरेज में बाइक सर्विस कराने पहुंच रहे हर कस्टमर को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है. बाइक सैनिटाइज की जा रही है, यहां तक कि बाइक चालक की थर्मल स्क्रीनिंग भी की जा रही है.
इसके साथ ही बाइक सर्विसिंग के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग मैनेज करते हुए एक समय पर सिर्फ दो बाइक का मेंटेनेंस ही किया जा रहा है.
लॉकडाउन से कितना पड़ा असर
गैरेज में काम कर रहे कर्मचारियों ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से काम पर काफी असर पड़ा है. घर के अलावा प्रोफेशनल वर्क में अभी अपलोड बढ़ गया है. इतने दिनों से सर्विसिंग बंद होने के चलते अब एक साथ कई गाड़ियां आ रही हैं काम का लोड बढ़ता जा रहा है.
बाइक एजेंसी संचालक ने बताया कि इस लॉक डाउन में लगातार शोरूम भी बंद रहने की वजह से ग्राहकों से संपर्क होने में अब समय लग रहा है. फिलहाल एक साथ 2 दिन की बुकिंग ले रहे हैं.
हॉटस्पॉट इलाकों से आए ग्राहकों से बढ़ी परेशानी
गैरेज मालिक का कहना है कि क्योंकि शहर में आउटर एरिया में बना है इसलिए ज्यादातर ग्राहक हॉटस्पॉट इलाकों से आ रहे हैं. ऐसे में कोरोना का खतरा देखते हुए उन्हें समझाइश दी जाती है कि वे अपनी गाड़ी गैरेज में छोड़ दें और गैरेज में न रुकें जिससे कोरोना संक्रमण का खतरा न बन सके.
लॉकडाउन में कितना नुकसान
एजेंसी संचालक ने बताया कि उन्हें लॉकडाउन के चलते व्हीकल मेंटेनेंस में करीब 10 लाख रुपए तक का नुकसान हो चुका है. ऊपर से अपने कर्मचारियों को भी समय-समय पर सैलरी देना होती है क्योंकि कर्मचारियों के पास भी कमाई का कोई दूसरा साधन नहीं है.
बाइक शोरूम भी बंद रहने से बाइक की बिक्री ठप रही. हर साल गर्मियों में कम से कम 500 बाइक की बिक्री होती थी, वहीं इस लॉकडाउन में एक भी बाइक नहीं बिक पाई है. लॉकडाउन ने व्हीकल मेंटेनेंस और सेल्स पर पूरी तरह ब्रेक लगा दिए हैं.
बिजनेस में लाखों का घाटा हुआ और यह पीड़ा किसी एक की नहीं बल्कि हर उस एजेंसी और मेकैनिक की है जो हर वाहन के पहिए को रफ्तार देता है. दोबारा काम शुरू तो हुआ है लेकिन अब इस कोरोना काल में बिजनेस और जिंदगी की रफ्तार लाने में कितना समय लगेगा यह कोई नहीं जानता.