भिंड। रेत के अवैध उत्खनन को लेकर नदी बचाओ आंदोलन के तहत एक दिवसीय उपवास पर बैठे डॉक्टर गोविंद सिंह को लेकर सिंधिया समर्थित पूर्व कांग्रेस नेता डॉक्टर रमेश दुबे ने चुटकी ली है. उन्होंने डॉक्टर गोविंद सिंह के धरने और उपवास को जिले के लिए भद्दा मजाक बताया है.
उनका कहना है कि जब से नदी अपना अस्तित्व खोने की कगार पर खड़ी है, तब जाकर लहार विधायक को सिंध नदी की याद आई है. पिछले कई सालों से जिले में रेत का अवैध उत्खनन जारी है, जिसके जनक खुद डॉक्टर गोविंद सिंह ही हैं. डॉ रमेश दुबे ने कहा कि विधायक का धरना ऐसा है, जैसे 'सौ-सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली' वाली कहावत.
दरअसल जिले में पिछले कई सालों से नदियों से रेत का अवैध उत्खनन होता आ रहा है. जिसको लेकर कई समाजसेवी और नेता समय-समय पर आवाज उठाते रहे हैं. इसके बावजूद अब तक कोई खास रोक इस क्षेत्र में नहीं लग पाई है.
15 अगस्त को प्रदेश के पूर्व मंत्री और लहार विधायक डॉक्टर गोविंद सिंह ने भी एक दिवसीय धरना प्रदर्शन और उपवास किया था. जिस पर सिंधिया के समर्थन में कांग्रेस छोड़ने वाले उनके करीबी माने जाने वाले डॉक्टर रमेश दुबे ने पूर्व मंत्री पर तंज कसा है. दुबे ने आरोप लगाते हुए कहा कि जिले में सबसे अधिक रेत का अवैध उत्खनन क्षेत्र में ही होता है, जहां से डॉक्टर गोविंद सिंह लगातार विधायक हैं. क्या उन्होंने अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी थी, जो उनको यह सब अब तक नहीं दिखा.
विधायक के लोग ही कर रहे खनन
उन्होंने कहा कि विधायक गोविंद सिंह को सिंध नदी की इतनी ही चिंता थी. तो सबसे पहले लहार विधानसभा में मदारी पंचायत पद धरना देना था. जहां वैशपुरा के लोग ही अवैध उत्खनन कर रहे हैं. इसी तरह पर्राइंच में भी विधायक के खास लवकुश, मटियावली में रिंकू मास्टर जो शासकीय शिक्षक हैं, छोटी मटियावली में शिशुपाल और शिव कुमार, डुबका में बंटू सरपंच-भूपेंद्र, अजनार में मुन्ना- तेजा, धौर में भूपेंद्र- लव कुश, गुरीरा में अभिलाख बाबा, मढ़ैयन में सुनील यहां तक कि दतिया में भी विधायक के लोग ही खनन कर रहे हैं.
शिवराज सरकार में धंधा चौपट होने का डर
रमेश दुबे ने कहा कि इस बात को पूरा जिला संभाग, प्रदेश और उत्तर प्रदेश के लोग तक जानते हैं कि भिंड में वैध और अवैध रेत कारोबार का संरक्षक कौन है. ऐसा लगता है कि भारतीय जनता पार्टी के शासनकाल में विधायक के लोगों का रेट का व्यापार सुरक्षित नहीं रह पाएगा. इस कारण शासन प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए इस तरह की नौटंकी और धरने किए जा रहे हैं.
कांग्रेस में रहते क्यों नहीं दिया साथ
डॉक्टर रमेश दुबे का कहना है कि वे कई सालों से सिंध बचाओ अभियान निरंतर चला रहे हैं. अभी भी और जब कांग्रेस में थे. तब भी, जिसके अंतर्गत आंदोलन और सिंध यात्रा की थी, लेकिन बड़े शर्म की बात है कि आज उपवास कर रहे लहार विधायक एक बार भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए. 'मुंह में राम बगल में छुरी' वाली कहावत चरितार्थ करने वाले लहार विधायक अपना आत्म अवलोकन चिंतन और प्रायश्चित करें कि सिंध नदी को समाप्ति की ओर ले जाने वाला कौन है और सत्य को स्वीकार करें.